पांच वर्ष तक लगातार दवा का सेवन कर कोई भी हो सकता है फाइलेरिया से सुरक्षित

फाइलेरिया मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी निभा रहीं आशा
-3,972 आशाओं पर जनपद के 52 लाख से अधिक आबादी को फाइलेरिया मुक्त बनाने की जिम्मेदारी
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जौनपुर,
केस 1
सिरकोनी ब्लाक अंतर्गत बदलपुर गांव के बैजनाथ यादव की पत्नी लाची देवी, उम्र 50 वर्ष के पैर में सूजन है। यह सूजन रात में सोते समय कम हो जाती है जबकि दिन में बढ़ जाती है। वहां की आशा कार्यकर्ता सबिता सरोज ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिरकोनी ले जाकर जांच कराई तो पता चला कि उन्हें फाइलेरिया है। ऐसे ही शिवनाथ मौर्य की पत्नी बसंती मौर्य, 60 वर्ष का पैर सूजा रहता है। उन्हें एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा जरूर खिलाती हैं जबकि पैर में चोट से बचाव करने और साफ- सफाई की सलाह देती हैं। ऐसे ही राज नरायन मौर्य, 70 वर्ष रामबली यादव की पत्नी शीला यादव, 47 वर्ष और धरमजीत यादव की पत्नी शीला यादव, 40 वर्ष को पहले से फाइलेरिया है। आशा इन सभी को दवा खिलाने का पूरा ख्याल रखती हैं।
केस 2
सिरकोनी ब्लाक अंतर्गत नाथूपुर की रूबीना, उम्र 35 वर्ष के पैर में सूजन थी। वहीं चंद्रावती, 50 वर्ष पत्नी राम अचल तथा लीलावती, 56 वर्ष पत्नी रामजी यादव के भी पैर में सूजन है लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उन्हें फाइलेरिया है। वहां की आशा प्रमिला यादव ने उनकी जांच कराई तो वह फाइलेरिया पाज़िटिव निकलीं। मेहरुन्निसा, 46 वर्ष पत्नी मोहम्मद नईम ने कहीं जांच कराई तो पता चला कि उन्हें फाइलेरिया है। निर्मला, 55 वर्ष पत्नी राम किशुन को 10 वर्ष से अधिक समय से फाइलेरिया है। आशा प्रमिला यादव ने इन सभी का ख्याल रखती हैं। उन्हें फाइलेरिया रोधी दवा खिलाती हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाकर सहयोग करती हैं।
यह दो आशा कार्यकर्ता तो उदाहरण मात्र हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि जनपद में ऐसी कुल 3,972 आशा कार्यकर्ता हैं जो फाइलेरिया मरीजों को चिह्नित करने, उनका इलाज करवाने तथा समय पर दवा खिलाने की जिम्मेदारी निभा रही हैं। उन्होंने बताया कि दो सदस्यीय 3,994 टीमें 10 से 27 फरवरी तक चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान के दौरान अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगी। उन्होंने बताया कि पांच वर्ष तक लगातार दवा का सेवन कर कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया से सुरक्षित हो सकता है।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) भानु प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 2021 में एमडीए अभियान से पहले ही जनपद में 5,252 लिम्फोडिमा (हाथीपांव) तथा 1551 हाइड्रोसील के रोगी चिह्नित हुए थे। अभियान के दौरान जनपद की 52,06,963 आबादी में से 44,52,415 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य था। इसमें से 34,98,715 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई गई। इस बार जनपद में जनपद में कुल 47 लाख लाभार्थियों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। अभियान के दौरान छह से आठ लाख के बीच बच्चों को दवा खिलाने की तैयारी की गई है।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) भानु प्रताप सिंह ने बताया कि फाइलेरिया की दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती तथा अत्यधिक बीमार लोगों को नहीं करना है। शेष सभी लोग साल में एक बार और लगातार पांच वर्ष तक दवा खाकर भविष्य की परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया यदि शरीर के अंदर है तो भी वह दवा के सेवन से समाप्त हो जाता है। दूसरा लाभ दवा खाने से संक्रमित व्यक्ति से उसके परिवार में संक्रमण नहीं फैलता है। यह दवा पूर्णतः सुरक्षित है।
डीएमओ ने बताया कि उचरेरिया बैंकफ्टी संक्रमित मच्छर के काटने पर शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। असल में इसके लक्षण आने में 5 से 10 वर्ष लग जाते हैं। सिर्फ हल्का बुखार और खांसी आती है। उस समय फाइलेरिया पर किसी का संदेह भी नहीं जाता है। सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार समझकर उसे नजरंदाज कर देते हैं। धीरे-धीरे हाथ-पैरों में सूजन होने लगती है। ऐसी स्थिति में रुग्णता प्रबंधन ही किया जाता है। परिवार के अन्य सदस्यों के भी इससे प्रभावित होने का खतरा बना रहता है। संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर अन्य को संक्रमित कर सकता है। इसलिए दवा खाना आवश्यक है।
