November 18, 2025

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने को आशा कार्यकर्ताओं को किया गया प्रशिक्षित

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मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने को आशा कार्यकर्ताओं को किया गया प्रशिक्षित

प्रशिक्षण
-हाथ धोना, शिशु का तापमान लेना, वजन करना, कम्बल में लपेटना और ओरआरएस घोल बनाने का तरीका बताया गया
-बच्चे के जन्म के बाद सात बार गृह भ्रमण कर आशा कार्यकर्ता परिजनों को देंगी स्वास्थ्य संबंधी परामर्श

जौनपुर, 14 जनवरी 2023
गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) के लिए शहरी आशा कार्यकर्ताओं को नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) मातापुर पर माड्यूल 6 और 7 का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में मिली जानकारी के आधार पर वह घर -घर जाकर नवजात के परिजनों को जागरूक करेंगी। इससे राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने में मदद मिलेगी। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें हाथ धोना, शिशु का तापमान लेना, वजन लेना, कम्बल में लपेटना और दस्त से बचाव के लिए ओआरएस का घोल बनाना सिखाया गया।
प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ गजेन्द्र सिंह ने बताया कि नवजात के घर पहुंचने पर आशा कार्यकर्ता की सबसे पहली जिम्मेदारी साबुन और पानी से अपना हाथ धुलने की है। इसके लिए सुमन-के विधि का प्रयोग करना चाहिए। ‘सुमन-के’ (SUMAN-K) फार्मूला का ध्यान रखना सभी के लिए बहुत जरूरी है। इसके हर अक्षर में हाथ धोने के वह गूढ़ रहस्य छिपे हैं जो कि हाथों को वायरस या बैक्टीरिया से मुक्त करने में पूरी तरह कारगर हैं । इसके मुताबिक़ ‘स’ का मतलब है कि पहले सीधा हाथ धुलें, ‘उ’ का मतलब है कि उल्टी तरफ से हाथ धुलें, ‘म’ का मतलब है कि मुठ्ठियों को अन्दर से धुलें, फिर ‘अ’ का मतलब है कि अंगूठों को धुलें, ‘न’ बताता है कि नाखूनों को रगड़-रगड़ कर अच्छे से धुलें क्योंकि नाखूनों में आसानी से मैल जमा हो सकती है और आखिर में ‘के’ का मतलब है कि उँगलियों के बाद कलाई को भी धुलना बहुत जरूरी है।
जलालपुर के मेडिकल आफिसर (एमओ) डॉ राजीव भारती ने डिजिटल थर्मामीटर का प्रयोग करते हुए बच्चे का तापमान लेना सिखाया। उन्होंने कहा कि इस समय तापमान लेने का मुख्य उद्देश्य बच्चों का हाइपोथर्मिया से बचाव करना है। उन्होंने कहा कि बच्चों का तापमान 97 से 95.9 डिग्री फारेनहाइट होना चाहिए। 95.9 डिग्री फारेनहाइट से कम तापमान होने पर समझना चाहिए कि शिशु हाइपोथर्मिया का शिकार है। ऐसी स्थिति में उसे प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उसकी देखभाल करनी चाहिए। इसके साथ ही बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखने के लिए उसे कम्बल में लपेटने की विधि भी बताई गई।
मुफ्तीगंज के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ) जल्लू सोनकर ने बताया कि उम्र के साथ बच्चे का विकास होता रहता है। उन्होंने कहा कि 2.5 किलोग्राम से तीन किलोग्राम वजन का बच्चा सामान्य है। उन्होंने 2.5 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों के संभावित खतरों के प्रति आगाह किया। इसके साथ ही वजन करने का तरीका बताया। उन्होंने 2.5 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजने की सलाह दी।
शहरी क्षेत्र के जिला नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक (डीयूएचसी) प्रवीण पाठक ने दस्त से बचाव के लिए ओआरएस घोल बनाने की विधि बताई। उन्होंने कहा कि दस्त की स्थिति में ओआरएस का घोल पिलाने से बच्चे के शरीर में खनिज लवण की कमी नहीं होने पाती है। उन्होंने कहा कि एक लीटर पानी में पूरा एक पैकेट घोलकर 24 घंटे में उसे थोड़ा-थोड़ा पिलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद आशा कार्यकर्ताओं को कुल सात भ्रमण करना है। जन्म के पहले दिन, तीसरे दिन, सातवें, 14वें, 21वें, 28वें और 42वें दिन गृह भ्रमण कर आशा कार्यकर्ता बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा प्रदान करेंगी। गैर सरकारी संस्था के स्वयंसेवी हरिश्चंद्र और डॉ एके त्रिपाठी ने भी प्रशिक्षण प्रदान किया।

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