September 20, 2024

क्षय रोग उन्मूलन अभियान – अब मेडिकल स्टोर स्वास्थ्यकर्मी को देंगे टीबी की दवाओं की जानकारी

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क्षय रोग उन्मूलन अभियान – अब मेडिकल स्टोर स्वास्थ्यकर्मी को देंगे टीबी की दवाओं की जानकारी मेडिकल स्टोर के माध्यम से पहुंचेंगे दवा लिखने वाले डॉक्टरों तक, शत-प्रतिशत पंजीकरण कराने का होगा प्रयास निजी क्षेत्र के डॉक्टरों और अस्पतालों की ओर से कम पंजीकरण कराने से रणनीति में किया बदलाव              अब स्वास्थ्यकर्मी मेडिकल स्टोर पर जाकर क्षय रोगियों को दी जाने वाली दवाओं की जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके माध्यम से वह दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों तक पहुंचेंगे और शत-प्रतिशत क्षयरोगियों का पंजीकरण कराने का प्रयास करेंगे। यह बदलाव निजी क्षेत्र के डॉक्टरों और अस्पतालों की ओर से क्षयरोगियों के पंजीकरण में उदासीनता दिखाने की वजह से किया गया है।
जौनपुर 29 जनवरी 2022 (सू0वि)- जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राकेश कुमार ने बताया कि निजी क्षेत्र के डॉक्टरों और अस्पतालों की ओर से क्षय रोगियों के पंजीकरण में जनवरी 2021 की तुलना में जनवरी 2022 की 28 तारीख तक 54 प्रतिशत की कमी का अनुमान है। जनवरी 2021 में निजी क्षेत्र के अस्पतालों की ओर से 125 मरीजों का पंजीकरण कराया गया था जबकि 28 जनवरी 2022 तक मात्र 59 रोगियों का ही निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराया गया है। इस संबंध में विभाग के अधिकारी-कर्मचारी निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के बराबर सम्पर्क में रहे फिर भी लगभग पूरे माह बहुत कम नोटिफिकेशन हो पाया। पिछले वर्ष तक निजी क्षेत्र के क्षय रोगियों के पंजीकरण जिम्मेदारी एक गैर सरकारी संस्था निभा रही थी। निजी क्षेत्र के अस्पतालों में क्षय रोगियों के बेहतर पंजीकरण के लिए क्षयरोग उन्मूलन विभाग की ओर से क्षय रोगियों के बलगम की जांच के लिए पोस्टल सेवा से अनुबंध, निजी क्षेत्र के सभी चिकित्सकों के साथ बैठक, निजी क्षेत्र के अस्पतालों की ओर से नामित एक-एक स्टाफ को निक्षय पोर्टल का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके बावजूद पंजीकरण में गिरावट से राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन अभियान प्रभावित हो रहा है।
           नई व्यवस्था – जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों की ओर से शत-प्रतिशत पंजीकरण दर्ज करवाने के लिए विभाग ने नई रणनीति बनाई है। विभाग की टीमें निजी क्षेत्र के मेडिकल स्टोरों पर जाएंगी। वहां पर क्षय रोगियों द्वारा ली जाने वाली क्षय रोग निरोधी औषधियों के बारे में जानकारी लेंगीं। शेड्यूल-एच-1 के अंतर्गत हर माह की सूचना एकत्रित कर क्षय रोगियों को यह दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों के यहां पहुंचेंगी और हर हाल में उपचाराधीन क्षय रोगियों का पंजीकरण पोर्टल पर अंकित कराएंगी।
           क्षय रोगियों का उपचार करने वाले निजी क्षेत्र के हर डॉक्टर तथा अस्पताल के लिए भारत सरकार के राजपत्र के अनुसार उपचाराधीन सभी क्षय रोगियों की सूचना देना अनिवार्य है। इस दिशा में जिला क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अधिकारियों की ओर से निजी क्षेत्र में सघन मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण का कार्य किया जाएगा। शेड्यूल एच-1 के तहत मेडिकल स्टोरों को निर्देश है कि उनके यहां जो भी क्षय रोगी दवा लेने आए तथा जिस डॉक्टर ने दवा लिखी है, उनके नाम की सूचना विभाग को अनिवार्य रूप से दे दी जाए।
             क्या है शेड्यूल एच-1 मेडिकल स्टोरों पर बिकने वाली क्षय रोग निरोधी दवाओं की सूचना मेडिकल स्टोरों द्वारा एक निर्धारित प्रारूप पर विभाग को उपलब्ध कराई जानी अनिवार्य है। जिला औषधि निरीक्षक के माध्यम से यह सूचना विभाग को मिलती है।
           यहां पर भी क्षय रोग इलाज की सुविधा – राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन अभियान के अंतर्गत कार्यरत जिला कार्यक्रम समन्वयक सलिल यादव बताते हैं कि वर्ष 2021 में क्षयरोगियों के पंजीकरण में जनपद के प्रमुख निजी अस्पतालों में शिवा मेडिकोज (डॉ केएन पांडे), आशादीप हॉस्पिटल (डॉ बीएस उपाध्याय), सुनीता हॉस्पिटल (डॉ आरपी यादव), कमला हॉस्पिटल (डॉ संजय सिंह), लता मेडिकल केंद्र (डॉ आरए मौर्या), श्रद्धा हॉस्पिटल (डॉ पंकज सिंह), कल्पतरु चिकित्सालय (डॉ अरुण कुमार मिश्रा), आशिर्वाद हॉस्पिटल (डॉ विनोद कुमार), आला हॉस्पिटल (डॉ एए जाफरी), जीएचके हॉस्पिटल (डॉ जीएच खान), ईशा हॉस्पिटल (डॉ रजनीश श्रीवास्तव), कुमुद नर्सिंग होम (डॉ क्षितिज शर्मा) के अलावा मां यशोदा हॉस्पिटल, मोहन क्लीनिक, नवनिदानम हॉस्पिटल, सबा नर्सिंग होम, सावित्री नर्सिंग होम, पारुल डायग्नोस्टिक सेंटर, पार्थ हॉस्पिटल, ओम साईं बाल चिकित्सालय, लक्ष्मी हॉस्पिटल, हैप्पी चाइल्ड केयर आदि निजी अस्पतालों से पंजीकरण हुए थे।
            पंजीकरण की स्थिति और डीबीटी के आंकड़े – वर्ष 2020 में 6239 क्षय रोगियों का पंजीकरण हुआ है जिसमें से 4267 सरकारी अस्पतालों से तथा 1972 निजी अस्पतालों से हुआ है। वहीं वर्ष 2021 में 6569 क्षय रोगियों का पंजीकरण हुआ जिसमें से 4644 सरकारी अस्पतालों से तथा 1925 निजी अस्पतालों के मरीज थे। 14 वर्ष तक बच्चों का वर्ष 2019 में 346, वर्ष 2020 में 275 तथा वर्ष 2021 में 272 पंजीकरण हुआ है। इस तरह से तीन वर्षों में 893 बच्चों के क्षय रोग को पंजीकरण हुआ। निक्षय पोषण योजना के तहत वर्ष 2018 में 19.6 लाख रुपए, वर्ष 2019 में 88.77 लाख रुपए, वर्ष 2020 में 2.1 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2021 में 1.74 करोड़ रुपए क्षय रोग उपचाराधीनों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत भेजे गए हैं। इस तरह से इन चार वर्षों में करीब 4.92 करोड़ रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे जा चुके हैं।

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