Jaunpur news एक राष्ट्र, एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि भारत की जरूरत : ए के शर्मा

एक राष्ट्र, एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि भारत की जरूरत : ए के शर्मा
लॉ कमीशन ने भी वर्ष 1999 में वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत की थी: गिरीश यादव
जौनपुर।
एक राष्ट्र एक चुनाव के विषय पर सोमवार को दूसरे दिन पूर्वांचल विश्विद्यालय परिसर में कार्यक्रम संपन्न हुआ।
जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रभारी मंत्री ए के शर्मा ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत की जरूरत है देश में हर कुछ माह में कहीं न कहीं बड़े चुनाव होते रहते हैं । इससे विकास कार्यों पर विपरीत प्रभाव तो पड़ता ही है। साथ ही बड़े पैमाने पर धन का अपव्यय भी होता है। ऐसे में इस मुद्दे पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है।
एक साथ चुनाव होने से देश व राज्यों की विकास योजनाओं को रफ्तार मिलेगी। बार-बार चुनाव और उसके कारण लगने वाली आचार संहिता से विकास कार्य बाधित नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि इससे चुनाव पर होने वाले खर्चे की बचत भी होगी। हालांकि वन नेशन, वन इलेक्शन सभी राजनीतिक दलों में आपसी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। क्षेत्रीय दलों के नुकसान की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि 70 साल में मतदाता बहुत परिपक्व हो चुके हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव की बात वही कर सकता है जो एक राष्ट्र समझने की क्षमता रखता हैं और आजाद भारत के बाद यह बात सोचने की क्षमता मात्र देश के प्रधानमंत्री मोदी के पास है।
राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चंद्र यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने पहली बार साल 1983 में इसे लेकर सुझाव दिया था लॉ कमीशन ने भी वर्ष 1999 में वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत की थी। दिसंबर 2015 में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव आयोजित करने के लिये संसद की स्टेंडिंग कमेटी ने एक साथ चुनाव आयोजित करने पर वैकल्पिक और व्यावहारिक तरीका अपनाने की सिफारिश की थी। 2018 में संसद की स्टैंडिग कमेटी ने भी इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इसके कई फायदे गिनाए थे।
जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने एक राष्ट्र-एक चुनाव पर विस्तृत प्रकाश डालते हुये कहा कि भारत में, राज्य विधानसभाओं और संसद के सदस्यों के चुनाव के लिए आम चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी ने कहा बार-बार चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ता है। एक बार चुनाव होने से उन्हें ज्यादा आसानी होगी, करदाताओं के पैसे बचेंगे तो इन पैसों का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया जा सकेगा वन नेशन-वन इलेक्शन नई खोज नहीं है आजाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव भी इसी तर्ज पर हुआ था। 1952, 1957, 1962 और 1967 का चुनाव इसी अवधारणा पर कराया गया था।
बदलापुर के विधायक रमेश मिश्र ने वन नेशन वन इलेक्शन से राज्यों को बार-बार आचार संहिता का सामना नहीं करना पड़ेगा । कालेधन पर अंकुश लगेगा, ड्यूटी में तैनात होने वाले सुरक्षाबलों का समय बचेगा अभी हर चुनाव में उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में खतरे के साथ खर्च भी बहुत होता है।
एम एल सी बृजेश सिंह ने कहा कि चुनाव सुधार अभियान के तहत एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर जनजागरण और राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए भाजपा ने इस अभियान की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई अवसर पर इसकी चर्चा की है और इससे होने वाले फायदे को बताया है। इससे राजनीतिक स्थिरता आएगी।
कृपाशंकर सिंह ने कहा कि चुनावों में लगे सुरक्षा बलों और निर्वाचन अधिकारियों को लंबे समय तक अपने प्राथमिक कर्तव्यों से विमुख होना पड़ता है, आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
बाक्स
जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रही महत्वपूर्ण
जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह व संचालन जिला महामंत्री सुशील मिश्र ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि ए के शर्मा, गिरीश यादव, जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह एव जन प्रतिनिधि द्वारा सयुक्त रूप से भारत माता के चित्र पर पुष्पांजली व दीप प्रज्वलित करके किया गया। आज भी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही महत्वपूर्ण।
इस अवसर पर पीयूष गुप्ता ,वसुनील तिवारी, रामसूरत मौर्या , नगर पालिका अध्यक्ष मनोरमा मौर्य, सीमा सिंह, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य पूर्व प्रधान पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य व प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।
