Jaunpur news क्या थमेगी नशाखोरी की रफ्तार?

क्या थमेगी नशाखोरी की रफ्तार?
शराब बन रही सामाजिक विघटन का कारण, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप
Jaunpur news मछलीशहर। नशे की लत अब केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं रही, बल्कि यह सामाजिक विघटन का गहराता कारण बनती जा रही है। चाहे बुजुर्ग हों या युवा, हर आयु वर्ग इसकी गिरफ्त में आता जा रहा है। यह प्रवृत्ति अब घर की दीवारों से निकलकर सड़कों पर भयावह रूप ले चुकी है।
हाल ही में मछलीशहर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित गोधना तिराहे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति नशे की हालत में हाईवे के बीचों-बीच लेटे नजर आ रहे हैं। वीडियो भले ही किस दिन का है यह स्पष्ट न हो, लेकिन यह दृश्य समाज को आईना दिखा गया है।
उक्त हाईवे पर मछलीशहर से जंघई तक कई शराब के ठेके खुले हैं, जहां से आसानी से नशे का सामान मिल जाता है। नशे में धुत लोगों की सड़क पर लुड़कती तस्वीरें अब आम हो चुकी हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। तेज रफ्तार वाहनों के बीच इस तरह की घटनाएं कभी भी जानलेवा साबित हो सकती हैं।
और भी अधिक चिंता की बात यह है कि सरकार द्वारा बच्चों की शैक्षिक जरूरतों के लिए दिए जाने वाले ₹1200 की राशि—जिसका उपयोग ड्रेस, बैग, जूते और मोजे के लिए होना चाहिए—कुछ अभिभावकों द्वारा नशे में उड़ा दी जा रही है। यह नशाखोरी की जड़ें घर के भीतर तक गहरी पैठ बना चुकी हैं।
आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनज़र यह समस्या और गंभीर होती दिख रही है। चुनावी मौसम में शराब की खपत में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जाती है, जिससे सामाजिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित होता है।
स्कूल और कॉलेज स्तर के किशोर भी नशे की चपेट में आ रहे हैं। गुटखा, पान मसाला जैसी आदतें अब सामान्य हो चुकी हैं। सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर लाल पीक की छींटें न केवल गंदगी फैला रही हैं, बल्कि गिरते सामाजिक स्वास्थ्य की गवाही भी दे रही हैं।
यह समस्या महज़ पुलिसिया कार्रवाई या जुर्माने से नहीं सुलझेगी। इसके समाधान के लिए शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन को एकजुट प्रयास करने होंगे।
अब प्रश्न यही उठता है—क्या कभी इस अंधकार की सुबह होगी? क्या टूटेंगी नशे की ये बेड़ियां, जो हमारे समाज को जकड़ती जा रही हैं?