एक अदब शनास मुकम्मल शख्शियत – मोहतरम डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय “साहित्येन्दु “

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एक अदब शनास मुकम्मल शख्शियत – मोहतरम डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय “साहित्येन्दु “


पद्म श्री सोहनलाल द्विवेदी के द्वारा “साहित्येन्दु”के खिताब से नवाजे गए हिंदी और संस्कृत अदब के एक खूबसूरत कलमकार महामहोपाध्याय डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु जी (पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर/अध्यक्ष संस्कृत विभाग संत तुलसीदास पीजी कॉलेज कादीपुर सुलतानपुर) एक ऐसी अदब‌ शनास शख्शियत हैं जो यकीनन अदब की त्रिवेणी हैं, जिनमें गंगा ,जमुना ,सरस्वती सरीखे हिंदी संस्कृत उर्दू पालि,प्राकृत जैसी तमाम जुबान और इल्मो अदब का तालमेल व संगम साफ-साफ दिखाई देता है। उनके तालीम व तर्बियत की खुशनुमाई उनके नज़्म (पद्य) नस्र (गद्य) महाकाव्य, खंडकाव्य, आलोचना, वेद – वेदांग, फलसफा वगैरह में साफ-साफ नजर आती है। यह हमारी खुशकिस्मत है कि उनकी रूहानी और पाकीजा मोहब्बत मुसलसल हमें नसीब है। आपकी जेहनत और खुश रंग खयालात् आज भी (72 साल की उम्र में भी) महफिले चमन में खुशबू घोलती है-

गजब की फिजा में खुशबू घोलते हैं।
सलीके से जनाब संस्कृत बोलते हैं।।

एक- एक लफ्ज़, एक- एक जुमले से रस बरस पड़ता है जो मुकम्मल काव्य के मानिंद होता है-“वाक्यं रसात्मकं काव्यम् “। जी, हां! आपकी तबीयतदारी और चैनदारी आज भी महफूज है शायद ठीक ही कहा गया है-

तन तो ढल जाए किंतु मन कवि का,
जिंदगी भर जवान रहता है।
आपकी अदबीखिदमात और पूरा अदब वाकई में जाति मजहब एवं सांप्रदायिक फासलों से अलग सद्भाव,सामंजस्य और समन्वय की बुनियाद पर कायम रहकर सार्वभौम, सार्वकालिक, सार्वजनिक‌‌ तय होती हुई अदब की इस सच्चाई को उजागर करती है-

कीरति भनित भूति भल सोई।
सुरिसरि सम सब कर शुभ होई।।

साहित्याकाश के इन्दु आपके विचारों की निर्मलता, समन्वय की चेष्टा, समाजवादी विचारधारा और समासिकी संस्कृति की पक्ष धरता ही आपके सुंदर,सुखद औरआकर्षक साहित्य की ऐसी आधारशिला है जो उसे कालजई कायम करती है, जिसकी वजह से सदियों तक आप पढ़े जाएंगे। आपकी प्रकाशित कृतियां “प्रतीक्षा”खंडकाव्य (1983), कौंडिन्य महाकाव्य (2012), अगस्त महाकाव्य (2013), शब्द कहे आकाश दोहासंग्रह (2014), तुलसी तत्व चिंतन निबंध संग्रह, (2016, )योग तत्व चिंतन (2017), मनीषियों की दृष्टि मे संस्कृत(2017), अभिज्ञान शाकुन्तलम् एवं कामायनी के तुलनात्मक संदर्भ( 2019), भक्ति कालीन तुलसी की सार्वकालीन प्रासंगिकता (2020), ऐसी तमाम रचनाएं इस बात का एक मजबूत सबूत हैं। महाकाव्य का एक एक सोपान आगे आने वाली नई पीढ़ियो के लिए इखलाक की सीढ़ियां कायम होंगी।
आपको मिले तमाम सम्मान जैसे -साहित्येन्दु सम्मान 1986, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा साहित्य भूषण सम्मान उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ का विशिष्ट पुरस्कार 2009, तथा 2020 का विविध (साहित्य) पुरस्कार के अतिरिक्त 185 अन्य पुरस्कारों के साथ 14 सितंबर 2024 का मानद उपाधि महामहोपाध्याय से पूरा जनपद गौरवान्वित है।
मैं इल्म व तालीम में बरक्तत देने वाली मां सरस्वती से इल्तिज़ा करता हूं कि आपकी ज़ोरेकलम और जेहानत की सलामती की नवाजिश बनाए रखें। महोदय! आपकी उम्रदराजी और बेहतर सेहत के वास्ते मेरी ख्वाहिश यही है –
तमाम उम्र तुम्हें जिंदगी का प्यार मिले,
खुदा करे ये खुशी बार-बार मिले।
मेरी दुआ है कि बिछे फूल तेरी राहों में,
कटे हयात तेरी रहमतों की छांवों में।
किसी को जो न मिला वो तुझे करार मिले।
मिली हो तेरी तमन्ना किसी कमल की तरह,
सजाएं तुझको लबों पर सभी गजल की तरह।
खुदा करे तुम्हें मौसमे -बाहर मिले।
………………पी.एन.सिंह “चंदेल”(संगीत शिक्षक)
श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर जौनपुर।

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