Jaunpur news पहितियापुर मिडिल स्कूल बंद होने पर सातवें दिन भी जारी आंदोलन, बच्चों संग ग्रामीणों ने खुद पढ़ाई कराई

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पहितियापुर मिडिल स्कूल बंद होने पर सातवें दिन भी जारी आंदोलन, बच्चों संग ग्रामीणों ने खुद पढ़ाई कराई

बदलापुर (जौनपुर)
Jaunpur news बदलापुर क्षेत्र के पहितियापुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय को बंद करने के विरोध में ग्रामीणों का आंदोलन सातवें दिन भी जारी रहा। मंगलवार को ग्रामीणों और अभिभावकों ने स्कूल को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया और नए शिक्षण सत्र की शुरुआत बच्चों के स्वागत के साथ की। बच्चों ने प्रार्थना सभा में ईश्वर से नहीं, बल्कि सरकार से स्कूल न बंद करने की प्रार्थना की और मुख्यमंत्री को सद्बुद्धि देने की कामना की।

“सरकारी स्कूल बचाओ संघर्ष समिति” के सदस्यों ने लगातार दूसरे दिन भी स्कूल में बच्चों की कक्षाएं स्वयं संचालित कीं। समिति के सदस्यों ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का 5000 से अधिक स्कूलों को बंद या मर्ज करने का आदेश गरीब बच्चों के शिक्षा अधिकार पर कुठाराघात है। उन्होंने पहितियापुर विद्यालय को बंद करने के निर्णय को जनविरोधी कदम बताया।

ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल बंदी के विरोध में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं। साथ ही ईमेल और फैक्स के माध्यम से भी विरोध दर्ज कराया गया, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।

संघर्ष समिति ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह कम बच्चों की उपस्थिति का हवाला देकर स्कूल बंद कर रही है, जबकि शिक्षकों की भारी कमी पर चुप्पी साधे हुए है। न तो नई भर्तियां की जा रही हैं और न ही शिक्षा के व्यापारीकरण पर कोई रोक है। सरकार एक तरफ “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देती है, दूसरी तरफ गरीब बच्चों के स्कूल बंद कर रही है, जबकि शराब के ठेके खोलने में तत्पर है।

भौगोलिक और सामाजिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए ग्रामीणों ने बताया कि पहितियापुर गांव के दक्षिण व पूर्व में पीली नदी व जंगल है, जबकि उत्तर-पश्चिम में हाईवे और रेल लाइन है। ऐसे में 3 किलोमीटर दूर मर्ज किए गए स्कूल में छोटे बच्चों का जाना असुरक्षित और असंभव है। इससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो रही है।

इस स्थिति को देखते हुए गांव के पढ़े-लिखे युवाओं ने स्कूल में खुद पढ़ाई कराने की जिम्मेदारी ली है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार नई शिक्षा नीति 2020 और “क्लोजर-मर्जर” नीति के तहत निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और सरकारी विद्यालयों को जानबूझकर समाप्त कर रही है।

ग्रामीणों ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 45 और 21A के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देना राज्य का कर्तव्य है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के अनुसार प्रत्येक बच्चे को घर के पास स्कूल में शिक्षा पाने का अधिकार है, लेकिन सरकार इन संवैधानिक दायित्वों का उल्लंघन कर रही है।

ग्रामीणों की मांग है कि पहितियापुर मिडिल स्कूल को बंद न किया जाए और विद्यालय का संचालन यथावत जारी रखा जाए।

इस अवसर पर शिशिर कुमार दूबे, अशोक कुमार खरवार, मनीष मिश्र, संजय यादव, दिलीप कुमार, संदीप यादव, रामसिंगार दूबे, संतोष प्रजापति, राहुल गुप्त, राजकुमार मौर्य, रवि दूबे, ऐश्वर्य दूबे, गौरव दूबे, रबीश यादव, विनय दूबे, घनश्याम दूबे, सिद्धार्थ कुमार सहित कई ग्रामीण उपस्थित रहे और बच्चों के साथ मिलकर स्कूल में शिक्षा को जारी रखने का संकल्प लिया।


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