Jaunpur news कलयुग में पाप से दूर रहना भी कठिन हो गया है: शंकराचार्य नारायणानंद तीर्थ जी महाराज
कलयुग में पाप से दूर रहना भी कठिन हो गया है: शंकराचार्य नारायणानंद तीर्थ जी महाराज
मछलीशहर। अनंत श्री विभूषित काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि कलयुग में पाप का प्रवाह इतना प्रबल हो गया है कि लोग पाप से दूर रहने में भी कांपते हैं। पाप के भंवर में फंसे लोग यह सोचने लगे हैं कि यदि पाप छोड़ दिया तो जीवन का निर्वाह कठिन हो जाएगा। जैसे ज्वर के वेग से भूख मर जाती है, वैसे ही पाप का प्रभाव ऐसा है कि राम नाम की भूख भी समाप्त होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि ‘र’ वर्ण अल्प प्राण वर्ण है और ‘राम’ नाम का उच्चारण अत्यंत सरल है, फिर भी कलयुग के प्रभाव से यह भी कठिन प्रतीत होता है। नाम जप के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सफलता निश्चित मिलती है। नारद जी के अनेक विघ्न बताने के बावजूद ध्रुव जी ने केवल अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से तपस्या में सफलता पाई।
शंकराचार्य जी ने कहा कि “नाम जप में मन लगता नहीं” और “मन लगाता नहीं” — ये दोनों बातें अलग हैं। जो मन लगाने का प्रयास करता है, उसे अवश्य फल मिलता है क्योंकि परमात्मा नीयत देखते हैं। समय के साथ मन, चित्त, बुद्धि और अहंकार में परिवर्तन आने लगता है, जिससे अंतःकरण की शुद्धि होती है और पाप का ज्वर भस्म हो जाता है।
यह प्रवचन उन्होंने विकास खंड मछलीशहर के बामी गांव में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन दिया। कथा श्रवण के लिए बामी सहित आसपास के गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

