Jaunpur news संघर्ष और समर्पण से खड़े प्राथमिक स्कूल आज मर्जर की भेंट चढ़ रहे: डॉ. आशुतोष त्रिपाठी

संघर्ष और समर्पण से खड़े प्राथमिक स्कूल आज मर्जर की भेंट चढ़ रहे: डॉ. आशुतोष त्रिपाठी
जौनपुर।
Jaunpur news कभी जिन स्कूलों की नींव किसानों की उपजाऊ ज़मीन, माताओं के आंगन और ग्रामीणों के नि:स्वार्थ श्रम से रखी गई थी, आज वही प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय मर्जर (विलय) की सरकारी नीति के चलते संकट के दौर से गुजर रहे हैं।
भौतिकी प्रवक्ता, मोहम्मद हसन पी.जी. कॉलेज के डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि गांवों में स्थापित सरकारी विद्यालय केवल शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि ग्रामीण चेतना, संघर्ष और सामूहिक त्याग के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि ये विद्यालय किसी सरकारी अधिग्रहण का परिणाम नहीं थे, बल्कि ग्रामीणों की स्वेच्छा से दी गई भूमि और श्रमदान से बने थे।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि किसी बुजुर्ग ने खेत की उपजाऊ ज़मीन स्कूल को समर्पित की, तो किसी महिला ने अपने घर का आंगन दे दिया। ग्रामीणों ने बिना किसी मजदूरी के भवन निर्माण में हाथ बंटाया—पत्थर ढोए, ईंटें रखीं और सपनों की इमारत खड़ी की। ऐसे विद्यालयों का उद्देश्य था कि गांव के बच्चे दूर न जाएं, यहीं पढ़ें और आगे बढ़ें। यह शिक्षा के प्रति आत्मनिर्भर सोच और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना का प्रतीक था।
लेकिन आज उसी ज़मीन पर खड़े स्कूलों में बच्चों की चहल-पहल खत्म होती जा रही है। “पेयरिंग” और “मर्जर” जैसे सरकारी निर्णयों के चलते कक्षा 1 से 8 तक चलने वाले विद्यालय धीरे-धीरे खाली हो रहे हैं। जहां कभी शिक्षा का उत्सव होता था, आज वहां सन्नाटा है।
डॉ. त्रिपाठी ने सरकार से अपील की कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर पुर्नविचार करे और ग्रामीणों के संघर्ष, भावनाओं व समर्पण की अनदेखी न हो।