Jaunpur news भारतीय राजनीति के पुरोधा राजा यादवेन्द्र दत्त की पुण्यतिथि पर विशेष श्रद्धांजलि
भारतीय राजनीति के पुरोधा राजा यादवेन्द्र दत्त की पुण्यतिथि पर विशेष श्रद्धांजलि
जौनपुर।
जौनपुर रियासत के 11वें नरेश राजा यादवेन्द्र दत्त दुबे भारतीय राजनीति के ऐसे पुरोधा रहे, जिन्होंने संघ, जनसंघ और भाजपा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका जन्म 07 दिसंबर 1918 को जौनपुर राजमहल में हुआ था। पिता राजा श्री कृष्ण दत्त के निधन के बाद 27 वर्ष की आयु में उनका राजतिलक हुआ।
राजा साहब कुशाग्र बुद्धि और राजनीतिक दृष्टि के धनी थे। नानाजी देशमुख, गुरुजी माधवराव गोलवलकर, पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र जैसे दिग्गज नेता समय-समय पर उनकी हवेली में आते रहे। वे तीन बार विधायक और दो बार सांसद रहे तथा उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बने।
राजनीति के साथ ही वे कुशल शिकारी, साहित्यकार और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता थे। उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिनमें दो पुरस्कृत भी हुईं। अपनी राजसी पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने कभी सरकारी साधनों का लाभ नहीं लिया, बल्कि अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा जनसंघ के प्रचार-प्रसार में लगाया।
जीवनकाल में तीन बार जेल भी गए—गांधी हत्या कांड में गलत आरोप, राममंदिर आंदोलन और आपातकाल के दौरान। लेकिन वे हमेशा निष्कलंक सिद्ध हुए।
09 सितम्बर 1999 को वाराणसी के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी अंतिम यात्रा में उमड़े जनसैलाब को लोग आज भी याद करते हैं।
प्रो. अखिलेश्वर शुक्ला (पूर्व प्राचार्य/विभागाध्यक्ष- राजनीति विज्ञान, राज पीजी कॉलेज, जौनपुर) ने कहा कि–
“राजा साहब का त्याग, तपस्या और योगदान आज की केंद्र व राज्य सरकार की नींव है। हम सभी जौनपुर वासियों को उनके गौरवशाली व्यक्तित्व और कृतित्व पर गर्व है।”
