Jaunpur news बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, धान की फसल बर्बाद — गेहूं की बुआई पर भी संकट
 
                
बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, धान की फसल बर्बाद — गेहूं की बुआई पर भी संकट
ग्राउंड रिपोर्ट मछलीशहर (जौनपुर
लगातार तीन दिनों से जारी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। गुरुवार की रात तेज हवाओं और मूसलाधार बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि शुक्रवार की सुबह मछलीशहर तहसील क्षेत्र के खेतों में किसानों की मेहनत डूबती नजर आई। कई खेतों में पकी हुई धान की फसल लोट गई, जबकि जिन किसानों ने फसल काट ली थी, उनका धान पूरी तरह भीग गया। खेतों में पानी भर जाने से फसल सड़ने का खतरा बढ़ गया है।
यह तस्वीर मछलीशहर विकास खंड के बामी गांव की है, जहां शुक्रवार सुबह किसान अपनी गिरी हुई फसल की बालियों को सड़ने से बचाने के लिए ऊपर उठा रहे थे। किसान शैलेन्द्र सिंह ने बताया, “अब जब खेतों में पानी भर गया है, तो हार्वेस्टर चल पाना मुश्किल होगा।” उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा नुकसान उन किसानों को हुआ है जिन्होंने हाल में धान की सिंचाई इस उम्मीद में की थी कि उसी नमी से गेहूं की बुआई भी हो जाएगी, लेकिन बारिश ने उनकी दोनों उम्मीदें तोड़ दीं।
गांव के ही किसान राजनाथ पाल अपने खेत की धराशायी फसल दिखाते हुए बोले, “ऐसी तबाही की कल्पना भी नहीं की थी।” मछलीशहर-जंघई हाईवे से गुजरते हुए हर गांव — मोलनापुर, गोधना, अदारी, तिलौरा, जमुहर, करौदी, भाटाडीह, कोटवां, ताजुद्दीनपुर — में यही नजारा है। कहीं खड़ी फसल गिरी पड़ी है, कहीं कटी हुई फसल पानी में सड़ रही है।
सुबह अपने खेतों का हाल देखने पहुंचे किसानों के चेहरों पर मायूसी साफ झलक रही थी। उधर, खेतों में बगुलों का झुंड गिरे हुए धानों के बीच ‘आपदा में अवसर’ तलाशता दिखा। यही दृश्य मछलीशहर-रायबरेली राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित पवांरा, कुंवरपुर, खरुआंवा, खाखोपुर और रामपुर कला गांवों में भी देखने को मिला।
फिर भी किसानों की उम्मीदें टूटी नहीं हैं। मछलीशहर-जंघई रोड पर सुबह साढ़े सात बजे ही सैकड़ों किसान तुलापुर साधन सहकारी समिति पर खाद लेने के लिए लाइन में खड़े दिखाई दिए — चेहरे उदास, मगर मन में अगले मौसम की तैयारी।
बारिश के साथ गलन भी बढ़ गई है। दो दिन पहले जो लोग टी-शर्ट में घूम रहे थे, अब स्वेटर और जैकेट निकाल चुके हैं। मछलीशहर-वाराणसी और मछलीशहर-रायबरेली हाईवे पर रेनकोट पहने बाइक सवार भीगते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे, जबकि चारपहिया वाहन पानी के छींटे उड़ाते बेपरवाह चलते दिखे।
हार्वेस्टर चालक संतोष सिंह (महुआरी गांव) ने बताया, “अगर आज बारिश थम भी जाए तो कम से कम आठ से दस दिन बाद ही खेतों में हार्वेस्टर चल पाएंगे।”
बेमौसम बारिश ने किसानों पर दोहरी मार डाली है — धान की फसल बर्बाद, और सरसों, चना, मटर, आलू की बुआई भी पीछे धकेल दी गई है। अब सबकी निगाहें आसमान पर टिकी हैं — कि शायद अगली सुबह राहत लेकर आए।

 
                         
                                         
                                        