कुटीर संस्थान चक्के जौनपुर का स्थापना दिवस
क्षेत्र के हजारों संभ्रांत नागरिकों की उपस्थिति में कुटीर संस्थान चक्के जौनपुर का स्थापना दिवस पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती निर्मला एस मौर्य की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्री हरेराम त्रिपाठी की गरीमामय उपस्थिति में संस्थान के संस्थापक सभागार में सम्पन्न हुआ। स्थापना दिवस की शुरुआत कुटीर स्नातकोत्तर महाविद्यालय चक्के के प्राचार्य मेजर डॉक्टर रमेशमणि त्रिपाठी ने स्वागत भाषण से की। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति निर्मला एस मौर्य ने कहा कि जौनपुर की मिट्टी में कुछ तो ऐसा है कि यहां बच्चियां आगे बढ़ रही हैं, पूर्वांचल में इतनी कला, संस्कृति एवं ज्ञान है कि इसे आगे बढ़ाया जाय तो पूर्वांचल देश ही नहीं अपितु विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ सकता है। मौर्य ने वेदों की महिमा का बखान करते हुए कहा कि यदि पूरी दुनिया का विनाश हो जाए और केवल हमारे चारो वेद बच जाएं तो पुनः दुनियां में सामाजिक पुनर्स्थापना की जा सकती है। उन्होंने माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोदे मोहि एक दिन ऐसा आएगा कि मैं रौदूगी तोहि दोहे के माध्यम से सर्व सम्मान एवं अहंकार मुक्त समाज बनाने का संदेश दिया वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर हरे राम त्रिपाठी ने कहा कि गीता दुनियां का सबसे बड़ा प्रबंधतत्र का ग्रंथ है जिसमें तीन संकल्पों स्पष्टता, सृजन एवं आत्मनिर्भरता के माध्यम से सृष्टि के विकाश की परिचर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि ज्ञान, भक्ति एवं कर्म के समन्वय से ही राष्ट्र निर्माण संभव है, अपने आप में असंतुष्ट होना ही भ्रष्टाचार का कारण है साथ ही साथ उन्होंने कुटीर उद्योग की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉक्टर अजयेंद्र कुमार दूबे ने धन्यवाद भाषण देते हुए कहा कि अन्याय, अहंकार रहित एवं विनम्र होना ही मानवजीवन को सार्थक बनाता है। इस अवसर पर कुलपतिद्वय ने संस्थान की मातृ संस्था श्री गीता साहित्य कुटीर का भी अवलोकन किया एवं मुख्य रूप से डॉक्टर राकेश यादव एनएसएस समन्वयक, लक्ष्मी मौर्य (पी आर ओ पूर्वांचल विश्वविद्यालय), शशिंद्र मिश्र जनसंपर्क अधिकारी संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी, चंद्रदेव मिश्र, डॉक्टर रमापति त्रिपाठी, डॉक्टर डी. डी. दूबे पूर्व कार्यवाहक कुलपति पूर्वांचल विश्वविद्यालय, श्रीमती ललिता सिंह,कृष्णप्रताप दूबे एवं श्री भूषण मिश्र उपस्थित रहे।