[05/05, 8:29 pm] Indrjit Hindus: रिपोर्ट इंद्रजीत सिंह मौर्य
एक राष्ट्र, एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि भारत की जरूरत : ए के शर्मा
लॉ कमीशन ने भी वर्ष 1999 में वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत की थी: गिरीश यादव
जौनपुर।
एक राष्ट्र एक चुनाव के विषय पर सोमवार को दूसरे दिन पूर्वांचल विश्विद्यालय परिसर में कार्यक्रम संपन्न हुआ।
जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रभारी मंत्री ए के शर्मा ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत की जरूरत है देश में हर कुछ माह में कहीं न कहीं बड़े चुनाव होते रहते हैं । इससे विकास कार्यों पर विपरीत प्रभाव तो पड़ता ही है। साथ ही बड़े पैमाने पर धन का अपव्यय भी होता है। ऐसे में इस मुद्दे पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है।
एक साथ चुनाव होने से देश व राज्यों की विकास योजनाओं को रफ्तार मिलेगी। बार-बार चुनाव और उसके कारण लगने वाली आचार संहिता से विकास कार्य बाधित नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि इससे चुनाव पर होने वाले खर्चे की बचत भी होगी। हालांकि वन नेशन, वन इलेक्शन सभी राजनीतिक दलों में आपसी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। क्षेत्रीय दलों के नुकसान की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि 70 साल में मतदाता बहुत परिपक्व हो चुके हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव की बात वही कर सकता है जो एक राष्ट्र समझने की क्षमता रखता हैं और आजाद भारत के बाद यह बात सोचने की क्षमता मात्र देश के प्रधानमंत्री मोदी के पास है।
राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चंद्र यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने पहली बार साल 1983 में इसे लेकर सुझाव दिया था लॉ कमीशन ने भी वर्ष 1999 में वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत की थी। दिसंबर 2015 में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव आयोजित करने के लिये संसद की स्टेंडिंग कमेटी ने एक साथ चुनाव आयोजित करने पर वैकल्पिक और व्यावहारिक तरीका अपनाने की सिफारिश की थी। 2018 में संसद की स्टैंडिग कमेटी ने भी इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इसके कई फायदे गिनाए थे।
जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने एक राष्ट्र-एक चुनाव पर विस्तृत प्रकाश डालते हुये कहा कि भारत में, राज्य विधानसभाओं और संसद के सदस्यों के चुनाव के लिए आम चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी ने कहा बार-बार चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ता है। एक बार चुनाव होने से उन्हें ज्यादा आसानी होगी, करदाताओं के पैसे बचेंगे तो इन पैसों का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया जा सकेगा वन नेशन-वन इलेक्शन नई खोज नहीं है आजाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव भी इसी तर्ज पर हुआ था। 1952, 1957, 1962 और 1967 का चुनाव इसी अवधारणा पर कराया गया था।
बदलापुर के विधायक रमेश मिश्र ने वन नेशन वन इलेक्शन से राज्यों को बार-बार आचार संहिता का सामना नहीं करना पड़ेगा । कालेधन पर अंकुश लगेगा, ड्यूटी में तैनात होने वाले सुरक्षाबलों का समय बचेगा अभी हर चुनाव में उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में खतरे के साथ खर्च भी बहुत होता है।
एम एल सी बृजेश सिंह ने कहा कि चुनाव सुधार अभियान के तहत एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर जनजागरण और राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए भाजपा ने इस अभियान की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई अवसर पर इसकी चर्चा की है और इससे होने वाले फायदे को बताया है। इससे राजनीतिक स्थिरता आएगी।
कृपाशंकर सिंह ने कहा कि चुनावों में लगे सुरक्षा बलों और निर्वाचन अधिकारियों को लंबे समय तक अपने प्राथमिक कर्तव्यों से विमुख होना पड़ता है, आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
बाक्स
जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रही महत्वपूर्ण
जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह व संचालन जिला महामंत्री सुशील मिश्र ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि ए के शर्मा, गिरीश यादव, जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह एव जन प्रतिनिधि द्वारा सयुक्त रूप से भारत माता के चित्र पर पुष्पांजली व दीप प्रज्वलित करके किया गया। आज भी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही महत्वपूर्ण।
इस अवसर पर पीयूष गुप्ता ,वसुनील तिवारी, रामसूरत मौर्या , नगर पालिका अध्यक्ष मनोरमा मौर्य, सीमा सिंह, जगदंबा प्रसाद पांडेय, संजय विश्वकर्मा व प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।