November 18, 2025

ठाकुरबाड़ी की मेहनत से दो परिवार के पांच लोग क्षय मुक्त

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जौनपुर,

स्वास्थ्य विभाग एक ओर जहां जनपद को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए प्रयासरत है वहीं स्वयं सेवी संस्थाएं भी इस क्षेत्र में अतुलनीय परिणाम दे रही हैं। ऐसा ही मामला आया है सिंगरामऊ स्थित ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति में। इस समिति के विशेष प्रयास से दो परिवारों के पांच लोगों को क्षय रोग मुक्त कराया जा चुका है। समिति के इस पहल पर स्वास्थ्य विभाग भी काफी गौरवान्वित है।
वर्ष 2017 में ब्लाक महराजगंज स्थित भरथी बनकट गांव के टिम्मल के बेटे कैलाश, 30 वर्ष को बुखार, ठंड और भूख न लगने की समस्या शुरू हुई। उसके बड़े भाई राजेश की शादी कोटिया गांव के रामदुलार की बेटी राधा से हुई थी। रामदुलार ने ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति की संचालक डॉ अंजू सिंह से इलाज में सहयोग मिलने की चर्चा सुन रखी थी। इसलिए जानकारी होते ही वह कैलाश को लेकर डॉ अंजू के पास पहुंचे। डॉ अंजू ने कैलाश की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिंगरामऊ में जांच कराई। जांच में क्षय रोग की पुष्टि हुई। समिति के माध्यम से ही कैलाश का इलाज हुआ और छह माह में वह स्वस्थ हो गए। इसके बाद लगभग तीन वर्ष पहले कैलाश की मां शांति देवी (50) को भी यही समस्या हुई तो उनका भी वहीं इलाज कराया और वह भी स्वस्थ हुईं। वहीं जून 2021 में कैलाश के पिता टिम्मल (60) को भी सिरदर्द, कमजोरी और खांसी की समस्या हुई तो उन्होंने महराजगंज में किसी डॉक्टर से 22 दिन इलाज कराया लेकिन आराम नहीं हुआ। उनके समधी कोटिया गांव के राम दुलार उन्हें भी लेकर डॉ अंजू से मिले। डॉ अंजू ने उनकी भी जांच कराई तो क्षयरोग होने का पता चला। फिर डॉ अंजू ने सीएचसी महराजगंज बात कर वहां से दवा शुरू करा दी। टिम्मल के बाद कोटिया के रामदुलार की बेटी वंदना (22) को भी दो वर्ष पहले ऐसी ही समस्या हुई तो उन्होंने अपनी बेटी का भी डॉ अंजू सिंह के माध्यम से साल भर इलाज कराया। समिति से ही पोषण आहार तथा हेल्थ टॉनिक आदि मिले। सालभर पहले वह स्वस्थ हो गईं। वंदना के इलाज के तीन ही महीने बीते थे कि रामदुलार (60) स्वयं भी ऐसी ही दिक्कत महसूस करने लगे तो उन्होंने अपना भी समिति के माध्यम से इलाज कराया। छह माह पहले वह भी स्वस्थ हो गए।

बना भावुक रिश्ता: टिम्मल को महराजगंज में इलाज कराना पसंद नहीं था। उन्हें लगता था कि डॉ अंजू सिंह जैसी देखरेख वहां पर नहीं मिलेगी। उनके समधी रामदुलार भी महराजगंज इलाज कराने के पक्ष में नहीं थे। डॉ अंजू बताती हैं कि एक दिन टिम्मल और रामदुलार भावुक हो गए। बोले -आप हमेशा स्वास्थ्य के बारे में पूछती रहती हैं। इसलिए हम दूसरे ब्लॉक में नहीं जाना चाहते। मेरे परिवार के सभी लोग यहीं से ठीक हुए। इसलिए हमें कहीं और न भेजिए। आपके प्रयास से ही हमें 500 रुपए भी हर महीने मिलते रहे हैं। रामदुलार अब हर क्षय रोगी को समिति में जाने की सलाह देते हैं।

इलाज और दवा होने पर स्वस्थ हो जाने का विश्वास: टिम्मल और रामदुलार समधी हैं। दोनों के परिवारों से कुल पांच लोग स्वस्थ हो चुके हैं। दोनों परिवारों में यह बात घर कर गई है कि समिति के माध्यम से किसी के भी क्षयरोग का इलाज मुफ्त हो जाएगा और नियमित दवा रूप से दवा का सेवन कर कोई भी क्षयरोग मुक्त हो सकता है। इलाज के समय पोषण आहार किट भी मिलेगी और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत खाते में हर महीने 500 रुपए भी आ जाएंगे। इन दोनों परिवारों ने घनश्यामपुर, चांदा में रहने वाले अपने परिचितों को भी इस बात की जानकारी देकर उनका यहां इलाज करवाया।
जिला क्षयरोग अधिकारी डीटीओ डॉ राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि क्षयरोग प्रभावित परिवारों में अब देखा जा रहा है कि पांच वर्ष से छोटे किसी बच्चे को क्षयरोग के लक्षण तो नहीं हैं। लक्षण नहीं होने पर भी क्षयरोग से बचाव के लिए उन्हें छह महीने तक टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है। जांच के दौरान वयस्क या बच्चों में क्षयरोग के लक्षण पाए जाने पर उनका इलाज किया जा रहा है।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान (एनटीईपी) के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) सलिल यादव ने बताया कि क्षय उन्मूलन अभियान को गति देने के लिए जनपद के 199 हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों को सक्रिय किया गया है। जनपद में वर्ष 2022 से अभी तक कुल 7,390 क्षय रोगियों का पंजीकरण हुआ है। इसमें 6,108 सरकारी अस्पतालों के हैं जबकि 1,282 निजी अस्पतालों के हैं। डायरेक्ट बेनीफिसियरी ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए 1.90 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। पब्लिक सेक्टर के अस्पतालों/डॉक्टरों से 6,000 तथा प्राइवेट के डॉक्टरों/अस्पतालों से 2500 क्षयरोगियों को खोजने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि क्षय रोगियों के इलाज के दौरान सरकार 500 रुपए पोषण भत्ता के रूप में देती है।

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