Jaunpur news महिलाओं ने श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया ललही छठ माता का पर्व

महिलाओं ने श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया ललही छठ माता का पर्व
जौनपुर, 14 अगस्त। जिलेभर में ललही छठ माता का पर्व आस्था और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। शहर से लेकर गांव-गांव तक महिलाओं ने सामूहिक रूप से व्रत एवं पूजन किया। इस अवसर पर दही, महुआ और विभिन्न फलों का प्रसाद अर्पित किया गया तथा पुत्र की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए माताओं ने निर्जला व्रत रखा।
ललही छठ का व्रत केवल वे माताएं करती हैं जिनके पुत्र होते हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान बलराम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित होता है, जिसे हल षष्ठी या हल छठ भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से दो दिन पूर्व उनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलराम को बलदेव, बलभद्र और बलदाऊ नामों से भी जाना जाता है तथा उन्हें शेषनाग का अवतार माना जाता है। हल और मूसल उनके प्रिय अस्त्र थे, इसी कारण इस दिन किसान हल, मूसल और बैल की पूजा भी करते हैं।
इस व्रत में महिलाएं अनाज का सेवन नहीं करतीं। गाय का दूध और दही वर्जित माना जाता है, जबकि भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है। व्रतधारी महिलाएं महुआ की दातुन करती हैं तथा तालाब में उगे तिन्नी या पसही के चावल ग्रहण करती हैं।
पूजन के लिए गोबर से घर की दीवार पर हर छठ माता का चित्र बनाया जाता है और गणेश व माता गौरा की पूजा की जाती है। कई स्थानों पर महिलाएं तालाब के किनारे या घर में कृत्रिम तालाब बनाकर उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं। इसके चारों ओर महिलाएं एकत्र होकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं और हल षष्ठी की कथा का श्रवण करती हैं।
