Jaunpur news शहर की शान या शर्म का निशान? गोपीघाट-नवदुर्गा घाट पर पान-गुटखे की पीक ने फैलाया गंदगी का आलम”

“शहर की शान या शर्म का निशान? गोपीघाट-नवदुर्गा घाट पर पान-गुटखे की पीक ने फैलाया गंदगी का आलम”
जौनपुर।
गंगा और तमसा के संगम तट पर बसे गोपीघाट और नवदुर्गा घाट कभी जौनपुर की शान माने जाते थे, लेकिन आज ये घाट अपनी खूबसूरती से ज्यादा गंदगी के कारण चर्चा में हैं। सद्भावना पुल के नीचे स्थित ये स्थल हर शाम सैकड़ों लोगों की सैरगाह बनते हैं, जहाँ लोग परिवार संग शांति, प्रकृति और नाव विहार का आनंद लेने आते हैं।
लेकिन बीते कुछ महीनों से घाट की सीढ़ियाँ और दीवारें पान, गुटखा और दोहरे की पीक से इस कदर सनी पड़ी हैं कि यहाँ बैठना तो दूर, रुकना भी मुश्किल हो गया है। यह दृश्य सिर्फ सौंदर्य को नुकसान नहीं पहुँचा रहा, बल्कि स्वच्छता के प्रति हमारी सामूहिक उदासीनता को भी उजागर कर रहा है।
तस्वीरें गवाही दे रहीं बदहाली की
स्थानीय पत्रकारों द्वारा ली गई तस्वीरें साफ बताती हैं कि घाट क्षेत्र की हालत कितनी बदतर हो चुकी है। दीवारों और फर्श पर जमी पीक की परतें, बदबू और गंदगी लोगों को यहाँ आने से रोक रही हैं। यह हालात नगर निगम और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हैं।
जिम्मेदार कौन?
क्या यह सिर्फ प्रशासन की जिम्मेदारी है? या फिर हम नागरिकों की भी कोई जवाबदेही बनती है? जब हम ही सार्वजनिक स्थलों को गंदा करेंगे, तो नगर स्वच्छ कैसे रहेगा?
समाधान क्या हो?
अब वक्त है कि प्रशासन घाट क्षेत्र को ‘नो-थूकिंग ज़ोन’ घोषित करे, निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और दोषियों पर जुर्माने की सख्त कार्रवाई हो। साथ ही नगरवासियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी — स्वच्छता सिर्फ सरकार की नहीं, हर नागरिक की साझा जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
शहर की पहचान उसकी साफ-सफाई और सार्वजनिक व्यवहार से होती है। यदि हम अपने ही धरोहर स्थलों का सम्मान नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को हम क्या विरासत सौंपेंगे?

