Jaunpur news अब जौनपुर में भी जगेगी देहदान की अलख
इन्द्रजीत सिंह मौर्य की रिपोर्ट
अब जौनपुर में भी जगेगी देहदान की अलख
दो दशक पहले कानपुर से प्रारम्भ हुआ देहदान का अभियान
जौनपुर। सूबे के अधिकांश जिलों में अपना विस्तार करने के बाद अब जौनपुर जनपद में भी देहदान की अलख जगाने की तैयारी बड़े पैमाने पर शुरू हो गई है।
इस संबंध में जिले के आम नागरिकों को जोड़ने और अभियान को सफल बनाने के लिए मंगलवार को
स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज सिद्धिकपुर में
जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में कानपुर से आये देहदान अभियान प्रमुख मनोज सेंगर व माधवी सेंगर ने बताया कि 15 नवम्बर 2003 को तत्कालीन राज्यपाल उत्तर प्रदेश आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री के आग्रह पर कानपुर के जे० के० कालोनी जाजमऊ स्थित एक कमरे में परिवार के सात सदस्यों द्वारा देहदान संकल्प से प्रारम्भ हुआ । जो अभियान अब युग दधीचि देहदान अभियान के रूप में पूरे प्रदेश के दर्जनों राजकीय मेडिकल कालेजों को अब तक 308 मृत देह दान कर चुका है।
इसमें एम्स रायबरेली और एम्स गोरखपुर भी शामिल हैं। 4000 से अधिक लोगों ने देहदान संकल्प पत्र भर कर दिए हैं, किसी संकल्पकर्ता का निधन होने पर उसके मृत शरीर को पूरे सम्मान के साथ मेडिकल कॉलेज लाया जाता है यहां पर प्रार्थना, पुष्पांजलि एवं मंत्रपाठ करते हुए देह को एनाटॉमी विभाग को सौंप दिया जाता है, इसके बाद उस व्यक्ति के समस्त धार्मिक संस्कार वैदिक रीति से संस्था कानपुर में सम्पन्न कराती है।
मनोज सेंगर ने बताया अभियान का प्रथम देहदान कानपुर देहात के डेरापुर से 21 वर्षीय बउआ दीक्षित का 20 अगस्त 2006 को हुआ था।
सेंगर दंपति ने लिया आजीवन निःसंतान रहने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रोआर बी कमल ने बताया कि सेंगर दम्पति ने अपना दवा व्यवसाय त्याग कर आजीवन निः सन्तान रहने का प्रण करके पूरा जीवन ही देहदान अभियान के नाम कर दिया है। भारतीय समाज में किसी की मृत्यु होने पर उसका चितारोहण और अग्निदाह न हो इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
समाज की इस आस्था से सीधे टकराने वाले और प्रचलित मान्यता को विपरीत दिशा में मोड़ कर समाज की सोच को सकारात्मक परिणाम की ओर प्रेरित करना बड़ा ही कठिन काम था लेकिन सेंगर दंपति के 22 सालों के अथक प्रयासों ने वह संभव कर दिखाया है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
अब हमें पूरा विश्वास है कि उनकी सहायता से हमें भी छात्रों के अध्ययन हेतु मृत शरीर उपलब्ध हो सकेंगे।
बाक्स
क्यों आवश्यक है देहदान
जौनपुर। एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डा भारती यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि मानव देह की आन्तरिक संरचना समझने के लिये प्रथम वर्ष के चिकित्सा छात्रों को अध्ययन हेतु मृत देह की आवश्यकता होती है, आदर्श स्थिति में दस छात्रों पर एक देह होनी चाहिये पर कमी के चलते एक देह पर पच्चीसो छात्रों को सीखना पड़ता है इसी कमी को पूरा करने के लिए देहदान करना इस युग का सबसे बड़ा धर्म है।
बॉक्स
ऐसे करें देहदान का संकल्प
जौनपुर। देहदान संकल्प अभियान की महासचिव माधवी सेंगर ने बताया कि देहदान में एक संकल्प पत्र भरा जाता है। जिसमें एक हलफनामा और आधार की कापी लगती है, परिवार की सहमति आवश्यक है। एक फोटो भी लगेगा, 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति फॉर्म भर सकता है, इसके लिये मनोज सेंगर के फोन नंबर *9839161790 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
कॉलेज की पूर्व प्राचार्या एवं एनाटॉमी की डॉ रुचिरा सेठी ने कहा कि कालेज के एनाटमी विभाग में भी फार्म उपलब्ध है देहदान के इच्छुक यहां भी संपर्क कर सकते हैं, अब यहाँ के महार्षि दधीचि के वंशजों का आवाहन है कि वे आगे आकर अपनी देह का समर्पण मरणोपरान्त राष्ट्र हित में करें।
बाक्स
कौन नही कर सकते देहदान
जौनपुर। अभियान प्रमुख मनोज सेंगर ने बताया कि एच आई वी, हेपेटाइटिस बी, कैंसर, कोविड, सेप्टिसिमिया, शरीर में घाव, अप्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में देह स्वीकार नहीं की जा सकती। कार्यक्रम में अभियान प्रमुख मनोज सेंगर, महासचिव माधवी सेंगर, डीन अकादमिक प्रोफेसर तबस्सुम यासमीन, उप प्रधानाचार्य प्रोफेसर आशीष यादव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ए ए जाफरी, प्रोफेसर उमेश सरोज, डा साधना अजय, डॉ विनोद कुमार, डा अरविंद पटेल, डा सरिता पाण्डेय, डा राजश्री यादव, डा अचल सिंह, डा हमजा अंसारी, डॉ नवीन कुमार, डासंजीव यादव, डा ममता, डा स्वाति विश्वकर्मा,डॉ प्रीति विश्वकर्मा, डा0 आशुतोष सिंह, डा अलीशा अंजुम, डा रेनू , डा पंकज, डॉ जयंत शर्मा, डॉ संदीप के साथ एनाटमी विभाग से डा अर्चना चौधरी एवं डॉ प्रियंका सिंह
अन्य उपस्थित रहे।

