September 20, 2024

अब खांसने के तरीके से हो सकेगी टीबी की पहचान स्वास्थ्य विभाग तैयार किया ‘कफ कलेक्शन एप’ क्षय रोग उन्मूलन

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  • जिले में 95 लोगों की आवाज के नमूने भेजने की जिम्मेदारी
  • अ, ई, ओ, एक से लेकर 10 तक गिनती बोलने की आवाज होगी रिकॉर्ड
    जौनपुर, 04 फरवरी 2022।
    सेंट्रल टीबी डिवीजन, क्षयरोगियों व बिना लक्षण वाले लोगों की आवाज के आधार पर पहचान करने के संबंध में शोध कर रहा है। इस क्रम में एक नए एप ‘कफ कलेक्शन एप’ को तैयार किया है जो टीबी मुक्त भारत की दिशा कारगर साबित होगा। इसके लिए जौनपुर के क्षयरोग विभाग को क्षयरोगियों सहित 95 लोगों की आवाज के नमूने भेजने की जिम्मेदारी है। विभाग का मानना है यदि आवाज के आधार पर पहचान करने में कामयाबी मिली तो क्षयरोगियों का इलाज करने में शीघ्रता हो जाएगी।
        जिला क्षयरोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2025 तक क्षयरोग उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इसके चलते सेंट्रल टीबी डिवीजन नई दिल्ली क्षयरोगियों को खोजने की नई तकनीक पर काम कर रहा है। इस क्रम में खास तरह के नए एप ‘कफ कलेक्शन एप’ को तैयार किया है। इसके लिए देशभर से 25,000 क्षयरोगियों के आवाज के नमूने लिए जा रहे हैं। इन मरीजों की आवाज एप पर अ, ई, ओ बोलने तथा खांसी की आवाज निकालने पर रिकॉर्ड की जा रही है जिसके आधार पर क्षयरोग की पहचान की जाएगी। जौनपुर में कुल 95 संभावित क्षयरोगियों की आवाज रिकॉर्ड करने का लक्ष्य मिला है। इन आवाजों को पाँच श्रेणियों में रखा गया है। पहली श्रेणी में पल्मोनरी (फेफड़े की टीबी) के कन्फर्म मरीज हैं। दूसरी श्रेणी में वह मरीज होंगे जो सीबीनेट या ट्रूनेट में कन्फर्म पाए गए हैं। तीसरी श्रेणी में एक्स-रे के आधार पर कन्फर्म हुए क्षयरोगी हैं। चौथी श्रेणी में ऐसे मरीज आते हैं जिनमें टीबी के लक्षण हैं लेकिन जांच में टीबी की पुष्टि नहीं हुई है। पांचवीं श्रेणी में ऐसे लोग आते हैं जो किसी न किसी तरह से क्षयरोगियों के सम्पर्क में हैं। जिला क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि आवाज के आधार पर क्षयरोगियों को पहचानना संभव हुआ तो क्षयरोगियों की पहचान कर उसका शीघ्र उपचार किया जा सकेगा।
       क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) सलिल यादव ने बताया कि इस गतिविधि में मोबाइल एप ‘कफ कलेक्शन एप’ का उपयोग करते हुए संभावित क्षयरोगियों के आवाज की कुल चार प्रकार से रिकार्डिंग की जाती है। पहली प्रकार में मरीज एक से लेकर 10 तक की गिनती की आवाज निकालता है। दूसरे में उसके खांसने की रिकार्डिंग की जाती है जिसमें उसे तीन बार खांसना पड़ता है। तीसरी रिकार्डिंग में मरीज आ, ई, ओ की आवाज निकालता है। चौथी रिकार्डिंग में बैकग्राउंड साउंड की रिकार्डिंग होती है। इस क्रम में जनपद की 21 टीबी यूनिटों के माध्यम से कुल 95 लोगों के आवाज के सैम्पल की रिकॉर्डिंग कराई गई है जिसे एप के माध्यम से राज्य स्तर पर भेजा गया है। संभावित सभी मरीजों की जांच माइक्रोस्कोपी, सीबीनेट और एक्स-रे के आधार पर कराते हुए उनके टेस्ट का परिणाम भी निक्षय पोर्टल पर अपडेट किया जा रहा है। यह प्रयोग सफल रहा तो क्षयरोगियों की पहचान करना बहुत आसान हो जाएगा। इससे उनकी जांच का खर्च बचेगा और इलाज भी अविलम्ब शुरू हो जाएगा। साथ ही 2025 तक क्षयरोग समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित होगा।
    अभी तक की पंजीकरण की स्थिति और डीबीटी के आंकड़े: वर्ष 2020 में 6239 क्षयरोगियों का पंजीकरण हुआ है जिसमें से 4267 सरकारी अस्पतालों से तथा 1972 निजी अस्पतालों से हुआ है। वहीं 2021 में कुल 6569 क्षयरोगियों का पंजीकरण हुआ जिसमें से 4644 सरकारी अस्पतालों से तथा 1925 निजी अस्पतालों के मरीज थे। 14 वर्ष तक बच्चों का वर्ष 2019 में 346, 2020 में 275 तथा 2021 में 272 पंजीकरण हुआ है। इस तरह से इन तीन वर्षों में 893 बच्चों के क्षयरोग को पंजीकरण हुआ। निक्षय पोषण योजना के तहत 2018 में 19,60,000 रुपए, 2019 में 88,77,500 रुपए, 2020 में 2,10,00,000 रुपए तथा 2021 में 1,74,05,500 रुपए क्षयरोग उपचाराधीनों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत भेजे गए हैं। इस तरह से इन चार वर्षों में 4,92,43,000 रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे जा चुके हैं। इस सप्ताह 1,186 क्षयरोगियों के लिए 12.3 लाख रुपए की धनराशि भेजने की प्रक्रिया में है। क्षयरोगियों के नोटिफिकेशन के क्रम में निजी क्षेत्र के डॉक्टरों/हास्पिटलों को 17.60 लाख रुपए का भुगतान इस सप्ताह किया जाएगा। 

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