आत्महत्या का आए ख्याल तो मनकक्ष का खटखटाएँ द्वार


आत्महत्या का आए ख्याल तो मनकक्ष का खटखटाएँ द्वार
विश्व आत्महत्या बचाव दिवस
-कई अन्य लक्षणों के आधार पर आत्महत्या करने का कदम उठाने जा रहे व्यक्ति की कर सकते हैं पहचान
-आत्महत्या एक मानसिक आपातकाल, इसे रोका जा सकता है, आत्महत्या के कारणों पर करें चर्चा: डॉ सुमित
जौनपुर, 09/09/2022
जब एक मिलनसार लोगों से अलग-थलग रहने लगे या अलग-थलग रहने वाला लोगों से मिलने-जुलने लगे। घर का जिम्मेदार बीमा पॉलिसी दुरुस्त कराए, लंबे समय के घरेलू विवादों का हल खोजने लग जाए तो परिवार के जिम्मेदारों को सतर्क हो जाना चाहिए। जिला अस्पताल स्थित मनकक्ष में एक बार सम्पर्क अवश्य कर लेना चाहिए। संभव है कि वह आत्महत्या करने से पूर्व मन में आने विचारों के साथ जी रहा हो। मनकक्ष में ऐसी ही स्थितियों की काउंसलिंग होती है।
मनकक्ष के साइक्रेटिस्ट कंसल्टेंट डॉ सुमित कुमार सिंह कहते हैं कि आत्महत्या करने से पहले मन में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। वह सोचने लगता है कि उसकी जीने की इच्छा नहीं है। घर का कमाऊ व्यक्ति आत्महत्या करने से पहले सोचता है कि मेरे न रहने पर मेरा घर कैसे चलेगा। वह उसकी व्यवस्था कर जाने की कोशिश करता है। जिसे लगता है कि आत्महत्या कर सारी तकलीफों से मुक्त हो जाएगा, वह आत्महत्या का दिन करीब आने पर खुश होने लगता है। इसलिए लोगों से अलग थलग रहने वाला लोगों से मिलने जुलने लगता है।
डॉ सिंह कहते हैं कि आत्महत्या एक मानसिक आपातकाल है। इसे रोका जा सकता है। इसलिए आत्महत्या के कारणों का विश्लेषण कर उस पर बेझिझक चर्चा करनी चाहिए। जिन कारणों के चलते आत्महत्या हो रही है उन्हें पहचान कर रोका जा सकता है। लोगों को जागरूक किया जा सकता है। आत्महत्या रोकने, इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या बचाव दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से ऐसे लक्षण दिखने सतर्क करने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने बताया कि पुराने गंभीर मानसिक रोगी के आत्महत्या करने का हमेशा खतरा रहता है। आत्महत्या करने में नशा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नशे की वजह से उसे समाज में प्रताड़ना मिलती है। नशे की वजह से उसका उधार ज्यादा हो चुका होता है। नशे में सोचने की शक्ति कम हो जाती है। नशा बहुत से मानसिक रोगों का कारण है। वह कहते हैं कि जब विवाहित जोड़े अकेले रहने लगते हैं। लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दें तो उनसे आत्महत्या के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।
वह बताते हैं कि जनपद में कर्ज लेने, मौसम खराब होने से फसल का नुक़सान होने से किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी गई है। शराब, गांजा, कप सीरप, तम्बाकू का नशे के तौर पर सेवन करने वालों में भी आत्महत्या के मामले आते हैं। रोजमर्रा की तनावपूर्ण जिंदगी भी आत्महत्या की तरफ ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यहां होगा आयोजन: मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की ओर से जिले के सभी सामुदायिक (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) तथा अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्साधिकारियों और अधीक्षकों को पत्र जारी कर 10 सितंबर को जनजागरूकता के लिए विश्व आत्महत्या बचाव दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्देश दिया है।