जिले में संचारी रोगों के खिलाफ शुरू हुआ विशेष अभियान

जौनपुर,
जिला मुख्यालय पर एक बड़े आयोजन के साथ जनपद में संचारी रोगों के खिलाफ अभियान शुरू हुआ। इस अभियान के तहत जहां घर-घर जाकर संचारी रोगों के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है वहीं इन रोगों को नियंत्रित करने के लिए जांच और तेज की जाएगी।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि जनपद में आज यानि एक अप्रैल से विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान शुरू हो रहा है। यह अभियान 30 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान जनपदवासियों को वेक्टर जनित रोगों, जल जनित रोगों व लू आदि से बचाव व उपचार के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसी बीच 17 अप्रैल से 30 अप्रैल तक दस्तक अभियान भी चलेगा। उन्होंने बताया कि अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही 14 अन्य विभागों की भी सहभागिता रहेगी। इसके लिए जिलाधिकारी अनुज कुमार झा की अध्यक्षता में अभी तक दो बार अंतर विभागीय बैठकें हो चुकी हैं। शासन के निर्देश के तहत 01 अप्रैल से 30 अप्रैल तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान तथा 17 अप्रैल से 30 अप्रैल तक दस्तक अभियान भी चलेगा। इस दौरान आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की टीमें घर -घर जाकर बुखार, टीबी और कुपोषित बच्चों के बारे में घरवालों से पूछताछ करेंगी। साथ ही लोगों को मच्छरों के पनपने के स्रोतों को नष्ट करने के लिए प्रेरित करेंगी।
इस क्रम में शनिवार को (01 अप्रैल) विधान परिषद सदस्य बृजेश कुमार सिंह प्रिंशू ने संचारी रोग नियंत्रण अभियान की रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके बाद स्कूल चलो कार्यक्रम तथा संचारी रोग नियंत्रण अभियान का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों लखनऊ में राज्य स्तर पर उद्घाटन हुआ। पुलिस लाइन विद्यालय में लोगों ने इसका वर्चुअल प्रसारण देखा। कार्यक्रम में विधायक बृजेश कुमार सिंह प्रिंशू, मुख्य विकास अधिकारी साईं तेजा सीलम, सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह, एसीएमओ डॉ एसपी मिश्रा, डॉ राजीव कुमार सहित बड़ी संख्या में अधिकारी -कर्मचारी उपस्थित थे।
नोडल अधिकारी डॉ एसपी मिश्रा ने बताया कि जो बीमारी एक मरीज से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में दूषित भोजन, जल या संपर्क या कीटनाशक या जानवर से फैलती है उसे संचारी रोग कहते हैं। इसमें प्रमुख रूप से डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया, कालाजार, चिकिनगुनिया, क्षय रोग आदि हैं। इन्हीं बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए विशेष संचारी रोग चल रहा है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग एक नोडल के रूप में कार्य कर रहा है जबकि अन्य विभागों को सहयोग करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। साथ ही ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सफाई के साथ लार्वारोधी गतिविधियां और फागिंग भी कराई जा रही है। इस अभियान के तहत घर-घर सर्वेक्षण कर फ्लू, खांसी, बुखार के रोगियों व कुपोषित बच्चों की जांच की जाएगी। अभियान के दौरान आशा संगिनी, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रमुख भूमिका में घर-घर जाकर अभियान सफल बनाएंगी। उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस पर जिले में मलेरिया निगरानी में सुधार और वार्षिक रक्त परीक्षण दर 10 तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
कालाज़ार व फाइलेरिया पर रहेगा जोर
नोडल अधिकारी डॉ एसपी मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक फाइलेरिया और वर्ष 2023 के अंत तक कालाजार खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी क्रम में कालाज़ार से प्रभावित गांवों में शत-प्रतिशत आवासों को पक्का और बालू मक्खी प्रतिरोधी बनाया जाएगा। फाइलेरिया से प्रभावित गांवों में माइक्रोफाइलेरिया की दर शून्य के तय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक परीक्षण किया जाएगा। हाथी पांव या लिम्फेडेमा के रोगियों को स्व-देखभाल के लिए एमएमडीपी किट वितरित की जाएगी और हाइड्रोसील के शत-प्रतिशत रोगियों की सर्जरी सुनिश्चित की जाएगी।
