Jaunpur news जौनपुर के अरन्द गांव में तेंदुए की दहशत

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रिपोर्ट इन्द्रजीत सिंह मौर्य

जौनपुर के अरन्द गांव में तेंदुए की दहशत

धान के खेत के पास खूंखार तेंदुए का झुंड देखते ही ग्रामीणों में बढ़ा आतंक

50 से अधिक घरों के दरवाजों में लगा ताला, खेत बारी जाना हुआ बन्द

खेतासराय, जौनपुर। 
जिले के शाहगंज कोतवाली अंतर्गत अरन्द गांव में शुक्रवार की दोपहर दो खूंखार तेंदुओं को देखे जाने के बाद से पूरे गांव में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है।
किसानों के बच्चों, महिलाएं व अन्य ग्रामीणों ने खेतों में जाना बन्द कर दिया। ताल और नहर के किनारे वाले 50 घरों में ताला लटक गया है।भीषण गर्मी में भी लोग घर के अंदर सोना सुरक्षित समझ रहे हैं। गांव के बाहर देर रात तक लगने वाली पंचायत और चौपाल भी तेंदुए के आतंक से पूरी तरह बंद हो गई है। शाम होते हो
बच्चों को घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
शाहगंज ब्लाक के अरन्द गांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राम नयन वर्मा, ग्रामीण जयसिंह गौतम, सत्यम गौतम, अभिषेक गौतम, राम भारत प्रजापति और विशर सेन गौतम ने बताया कि यह आदमखोर तेंदुआ फूलपत्ती देवी (स्व. रामकुबेर गौतम) के खेत में सुबह से ही घूमता देखा गया। यह वही तेंदुआ है, जिसने एक सप्ताह पहले गांव की विधवा शिला राजभर पत्नी स्व चुल्लूर के पशुशाला में घुसकर उसकी पांच बकरियों को मार डाला था।

ग्रामीणों का कहना है कि आदमखोर किस्म का यह लकड़बग्घा अथवा तेंदुआ जो भी जानवर है। वह बकरियों को मारने के बाद उनका खून पी गया और कलेजी खा गया। बाकी शरीर को वैसे ही छोड़ दिया। इस भयानक हमले के बावजूद वन विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही बनी रही।
शाहगंज के तहसील अस्तरीय वन विभाग के अधिकारी और वन दरोगा गोरखनाथ को ग्रामीणों ने फोन करके मामले की सूचना दिया । पहले तो 24 घंटा बाद वह
मौके पर तो गए लेकिन वह ग्रामीणों को यह साबित करने में लगे रहे कि यह आदमखोर जानवर नहीं नेवला या सियार हो सकता है।

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ड्रोन कैमरे से की जा रही है खोजबीन, रेंजर
खेतासराय। शाहगंज के रेंजर राकेश कुमार ने बताया कि संभवतः यह गुलदार है। जो बहराइच, पीलीभीत जिले में मिलता है। देर शाम को ड्रोन कैमरे के माध्यम से खेत और ताल के किनारे उसकी खोजबीन की जा रही है। अभी कोई सफलता नहीं मिली है।
उन्होंने ग्रामीणों से खुद सजग रहने की अपील किया है।

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वन विभाग पर उठे सवाल

खेतासराय । इलाके के ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग केवल कागजी खानापूरी में जुटा है। जिला वन अधिकारी और शाहगंज के वन रेंजर ने खुद मौके पर पहुंचना भी जरूरी नहीं समझा। शीला राजभर की पांच बकरियां की हत्या के सूचना मिलने के बाद इस जंगली जानवर को पकड़ने के लिए विभाग में कोई पहल नहीं की
केवल एक वन दरोगा और एक कर्मचारी को भेजकर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई।
मौके पर पहुंचे अधिकारी भी आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के बजाय ग्रामीणों को यह समझाने में लगे रहे कि यह तेंदुआ नहीं। वह अपनी नौकरी पक्की करने के लिए साथ आए कर्मचारियों के माध्यम से अपनी वीडियो फोटो बनवाने में ही लगे रहे।

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आधा दर्जन गांवों में आतंक
खेतासराय। आदमखोर लकड़बग्घा या तेंदुआ जो भी जंगली जानवर है उसका आतंक भरौली, रफीपुर, पोरईकला, ड़डसौली, नरवापर समेत आधा दर्जन गांवों में फैला है।
इससे पहले भरौली गांव में भी इसी तरह के भेड़िए का आतंक देखा गया था, जहां आधा दर्जन बकरियों को शिकार बनाया गया था। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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गांव में गहराया डर और आक्रोश
खेतासराय।
शुक्रवार को जब दो तेंदुए एक साथ गांव में देखे गए, तो पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। लोगों में वन विभाग के प्रति गहरा रोष देखा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया, तो किसी बड़ी जनहानि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि त्वरित प्रभाव से विशेषज्ञ वनकर्मियों की टीम भेजकर आदमखोर तेंदुए को पकड़ा जाए और गांव की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। शुक्रवार की देर शाम जब यह खबर मीडिया में चर्चा का विषय बना। तो वन विभाग के कुछ चंद कर्मचारी खेत के किनारे जाकर खोजबीन करके देर शाम चले आए।

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