गर्भवती के पोषण का रखें खास ख्याल, जच्चा-बच्चा होंगे खुशहाल : एसीएमओ

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  • नियमित जांच , पोषणयुक्त भोजन तथा परिवार का भावनात्मक सहयोग भी जरूरी
  • लाल आयरन की गोली के उपयोग से बेहतर होगा बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास 
    जौनपुर, 14 अप्रैल 2022 । गर्भावस्था के दौरान महिला के पोषण का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है । इस दौरान गर्भवती को पोषक आहार न मिलने से बच्चे के कुपोषित होने की संभावना रहती है। गर्भावस्था के दौरान नियमित जांचें, पोषणयुक्त भोजन तथा परिवार का भावनात्मक सहयोग मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए मददगार होते हैं। यह कहना है अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) तथा आरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ सत्य नारायण हरिश्चंद्र का ।
         डॉ हरिश्चंद्र ने कहा कि पूरे गर्भावस्था के दौरान एक महिला का वजन लगभग 10 से 12 किलोग्राम तक बढ़ता है | इसके लिए उन्हें नियमित प्रसव पूर्व जांच, संतुलित व स्वस्थ आहार, जरूरी व्यायाम आदि का परामर्श दिया जाता है। वह बताते हैं कि
  • दिनभर में कम से कम पांच बार गर्भवती भोजन ग्रहण करें, जिसमें से तीन बार मुख्य भोजन और दो बार पौष्टिक नाश्ता होना चाहिए।
    रोजाना के आहार में विभिन्नता होनी चाहिए। इसके लिए निम्न खाद्य समूहों में से रोज कम से कम पांच खाद्य समूहों को अपने आहार में शामिल करे, गहरे रंग की हरी पत्तेदार सब्जी, विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, साबुत दालें और फलियां, अनाज जैसे बाजरा ज्वार रागी और दूध या दूध से बानी चीज़ें। कहीं-कहीं चौरंगा आहार कहा जाता है। चौरंगा आहार जिसमें हरा, लाल, पीला और सफेद आहार शामिल होते हैं, उसके भोजन का हिस्सा होना चाहिए। हरे में हरी पत्तेदार सब्जी शामिल है। लालरंग के लिए मांसाहारी मांस, मछली जबकि शाकाहारी राजमा, सोयाबीन, गहरे लालरंग के फल ले सकते हैं। पीले रंग में दालें तथा सब्जियां, संतरा, नारंगी आदि हैं। सफेद में दूध, दही, अंडा, पनीर तथा दूध से बनी वस्तुएं शामिल हैं।
    गर्भवती को सरकारी स्वास्थ्य इकाई पर एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारी/स्त्री रोग विशेषज्ञ से प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराना चाहिए जिससे प्रसव पूर्व या प्रसव के बाद होने वाली जटिलता की पहचान कर सही समय प्रबंधन एवं उपचार किया जा सके।
    लाल आयरन (IFA) की गोलियों का सेवन जरूरी:
    गर्भावास्था के दौरान आयरन की जरूरत बढ़ जाती है, इसकी कमी से महिला को थकान, चक्कर, समय  से पहले प्रसव और जटिल प्रसव की संभावना बढ़ जाती है I साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुंच सकती है। आयरन की कमी पूरा करने के लिए आयरन युक्त भोजन के साथ रोजाना आयरन की गोली खाने की जरूरत होती है। हीमोग्लोबिन की जांच के आधार पर नजदीकी आशा कार्यकर्ता या एएनएम से सम्पर्क कर इसका उपयोग करना चाहिए। दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन एक आयरन (आईएफए) टैबलेट का सेवन करना चाहिए और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक इसे जारी रखें। सभी गर्भवती यहां तक कि जिन्हें एनीमिया नहीं है उन्हें भी रोजाना लाल आयरन टैबलेट का सेवन करना चाहिए।
    -लाल आयरन की गोली न केवल एनीमिया को कम करती है बल्कि भ्रूण के मस्तिष्क के विकास के लिए भी फायदेमंद होती हैं। कुछ महिलाओं को आयरन की गोली खाने के बाद मितली, चक्कर आदि दिक्कतें होती हैं, इससे बचने के लिए आयरन की गोली को भोजन के एक घंटे बाद सेवन कर लेना चाहिए। गोलियां लेना बंद न करें। ध्यान रहे आयरन और कैल्शियम की गोली को कभी साथ नहीं लेना चाहिए। 
  • गर्भवती को दिन में दो से चार घंटे आराम अवश्य करना चाहिए। गर्भवती को सामान्य दिनों की अपेक्षा डेढ़ गुना ज्यादा भोजन करना चाहिए। पूरे गर्भावस्था के दौरान चार बार प्रसव पूर्व जांचें अवश्य करानी चाहिए जिसमें से दो जांचें चिकित्साधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। प्रसव पूर्व जांचों में हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, वजन, शुगर, एलब्यूमिन व ब्लड ग्रुप की जांचें प्रत्येक चिकित्सा इकाई भ्रमण के दौरान कराई जानी चाहिए। एक बार एचआईवी, सिफलिस और हेपेटाइटिस की भी जांच जरूरी है जिससे कि शिशु को भविष्य में होने वाले संक्रमण से बचाया जा सके। 
  • प्रसव प्रबंधन की भी योजना जरूरी है। इसके लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र का पता, 102 और 108 एम्बुलेंस और क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता का नम्बर जरूरी है।

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