November 18, 2025

जनपद में हाथीपांव के5,252 मरीज चिन्हित

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सीएमओ ने साल में एक बार दवा खाने की अपील की

जौनपुर,

जनपद में वर्ष 2019-20 में लिम्फोडिमा यानि हाथीपांव के 30,871 रोगी चिह्नित हुए थे। जबकि वर्ष 2021-22 में एमडीए अभियान के पहले ही 5,252 हाथीपांव के रोगी चिह्नित हुए। यह आंकड़ा जनपद के स्वास्थ्य विभाग का। विभाग के अनुसार वर्ष 2019-20 में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउन्ड के दौरान जनपद की 50,30,940 आबादी में से 33,87,610 लोगों को दवा खिलाई गई जबकि वर्ष 2020-21 में 52,06,963 जनसंख्या में से 34,98,715 लोगों ने दवा खाई।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि वर्ष 2021-22 में 227 को रुग्णता प्रबंधन प्रशिक्षण तथा एमएमडीपी किट दी गई। शेष को जनवरी में सीएचसी-पीएचसी तथा हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों पर शिविर लगाकर प्रशिक्षण और किट दी जाएगी। उन्होंने 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए राउन्ड के दौरान दवा सेवन की अपील की है।
जिला मलेरिया अधिकारी भानु प्रताप सिंह ने बताया कि फाइलेरिया की दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती तथा अत्यधिक बीमार लोगों को नहीं करना है। शेष सभी लोग साल में एक बार और लगातार पांच वर्ष तक दवा खाकर भविष्य की परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया यदि शरीर के अंदर है तो भी वह दवा के सेवन से समाप्त हो जाता है। दूसरा लाभ दवा खाने से संक्रमित व्यक्ति से उसके परिवार में संक्रमण नहीं फैलता है। यह दवा पूर्णतः सुरक्षित है।

डीएमओ ने बताया कि उचरेरिया बैंकफ्टी संक्रमित मच्छर के काटने पर शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। असल में इसके लक्षण आने में 5-10 वर्ष लग जाते हैं। सिर्फ हल्का बुखार और खांसी आती है। उस समय फाइलेरिया पर किसी का संदेह भी नहीं जाता है। सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार समझकर उसे नजरंदाज कर देते हैं। धीरे-धीरे हाथ-पैरों में सूजन होने लगती है। ऐसी स्थिति में रुग्णता प्रबंधन ही किया जाता है। परिवार के अन्य सदस्यों के भी इससे प्रभावित होने का खतरा बना रहता है। संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर अन्य को संक्रमित कर सकता है। इसलिए दवा खाना आवश्यक है।

रंग लाई मेहनत
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) संस्था की जिला समन्वयक सरिता मिश्रा बताती हैं कि वर्ष 2021 में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खिलाते समय शहरी क्षेत्र के अंतर्गत कटघरा के अलबीरगढ़ टोला, वाजिदपुर की हरिजन बस्ती, मुस्लिम बस्ती और मियांपुर में लोगों ने दवा खाने से मना कर दिया । उनका कहना था कि जब उन्हें फाइलेरिया नहीं है तो वह दवा क्यों खाएं? यही स्थिति सिकरारा ब्लाक अंतर्गत बोधापुर, पीठापुर, हरबल्लमपुर गांव में आशा कार्यकर्ता तथा आशा संगिनी निर्मला के सामने आई थी। इस तरह की स्थितियों का सामना सिर्फ़ इन्हें ही नहीं करना पड़ा। ज्यादातर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने ऐसी स्थितियों का सामना किया लेकिन उन्हें समझाकर दवा खिलाई गई।

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