Jaunpur news अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने किया उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का स्मरण

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अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने किया उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का स्मरण

Jaunpur news जौनपुर। लोकमाता रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर शनिवार को सीहीपुर स्थित भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में पार्टी के काशी क्षेत्र के महामंत्री व जिला प्रभारी अशोक चौरसिया उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत रानी अहिल्याबाई होलकर, पं. दीनदयाल उपाध्याय एवं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्रों पर माल्यार्पण एवं ‘वंदे मातरम्’ गीत के साथ की गई। संचालन सुशील मिश्र एवं अनिल गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया।

मुख्य अतिथि अशोक चौरसिया ने रानी अहिल्याबाई के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मालवा की यह वीरांगना अपने सुशासन, लोककल्याणकारी राज्य तथा धार्मिक-सांस्कृतिक विकास के लिए जानी जाती हैं। अंग्रेज इतिहासकारों ने भी उनके शासन की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि जब देश में महिला सैनिकों की कल्पना भी नहीं थी, तब अहिल्याबाई ने हजारों महिला सैनिकों को प्रशिक्षित किया और यूरोप से बंदूकें मंगवाईं।

कृपाशंकर सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई की जीवन बहुत समय तक सुखी नहीं रहा कम उम्र में ही उनके पति खांडेराव होल्कर युद्ध में मारे गए उसके कुछ सालों बाद उनके ससुर का भी देहांत हो गया और फिर उसके अगले ही साल उनके बेटे मालेराव भी चल बसे इन हालात में अहिल्याबाई ने पेशवा से निवेदन किया कि वह खुद मालवा की बागडोर अपने हाथ में लेना चाहती हैं जिसे स्वीकार कर लिया गया।

पूर्व विधायक सुषमा पटेल ने कहा कि उनका विवाह अल्प आयु मे ही हो गई थी इनको आठ साल की उम्र में उन्हें मालवा के शासक मल्हार राव होल्कर ने देखा जब वह पुणे जाते समय उनके गांव में रुके थे उनकी नजर गरीबों को खाना खिला रहीं अहिल्याबाई पर पड़ी अहिल्या के दया और करुणा के भाव को देख कर मल्हार राव ने उन्हें अपनी बहू बनाने का फैसला किया जिसके बाद मल्हार राव के पुत्र खांडेराव के साथ अहिल्या बाई का विवाह हो गया।

जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि रानी अहिल्याबाई न केवल साहसी थीं, बल्कि अत्यंत कुशल राजनीतिज्ञ भी थीं। उन्होंने 1772 में पेशवा को लिखे एक पत्र में अंग्रेजों से सावधान रहने की सलाह दी थी, जिसमें उन्होंने अंग्रेजों की रणनीति की तुलना चालाक रीछ से की थी।

पूर्व विधायक सुषमा पटेल ने रानी अहिल्याबाई के प्रारंभिक जीवन का उल्लेख करते हुए बताया कि उनका विवाह अल्प आयु में मल्हार राव होलकर के पुत्र खांडेराव होलकर से हुआ था। मल्हार राव ने पुणे यात्रा के दौरान उन्हें गरीबों को भोजन कराते देखा और उनकी करुणा से प्रभावित होकर उन्हें अपनी बहू बनाने का निर्णय लिया।

पूर्व विधायक हरेंद्र सिंह ने बताया कि अपने पति, ससुर और पुत्र के निधन के बाद रानी अहिल्याबाई ने स्वयं मालवा की बागडोर संभाली। उन्होंने तुकोजीराव होलकर को सेनापति नियुक्त कर अपने राज्य की रक्षा हेतु कुशल सैन्य नेतृत्व प्रदान किया।

मछलीशहर के जिलाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि रानी अहिल्याबाई के 30 वर्षों के शासनकाल में इंदौर और मालवा क्षेत्र ने समृद्धि का अनुभव किया। उन्होंने मंदिरों, सड़कों, किलों का निर्माण करवाया और काशी, अयोध्या, मथुरा, गया, कांची व सोमनाथ जैसे तीर्थस्थलों पर मंदिरों, घाटों व धर्मशालाओं का सौंदर्यीकरण भी कराया।

कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में छात्राओं ने रानी अहिल्याबाई के जीवन सिद्धांतों पर विचार प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर संतोष सिंह, विपिन द्विवेदी, आमोद सिंह, रागिनी सिंह, नीरज मौर्य, घनश्याम यादव, परविंद्र चौहान, शुभम मौर्य सहित अनेक कार्यकर्ता एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।


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