December 13, 2025

Jaunpur news शिक्षक के खिलाफ फर्जी जाँच शिकायत करने पर कोर्ट ने पूर्व चेयरमैन डॉ आशाराम पर ठोंका जुर्माना

Share

शिक्षक के खिलाफ फर्जी जाँच शिकायत करने पर कोर्ट ने पूर्व चेयरमैन डॉ आशाराम पर ठोंका जुर्माना

गौराबादशाहपुर, जौनपुर।

धर्मापुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय किरतापुर के प्रधानाध्यापक मुन्नालाल यादव को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी। उनके विरुद्ध जांच आदेश की मांग करने वाली याचिका खरिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार का अर्थदण्ड लगाया है। याचिकाकर्ता डॉ0 आशाराम पूर्व चेयरमैन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने मुन्नालाल यादव प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय किरतापुर, धर्मापुर जौनपुर की नियुक्ति को संदिग्ध बताते हुए माननीय उच्च न्यायालय में वृहद जाँच हेतु याचिका संख्या A-19620/2025 दायर की थी।
इसके पहले भी डॉ0 आशाराम ने इस सम्बंध में कई पत्राचार बेसिक शिक्षा विभाग एवं अन्य जांच एजेंसियों से करते हुए शिकायत की थी। उच्च न्यायालय में जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच में इस केस की सुनवाई हुई। जिसमें वादी मुकदमा की तरफ से एडवोकेट अभिषेक भूषण और एडवोकेट मनीष सिंह ने जिरह की।
जबकि प्रतिवादी पक्ष से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल तेजभान सिंह ने पैरवी की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि याचिकाकर्ता का कोई सीधा हित प्रभावित नहीं हो रहा है न तो उसके संवैधानिक अधिकारों का क्षरण हुआ है। ऐसे में तृतीय पक्षकार के रूप में यह याचिका शिक्षक को महज मानसिक रूप से दबाव में लेने हेतु की गई है। न्यायालय ने अन्य कई निर्णयों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता की रिट खारिज कर दी। इसके साथ ही गलत मंशा से दबाव बनाने और कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने का दोषी पाते हुए याचिकर्ता डॉ0 आशाराम पूर्व चेयरमैन पर एक लाख रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया जिसे वादी मुकदमा के विद्वान अधिवक्ता की मर्सी अपील के बाद दस हजार रुपये कर दिया गया।
उच्च न्यायालय की कोर्ट नं0 2 में सुने गए इस मुकदमे के प्रतिपक्षी मुन्नालाल यादव प्रधानाध्यापक ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्य परेशान तो हो सकता है किंतु पराजित नहीं।
मुन्नालाल यादव ने बताया कि शिकायतकर्ता डॉ0 आशाराम गलत और भ्रामक आरोप लगाकर विभाग में लंबे समय से शिकायती प्रार्थना पत्र दे रहे थे। जिसका मन्तव्य मानसिक दबाव बनाना मात्र था। किंतु माननीय न्यायालय द्वारा राहत दिए जाने और झूठी शिकायत करने वाले को अर्थदण्ड लगाए जाने के बाद न्यायप्रणाली पर उनका विश्वास और भी गहरा हो गया है।

About Author