छह एफआरयू पर मनाया गया सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक दिवस
जौनपुर, – जिला महिला अस्पताल में जांच के लिए पहुंची कोतवाली क्षेत्र के गूलरचक सुंदरनगर उमरपुर निवासी पूनम सोनकर (28) ने बताया कि नौ महीने हो चुके हैं। स्वास्थ्यकर्मियों ने उन्हें जरूरी इंजेक्शन व परामर्श दिया। वह स्वास्थ्यकर्मियों के व्यवहार से काफी खुश दिखीं।
यह मौका था जनपद में सोमवार को छह स्वास्थ्य इकाइयों (एफ़आरयू) पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक दिवस के आयोजन का| इसके तहत लगभग 400 गर्भवती की निःशुल्क प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) की गई। इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में बताया गया |
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि महीने में अब दो बार “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) दिवस” का आयोजन होगा। यह आयोजन हर माह की नौ तारीख को पहले से हो रहा है। अब से 24 तारीख को भी होगा। इस बार 24 अप्रैल को रविवार का अवकाश होने के कारण 25 अप्रैल को ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’ के रूप में मनाया गया।
सीएमओ ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए सभी छह प्रथम संदर्भन इकाइयों (एफआरयू) यथा सीएचसी मड़ियाहूं, बदलापुर, मछलीशहर, केराकत, शाहगंज तथा जिला महिला चिकित्सालय पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। आशा कार्यकर्ताओं ने गर्भवती को स्वास्थ्य केंद्रों तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ सत्य नारायण हरिश्चंद्र ने बताया कि केंद्र पर नियमित जांच व उच्च जोखिम युक्त गर्भवस्था से चिह्नित लाभार्थी को प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। गर्भवती की नियमित नि:शुल्क जांच एवं प्रसव पश्चात उचित देखभाल की सुविधा देने के लिए आयोजन का विस्तार किया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) सत्यव्रत त्रिपाठी ने बताया कि इस दौरान करीब 400 गर्भवती की जांच हुई, जिसमें लगभग 40 एचआरपी की श्रेणी में चिह्नित की गईं। इस अभियान का उद्देश्य गर्भवती की प्रसव पूर्व विधिवत जांच मेडिकल आफिसर की निगरानी में हो सके। जांच के दौरान विशेषकर लक्षित महिलाओं (द्वितीय और तृतीय त्रैमास वाली गर्भवती) को प्राथमिकता दी जाती है। द्वितीय और तृतीय त्रैमास में गर्भवती को प्रसव पूर्व तथा स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का ज्यादा सामना करना पड़ता है। इसके चलते ही इनकी जांच मेडिकल आफिसर (एमबीबीएस या प्रसूति रोग विशेषज्ञ) द्वारा की जाती है। इस दौरान गर्भवती के ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन, यूरिन, शुगर, सिफलिस, एचआईवी आदि की जांच की जाती है। जांच के दौरान ही उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाएं चिह्नित की जाती हैं और उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था कराई जाती है। इसके लिए उन्हें प्रसव के दौरान उच्च चिकित्सा इकाइयों में रेफर भी किया जाता है। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को गंभीर रक्त अल्पता, उच्च रक्तचाप, कम वजन, डायबिटीज, एचआईवी पाजिटिव तथा 35 साल से अधिक की उम्र में गर्भधारण आदि श्रेणियों में पहचान की जाती है।
यह सेवाएँ निःशुल्क दी गईं
इस दिवस पर छह एफ़आरयू पर समस्त गर्भवती की प्रसव पूर्व जाँचे (एएनसी) जैसे हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरिन जांच, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफ़लिस, वजन, ब्लड प्रेशर एवं अन्य जाँचों की निःशुल्क सुविधा दी गई। इसके साथ ही टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका, आयरन, कैल्शियम एवं आवश्यक दवाएं मुफ्त दी गईं। एचआरपी युक्त महिलाओं की पहचान, प्रबंधन एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा पोषण, परिवार नियोजन तथा प्रसव स्थान के चयन के बारे में भी उचित सलाह दी गई।