Jaunpur news खरीफ फसलों को खरपतवार से बचाने के लिए किसान अपनाएं उचित रसायनिक विधियाँ : कृषि रक्षा अधिकारी

खरीफ फसलों को खरपतवार से बचाने के लिए किसान अपनाएं उचित रसायनिक विधियाँ : कृषि रक्षा अधिकारी
जौनपुर।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसान भाइयों को जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में खरीफ फसलों की बुवाई का कार्य जारी है। इस मौसम में धान, मक्का, अरहर, मूंग, उर्द और गन्ना जैसी फसलें प्रमुख रूप से बोई जाती हैं। इन फसलों को सबसे अधिक नुकसान खरपतवारों से होता है, इसलिए समय रहते नियंत्रण आवश्यक है।
धान में खरपतवार नियंत्रण हेतु सुझाव:
धान की रोपाई के 2-3 दिन के भीतर खेत में लगभग 2 इंच पानी भरकर निम्न रसायनों में से किसी एक का छिड़काव करें:
- ब्यूटाक्लोर 50% ईसी: 3–4 लीटर प्रति हेक्टेयर
- प्रिटिलाक्लोर 30% ईसी: 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर
- बिस्पाइरीबैग सोडियम 10% एससी: 0.20 लीटर प्रति हेक्टेयर
(इसका छिड़काव रोपाई के 15-20 दिन बाद करें, नमी की स्थिति में 500 लीटर पानी में घोलकर)
मक्का, ज्वार और बाजरा के लिए:
- एट्राजिन 50% डब्ल्यूपी: 2 किलो प्रति हेक्टेयर
- ड्यूरान 80% डब्ल्यूपी: 1.5–2 किलो प्रति हेक्टेयर
(500–700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें)
उर्द एवं मूंग के लिए:
बुवाई के 10 दिन बाद
- ईमेजाथापर 10% ईसी: 750–1000 मि.ली. प्रति हेक्टेयर
(500–600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें)
गन्ने के लिए:
मानसून शुरू होने तक खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं, जिनके नियंत्रण के लिए निम्न रसायनों का प्रयोग करें:
- एट्राजिन 50% डब्ल्यूपी: 1–4 किलो प्रति हेक्टेयर
- मेट्रीब्यूजिन 70% डब्ल्यूपी: 2–3 किलो प्रति हेक्टेयर
(500–700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें)
कृषि रक्षा अधिकारी ने किसान भाइयों से अपील की है कि वे खरपतवार नियंत्रण के लिए बताए गए रसायनों को नजदीकी कृषि रक्षा इकाई से क्रय करें और उचित मात्रा में ही प्रयोग करें, जिससे फसल को सुरक्षित और उपज में वृद्धि सुनिश्चित की जा सके।