September 16, 2024

तीन हत्यारोंपियों को आजीवन कारावास●मृतक पक्ष के भी 11 लोगों को 4 वर्ष की कैद

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तीन हत्यारोंपियों को आजीवन कारावास
●मृतक पक्ष के भी 11 लोगों को 4 वर्ष की कैद
जौनपुर। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम अनिल कुमार यादव की अदालत ने 4 वर्ष पूर्व लाठी डंडा से मार कर हत्या करने के तीन आरोपियों को आजीवन कारावास व बीस-बीस हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया, दूसरे पक्ष के 11 आरोपियों को भी गैर इरादतन हत्या के प्रयास में चार-चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।
अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा वीरेंद्र निवासी ग्राम भटौली थाना महराजगंज ने अभियोग पंजीकृत करवाया की 18 अगस्त 2020 को सुबह 7:30 बजे पड़ोसी प्रेमसागर, लक्ष्मीकांत, सुनील व संतोष जमीन के मुकदमे के रंजिश की वजह से दरवाजे के सामने के खेत में लाठी, डंडा, भाला व गड़ासा लेकर एकत्रित हुए और मां बहन की गालियां देते हुए दरवाजे पर चढ़ आए। मना करने पर वादी, उसके भाई रामजीत, रणजीत व समरजीत को मारपीट कर घायल कर दिया शोर सुनकर पड़ोसी सूरज लाल, लालजी, मखंचू , विजय व अन्य कई महिलाएं भी घटनास्थल पर आकर घटना देखे। बीच बचाव करने पर उन्हें भी आरोपियों ने मारा पीटा। लक्ष्मीकांत ने रामजीत के सिर पर लाठी से वार किया जिससे वह गिर गए उन्हें एंबुलेंस से सीएचसी सवंसा ले जाया गया जहां से डॉक्टर ने जिला चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया। इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार श्रीवास्तव के द्वारा परीक्षित कराए गए गवाहों के बयान एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के परिशीलन के पश्चात अदालत ने लक्ष्मीकांत, सुनील व संतोष को हत्या के अभियोग में दोष सिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास व 20-20 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। जबकि प्रेम सागर को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
लक्ष्मीकांत के पक्ष के लोगों ने भी न्यायालय में156(3)के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र दिया था कि दिनांक 18.8.2020 को दिन में 9.30 बजे हम लोग खड़ंजे से होकर जा रहे थे हमारे पड़ोसी समरजीत ने रास्ते से जाने से मना किया। जिस पर विरोध होने पर समरजीत, रणजीत, वीरेंद्र, प्रदीप, तीरथ, विपिन, अलगू, मखंचू, सोनू, रामचंद्र व सूर्य लाल ने हम लोगों को मारपीट कर घायल कर दिया। लक्ष्मीकांत का जबड़ा टूट गया और उन्हें सदर अस्पताल से बीएचयू ट्रामा सेंटर रेफर किया गया। अदालत ने सभी 11 आरोपियों को गैर इरादतन हत्या करने के प्रयास में दोष सिद्ध पाते हुए 4 वर्ष के कारावास व प्रत्येक को 11-11 हजार रुपए अर्थ दंड से दंडित किया।

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