December 23, 2024

परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों ने समझी जिम्मेदारी पखवाड़े के दौरान 11 पुरुषों ने कराई नसबंदी

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परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों ने समझी जिम्मेदारी
पखवाड़े के दौरान 11 पुरुषों ने कराई नसबंदी
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मिल सहयोग
जौनपुर, 28/11/2021।
आज से ढाई महीने पहले बरसठी निवासी अरुण सिंह जिला अस्पताल में नसबंदी कराने गया था। पानी चढ़ गया था लेकिन डरवश भाग आया। लेकिन वहाँ के डाक्टर अजय सिंह ने दोबारा तैयार करवाया और कल (शुक्रवार) अरुण सिंह ने नसबंदी करवा ली|
“मुझे तो पता ही नहीं चला। कोई दिक्कत नहीं है। मैं अपने साथ गांव के सुजीत को भी लेकर गया था। उन्होंने भी नसबंदी करवाई और खुश हैं।‘’ यह कहना है बिल्डिंग मैटेरियल व्यवसायी अरुण सिंह का। वह बढ़ती जनसंख्या रोकने के लिए पुरुष नसबंदी को सबसे अच्छा विकल्प समझते हैं। महिला नसबंदी से बेहतर पुरुष नसबंदी को मानते हैं। वह कहते हैं नसबंदी के बाद महिलाओं को थोड़ी-बहुत दिक्कत होती है लेकिन पुरुषों को नहीं। 

  यह इस सोच का ही नतीजा है कि नसबंदी में इस समय बरसठी ब्लॉक लगातार तीन वर्षों से रिकॉर्ड बनाए जा रहा है। इसमे प्रभारी चिकित्साधिकारी से आशा कार्यकर्ता तक अपनी भूमिका निभाने में सक्रिय हैं। 22 नवम्बर से चार दिसम्बर तक चलने वाले पुरुष नसबंदी पखवाड़े में बरसठी ब्लॉक ने मात्र पांच दिनों में 11 पुरुष नसबंदी हो चुकी है। सत्र 2021-22 में अभी 17 पुरुष नसबंदी हुई है जिसमें से छह नसबंदी पखवाड़ा शुरू होने से पहले की है। इस सत्र में पूरे जिले में 39 पुरुष नसबंदी हुई जिसमें से आधे के करीब योगदान बरसठी ब्लॉक ने दिया है। वैसे भी बरसठी ब्लॉक लगातार तीन वर्षों से नसबंदी के मामले में जिले का नेतृत्व कर रहा है। 2020-21 में भी बरसठी में 48 पुरुष और 743 महिला नसबंदी हुई जबकि इस दौरान पूरे जिले में 77 पुरुष और 11,636 महिला नसबंदी हुई थी।

  टॉप टू बॉटम, सभी सक्रिय: बरसठी में पुरुष नसबंदी के आँकड़े को बढ़ाने में प्रभारी चिकित्साधिकारी (एमओआईसी) डॉ अजय सिंह टीम लीडर की भूमिका में हैं। वह गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी कितनी आसान है। महिलाएं बच्चे पैदा करें, कपड़े धोएं, घर की सारी गृहस्थी संभालें, यहां तक गलती पुरुष की होने के बाद भी बच्चे रोकने के लिए भी सारी जिम्मेदारी खुद पर लें। ऐसे में पुरुषों को भी सहभागिता निभानी चाहिए जिससे उनकी जिम्मेदारियों का बोझ कुछ हल्का हो सके।

  अनुभवों का सहारा: डाक्टर अजय सिंह सिरौली गांव के प्रधान संजय यादव को भी अक्सर साथ लेकर जाते हैं। उनका नसबंदी कराने का अनुभव सुखद रहा है। संजय कहते हैं कि उन्होंने नसबंदी कराई तो उन्हे न तो कोई दिक्कत हुई और न कमजोरी हुई। नसबंदी के बाद से और भी तंदुरुस्त महसूस करते है| शरीर में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। “नसबंदी से बच्चे पैदा होने का तनाव खत्म हो गया है। पत्नी का भी कोई तनाव नहीं है। वह करातीं तो मैं तनाव में रहता।‘’ संजय का अनुभव शेयर करवाने से बनकट गांव के कमला शंकर बनवासी तथा हरिशंकर प्रधान प्रभावित हुए और उन्होंने भी नसबंदी करवाई जबकि पिछले सत्र में बनकट के राजेंद्र प्रसाद सरोज और निगोह के अध्यापक अजय विश्वकर्मा भी नसबंदी करा चुके हैं।  
नसबंदी करा चुके निगोह के ही अध्यापक अजय विश्वकर्मा ने भी कल ही (शुक्रवार) नसबंदी कराई। उन्हे नसबंदी की व्यवस्था से कोई दिक्कत नहीं हुई। एक सामान्य सा पांच-सात मिनट की प्रक्रिया थी और वह स्थिति से संतुष्ट है| उनका मानना है महिला की अपेक्षा पुरुष नसबंदी आसान है। पुरुषों को नसबंदी में सहभागिता बढ़ानी चाहिए। पुरुष नसबंदी बेहतर है, पुरुष सहभागिता बढ़ाएं, वह कहते हैं ।
अखबार की कटिंग की भूमिका: बरसठी ब्लॉक के पुरुष नसबंदी में रिकॉर्ड बनाने में आशा कार्यकर्ता गायत्री देवी भी प्रमुख भूमिका निभाने वालों में से एक हैं। उन्हें भी शुरुआत मेंं एमओआईसी डॉ अजय सिंह ने ही पुरुष नसबंदी की खूबियां बताकर मोटीवेट किया था जिससे शुरुआत में लोगों के ताने सहकर भी अपना योगदान देतीं रहीं। बाद में उनके रिकॉर्ड बनाने की चर्चा अखबारों में आने लगी तो वह अखबार की कटिंग लेकर क्षेत्र में जाने लगीं। अब लोग उनकी बात पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं। वह अभी तक अकेले 48 पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित कर चुकी है| उन्होंने पुरुष नसबंदी पखवाड़ा (22 नवम्बर से 4 दिसम्बर) के दौरान भी छह नसबंदी करवाई|

नोडल अधिकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ राजीव कुमार कहते हैं बरसठी ब्लॉक में डॉ अजय सिंह के नेतृत्व में टीम पुरुष नसबंदी में बढ़िया प्रदर्शन कर रही है। हर कोई अपने हक की पूरी भूमिका निभा रहा है। “टीम बरसठी को आगे भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं।‘’

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