November 17, 2025

जनपद को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने को लेकर बनी रणनीति

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उमानाथ सिंह राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में हुई टीबी टास्क फोर्स बैठक

  • रिपोर्ट किए जाने वाले मरीजों में से 30 प्रतिशत महाविद्यालय से होने पर लक्ष्य होगा आसान: प्रो. भरद्वाज
  • टीबी मरीजों का निक्षय पोर्टल पर नोटिफिकेशन जरूरी, इससे मरीज को इलाज के दौरान मिलेंगे 500 रुपए: प्रो. सूर्यकांत
    जौनपुर, 25 मार्च 2023। प्रधानाचार्य प्रोफेसर शिव कुमार की अध्यक्षता में उमानाथ सिंह स्वशासी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की टास्क फोर्स व कोर कमेटी की बैठक हुई। इसमें वर्ष 2025 तक जनपद से टीबी को खत्म करने की रणनीति तैयार की गई।
    राष्ट्रीय टीबी टास्क फोर्स के अध्यक्ष व मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ एके भारद्वाज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम चल रहा है। इसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन करना है। उन्होंने कहा कि यदि ज़िले में दर्ज मरीजों में से 30 प्रतिशत मरीज चिकित्सा महाविद्यालय से होंगे तो वर्ष 2025 तक लक्ष्य पूरा करना आसान होगा। उन्होंने कहा कि सभी में टीबी के लक्षण मौजूद होना जरूरी नहीं है लेकिन टीबी के लक्षण या किसी अन्य जांच में अनियमितता मिलने पर टीबी की जांच जरूर करवा लेना चाहिए। 40 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं जिनमें संशय के आधार पर जांच कराई जाने पर टीबी धनात्मक मिलती है। उन्होंने सीबीनेट एवं ट्रूनेट जांच कराने की अपील की। उन्होंने कहा यदि आपने किसी प्रकार के टीबी रोगी के चिकित्सा उपचार व निदान की रूपरेखा तैयार की है तो उसके बलगम व अन्य बॉडी लिक्विड की सीबीनेट जांच जरूर कराएं। इससे टीबी एवं रेजिस्टेंट टीबी के निदान और जांच में आसानी हो। उस मरीज को यदि एमडीआर टीबी है तो उचित इलाज हो सके।
    केजीएमयू लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष तथा उत्तर प्रदेश क्षय उन्मूलन की स्टेट टास्क फोर्स के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ सूर्यकांत ने कहा कि सभी मरीजों का “निक्षय पोर्टल” पर नोटिफिकेशन होना जरूरी है। चिकित्सा महाविद्यालय के किसी भी विभाग के डॉक्टर यदि किसी मरीज का टीबी के लिए इलाज कर रहे हैं तो उनका नोटिफिकेशन नि:क्षय पोर्टल पर अवश्य करवाएं। ऐसा होने से मरीज को इलाज के दौरान प्रति माह 500 रुपए तो मिलेगा ही, साथ में डॉक्टर को भी मरीज की दवा का कोर्स पूरा होने पर प्रति मरीज 1000 रुपए मिलेगा। नोटिफिकेशन होने के कारण सरकार को यह जानने में आसानी होगी कि किस शहर में कितने रोगी हैं और वह किस प्रकार के हैं। उसके आधार पर ही आगे की नीति बनाने में आसानी होगी। नोटिफिकेशन नहीं होने पर सरकार उस रोगी को न तो पैसा दे सकती है और न ही एमडीआर टीबी होने पर उनका उचित इलाज हो पाएगा।
    नेशनल टास्क फोर्स एवं स्टेट टास्क फोर्स के चेयर पर्सन ने किसी भी प्रकार की आवश्यकता होने पर वायस चेयरपर्सन और अन्य पदाधिकारियों के सभी प्रकार की सहायता करने के लिए सदैव उपलब्ध रहने का आश्वासन दिया। प्रधानाचार्य प्रोफेसर शिव कुमार ने आगंतुकों का स्वागत किया तथा पूरी तरह से सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि स्कूलों, छात्रों तथा आम लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाना हमारा कर्तव्य है। टीबी के प्रति एक टैबू वाली है जिसे समाज में जन जागरूकता लाकर दूर किया जाएगा। उन्होंने विभागाध्यक्षों से टास्क फोर्स के चेयर पर्सन की ओर से निर्देशित नोटिफिकेशन पर अवश्य ध्यान देने को कहा। इसके साथ ही रोगियों में संशय होने पर टीबी से संबंधित सभी जांचें जरूर कराने को कहा जिसमें विशेष रूप से सीबीनेट और टूनेट पर जोर दिया। अंत में टीबी एवं रेस्पीरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ पंकज पांडेय ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
    कार्यक्रम में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जौनपुर के सचिव डॉ एके मौर्य, जिले के वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ आर ए मौर्या, डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट डॉ निशांत, चिकित्सा महाविद्यालय कोर कमेटी के चेयरपर्सन डॉ एए जाफरी, जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ राकेश कुमार सिंह के प्रतिनिधि डॉ दिनेश, नोडल अधिकारी डॉ अचल सिंह, डॉ सच्चिदानंद के साथ ही अन्य सभी विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद रहे।

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