Jaunpur news परमात्मा के अनुग्रह के सामने कोई मनुष्य छोटा नहीं होता है: नारायणान्द तीर्थ महराज

परमात्मा के अनुग्रह के सामने कोई मनुष्य छोटा नहीं होता है: नारायणान्द तीर्थ महराज
परमात्मा के अनुग्रह के सामने कोई भी मनुष्य छोटा नहीं होता है। उनके लिए सभी समान हैं किसी आधार पर कोई भेद नहीं है। परमात्मा के प्रति विनम्रतापूर्वक समर्पित होने पर लोग सारे पापों से मुक्त हो जाते हैं।माया की लीला ही ऐसी है कि जो दूसरों को पापी समझेगा वह स्वयं पापी हो जायेगा। महात्मा तो आत्मा के रूप में ही परमात्मा का साक्षात्कार कर लेते हैं।अच्छे पुत्र माता-पिता को और अच्छे शिष्य गुरु को सुख प्रदान करते हैं। वह संस्कार के चलते उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। ताड़का वध के समय राम को ताड़का के स्त्री होने से बध करने में थोड़ी हिचक हुई लेकिन जैसे ही ताड़का को लेकर गुरु ने उसके धर्म विरोधी कृत्यों को समझाया राम ने गुरु की आज्ञा को सर्वोपरि मान ताड़का पर तीर चला दिया।राम भी पढ़ें लिखे थे लेकिन विश्वामित्र से अधिक तर्क नहीं किये। संयोग देखिये कृष्णावतार में भी कृष्ण का सामना सबसे पहले पूतना से ही हुआ जो एक स्त्री थी लेकिन भगवान कृष्ण ने भी उसे दंड देने में देरी नहीं की। अहिल्या के उद्धार में भगवान राम ने गुरु की आज्ञा से शिला को पैर से स्पर्श किया लेकिन अहिल्या के शिला स्वरुप से स्त्री बनते ही अहिल्या से पहले उन्होंने स्वयं प्रणाम किया। भगवान राम चाहे माता पिता की आज्ञा रही हो चाहे गुरु की उसे मानने में सदैव अपना सौभाग्य समझते रहे।
यह बातें विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में चल रही राम कथा के पांचवें दिन अनंत श्री विभूषित काशी धर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणान्द तीर्थ जी महाराज ने पंडाल में कथा श्रवण के लिए पधारे श्रोताओं से कही।कथा समापन पर जौनपुर सहित आस -पास के अन्य जनपदों से पधारे भक्तों ने उनकी आरती की।