त्रिलोचन महादेव का अपना एक अलग है इतिहास
सावन के पहले सोमवार को देखते हुए प्रशासन ने तैयारी की पूर्ण
जौनपुर। जलालपुर के त्रिलोचन महादेव मंदिर पर सावन की पहले सोमवार को लेकर जिला प्रशासन व मंदिर प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। पूरा मंदिर परिसर सीसीटीवी कैमरे से लैस कर दीया गया है। मंदिर के दोनों गेटों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और मेले की भीड़ में कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए सादे वर्दी में पुलिस तैनात रहेगी।
जलाभिषेक करने हर साल हजारों की संख्या में आते है कावड़िया
जौनपुर। सावन के पहले सोमवार को बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए कावड़ियों का जत्था बोल- बम के नारे के साथ जलाभिषेक करेंगे। मंदिर परिसर में भोर से ही लम्बी लाइनों की लगती है कतार। इस मंदिर पर हर साल हजारों की संख्या में कावड़िया जलाभिषेक करने आते है।
भोलेनाथ ने खुद किया मंदिर के सरहद का फैसला
जौनपुर। जिले में स्थापित त्रिलोचन महादेव मंदिर का अपना एक अलग इतिहास है। बताया जाता है कि यहां पर खुद बाबा भोलेनाथ जमीन भेदकर प्रकट हुए थे। बडे़ बुजुर्ग और मंदिर से जुडे़ लोग बताते है कि जिस स्थान पर आज विशाल मंदिर स्थापित है। वहां पहले जंगल हुआ करता था। चरवाहे अपने जानवरो को जंगल में खाने पीने के लिए छोड़ देते थे। एक किसान की गाय प्रतिदिन जंगल में जाती थी और घर लौटती थी तो वह दूध नही देती थी। एक दिन चरवाहे ने देखा कि मेरी गाय एक स्थान पर जाकर खुद से अपना दूध गिरा रही थी। उसे यह देखकर आर्शचय हुआ। अपना भ्रम दूर करने के लिए दूसरी दिन भी वह आपने गायों को जंगल में छोड़ा तो वह सीधे जाकर उसी स्थान पर जाकर अपना दूध गिराया। चरवाहा यह बात आकर गांव में चर्चा किया। ग्रामीण तुरन्त समझ गये कि वहां पर जरूर कुछ रहस्य छिपा हुआ है। अगले दिन सुबह भारी संख्या में ग्रामीण वहा पहुंचकर खुदाई शुरू किया तो एक शिव लिंग मिला।
उसके बाद से वहां पर पूजन अर्चन शुरू हो गया। आसपास के गांव के लोग मिलकर एक मंदिर की स्थापना कराया। कुछ दिन बाद यहां के मंदिर को लेकर समीपवर्ती दो गांवों रेहटी और डिंगुरपुर में विवाद था कि यह मंदिर किस गांव की सरहद के भीतर है। कई पंचायतें हुई किंतु बात नहीं बनी और नौबत मारपीट और खून-खराबे तक आ गई। दोनों गांवों के बुजुर्गो ने फैसला किया कि जब वे जगत स्वामी हैं तो यह फैसला भी उन्हीं को करना है कि यह मंदिर किस गांव की सरहद के अंदर है। दोनों पक्षों ने मंदिर के दरवाजों में बाहर से अपना-अपना ताला जड़ दिया फिर अपने घर चले गए। अगले दिन दोनों पक्षों के लोग मंदिर के सामने पहुंचे और ताला खुला तो लोगों की आंखें आश्चर्य से फटी रह गई। शिव लिंग स्पष्ट रूप से उत्तर दिशा में रेहटी ग्राम की तरफ झुक गया था। उसी रूप में शिव लिंग आज भी है, तभी से उस शिव मंदिर को रेहटी गांव में माना गया।
मंदिर का रहस्यमय ऐतिहासिक कुंड
जौनपुर।त्रिलोचन शिव मंदिर के सामने एक रहस्यमय ऐतिहासिक कुंड है। जिसमें हमेशा जल भरा रहता है। बताते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से बुखार और चर्म रोगियों को लाभ मिलता है। इस कुंड का संपर्क जल द्वारा अंदर से सई नदी से है जो वहां से करीब 9 किमी दूर है। इस संबंध में कहा जाता है कि एक बार कुंड की खुदाई प्रशासन की तरफ से हुई थी, जिसमें सेवार नामक घास मिली। यह घास नदी में ही पायी जाती है, तभी से अनुमान लगाया गया कि कुंड का जल स्रोत अंदर ही अंदर जाकर सई-गोमती संगम स्थल से मिला हुआ है।
एसपी ग्रामीण शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया तैयारी के संबंध में
जौनपुर। तैयारी के संबंध में जानकारी देते हुए एसपी ग्रामीण शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कावड़ियों की गुजरने वाले रास्ते का रूट डायवर्जेंट कर दिया गया है। जहां-जहां कावड़िया जलाभिषेक करेंगे उन सभी जगहों का रूट डायवर्जेंट कर दिया गया है। हर मंदिर पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि कांवड़ियों को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।