Jaunpur news बेसिक शिक्षा विभाग की नीतियां है सरकारी स्कूलों में कम नामांकन की जिम्मेदार – अरविंद

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रिपोर्ट इन्द्रजीत सिंह मौर्य

बेसिक शिक्षा विभाग की नीतियां है सरकारी स्कूलों में कम नामांकन की जिम्मेदार – अरविंद

छात्र संख्या के आधार पर स्कूलों के मर्जर के आदेश पर रोक लगाए सरकार

सरकार के नए फरमान से आंदोलित हुए जौनपुर के हजारों शिक्षक

जौनपुर ।
कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को दूसरे विद्यालयों में मर्ज करने के प्रदेश सरकार के नए फरमान से जिले भर के शिक्षक आंदोलित हो गए हैं। सरकार की इस नीति के विरोध में रविवार को सैकड़ो शिक्षकों ने बैठक करके सरकार की व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन का आगाज कर दिया।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जौनपुर के बैनर तले हुए इस आंदोलन की अति आवश्यक बैठक जिलाध्यक्ष अरविंद शुक्ल की अध्यक्षता में मियापुर में रविवार को संपन्न हुई । जिसमें कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों के मर्जर , पुरानी पेंशन बहाली, 2004 बैच के शिक्षकों के पुरानी पेंशन का मेमोरेंडम लागू करने , प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो को सरकारी स्कूलों की तुलना में दिए जा रहे प्रोत्साहन, नामांकन में आधार की अनिवार्यता, शिक्षकों की पदोन्नति, स्थानांतरण एवं अन्य शिक्षक समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई ।
बैठक को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष अरविंद शुक्ल ने कहा कि सिर्फ छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों का मर्जर असंवैधानिक एवं अव्यावहारिक है ।
यह निर्देश बाल अधिकार विरोधी है । इस आदेश पर सरकार को रोक लगानी चाहिए ।
उन्होंने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के नेतृत्व वाली सरकार ने पारित किया था। सरकार की सोच थी कि 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाए । इस अभियान के अंतर्गत सरकार ने प्रत्येक गाँव व मजरे में प्राथमिक विद्यालय व प्रत्येक किमी पर विद्यालय की स्थापना हेतु भवन सहित तमाम संसाधन उपलब्ध कराए
परंतु आज कम/अपर्याप्त छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों को समाप्त करके अन्य विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराने की कार्यवाही गतिमान है । परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की दर घट रही है दूसरी तरफ़ विभाग ने तमाम अधो मानक विद्यालयों को मान्यता प्रदान कर रखी है तथा तमाम ग़ैर मान्यता के विद्यालय अधिकारियों की मिलीभगत से वे आज भी संचालित हो रहे है । ऐसे में नामांकन कम होना स्वाभाविक है ।
सरकार ने विधान सभा में सदैव माना है कि छात्र व शिक्षक अनुपात उत्तर प्रदेश में मानक के अनुसार सही है तो फिर विद्यालयों को बंद करने की जरूरत क्या है और यदि सरकार को लगता है कि शिक्षकों की आवश्यकता है तो उसकी कमी नई भर्ती करके करनी चाहिए न कि विद्यालय बंद करके ।

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शिक्षकों की पदोन्नति रोकने की है बड़ी साजिश
जौनपुर। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश स्तरीय नेता अरविंद शुक्ला ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षकों की पदोन्नति रोकने के लिए उनके साथ बहुत बड़ी साजिश कर रही है। सरकार की इस नई नीति से
गाँव देहात के तमाम बच्चों से शिक्षा दूर हो जाएगी । करीब 20 हज़ार विद्यालयों का मर्जर पूर्व में करके शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर समाप्त कर दिए गए। परिणामस्वरूप वर्ष 2015 से आज तक किसी भी शिक्षक की पदोन्नति नहीं हुई ।
इस आदेश से शिक्षकों के हजारों पद समाप्त हो जायेंगे।
जिससे कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति नहीं होगी ।
आज आंदोलन में शिक्षकों ने शासन प्रशासन से मांग किया कि सर्व प्रथम शिक्षक समस्याओं का निराकरण करे । सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो को दी जाने वाली सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं में भेदभाव करने वाली नीतियों पर रोक लगाई जाय। कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने की बजाय वहां की छात्र संख्या के अनुरूप शिक्षकों का निर्धारण किया जाय ।

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सरकारी स्कूलों के साथ दोहरी नीति
जौनपुर। जिले भर के शिक्षकों ने रविवार को प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई।
कहा कि जहां प्राइवेट स्कूलों को नामांकन के लिए बिना मानक निर्धारण किए मनमाना छूट दे रखी है। वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में नामांकन हेतु 6 वर्ष की आयु पूर्ण करने की बाध्यता निर्धारित कर रखी है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो को सरकारी स्कूल में पढ़ने वालो बच्चो की तुलना में प्रोत्साहन राशि में भेदभाव करके सरकारी स्कूलों को तोड़ने का पूरा प्रयास किया जा रहा है । जिसका सारा ठीकरा सरकारी स्कूल के शिक्षकों पर फोड़ा जा रहा है, जबकि सरकारी स्कूलों का परफॉर्मेस दिन प्रतिदिन बढ़ ही रहा है । बताया गया कि स्कूलों में कम नामांकन का कारण स्वयं बेसिक शिक्षा विभाग की नीतियां ही है ।

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आंदोलन में ये भी रहे मौजूद
जौनपुर। प्रदेश सरकार के खिलाफ आज से शुरू हुए जिला स्तरीय आंदोलन वीरेंद्र प्रताप सिंह, रामदुलार यादव, सुनील यादव,विक्रम प्रकाश ,मनोज यादव, राकेश मिश्रा, रामप्रसाद यादव,पवन सिंह,धर्मेंद्र यादव, मनोज उपाध्याय, शिवेंद्र सिंह रानू,प्रशांत मिश्रा,शैलेंद्र पाल, मोहम्मद हाशिम,अरुण कुमार सिंह ,अरुण कुमार यादव,संतोष कुमार सिंह,मनोज यादव, रामप्रसाद यादव, राघवेंद्र मिश्रा, लाल साहब मनोज उपाध्याय, विष्णु तिवारी, दीपक सिंह,पवन सिंह, संतोष कुमार सिंह,ओंकार नाथ पाल,उमेश चंद्र यादव,राजेश कुमार पाण्डेय, राघवेंद्र मिश्रा, दयाशंकर यादव,सत्य प्रकाश दुबे,रणंजय सिंह,राजमणि यादव,अनिल कुमार,घनश्याम मौर्य,सेवालाल पटेल,प्यारेलाल, अखिलेश सरोज,अनिल यादव, अनुराग तिवारी,दिवाकर दुबे, सुधीर कुमार सिंह, पवन कुमार सिंह,शरद यादव,अखिलेश चौधरी,दयाशंकर यादव सहित भारी संख्या में शिक्षक एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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