अतुल सुसाइड केस में दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष तक की है सजा व जुर्माना
अतुल सुसाइड केस में दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष तक की है सजा व जुर्माना
गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी वाले स्थान से अपराध वाले स्थान की कोर्ट में पहुंचने पर ट्रांजिट रिमांड आवश्यक नहीं
जौनपुर-हिमांशु श्रीवास्तव एडवोकेट
अतुल सुसाइड केस में पत्नी निकिता गुरुग्राम से तथा मां निशा व भाई अनुराग प्रयागराज से गिरफ्तार हुए। उन्हें बेंगलुरु की कोर्ट में ले जाकर पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
मृतक के भाई विकास ने धारा 108 व 3(5) बीएनएस में निकिता,निशा,अनुराग व सुशील के खिलाफ 9 दिसंबर को मराठाहल्ली थाना बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज कराया था। बीएनएस की धारा 108 आत्महत्या के दुष्प्रेरण से संबंधित है जिसमें यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है तो जो कोई ऐसी आत्महत्या का दुष्प्रेरण करेगा वह 10 वर्ष तक कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।धारा 3(5) बीएनएस के अनुसार जब कोई आपराधिक कार्य कई व्यक्तियों में से प्रत्येक द्वारा अपने सामान्य आशय के अग्रसरण में किया जाता है तो ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक व्यक्ति उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्वाधीन है मानो वह कार्य अकेले उसी ने किया हो अर्थात सभी को समान दंड मिलेगा। धारा 108 बीएनएस संज्ञेय (बिना वारंट गिरफ्तारी), अजमानतीय व सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है। अर्थात यदि भविष्य में अतुल सुसाइड केस के आरोपी बेंगलुरु कोर्ट में ट्रायल के बाद दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें 10 वर्ष तक कारावास व जुर्माने से दंडित किया जाएगा। अतुल के पिता का कहना है कि आरोपियों ने हत्या से भी गंभीर अपराध किया है।उन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए।
जहां तक ट्रांजिट रिमांड का प्रश्न है इस संबंध में अधिवक्ता उमेश शुक्ला,अभिषेक भारद्वाज व प्रवीण सोलंकी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति दूसरे जिले या प्रांत में गिरफ्तार होता है और जिस जिले में अपराध किया गया है वहां पहुंचने में 24 घंटे से ज्यादा का समय लगता है तो जहां गिरफ्तार किया गया है वहां की कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड बनवाया जाना आवश्यक है क्योंकि गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर जहां अपराध हुआ है उससे संबंधित कोर्ट में पेश करना आवश्यक होता है लेकिन यदि आरोपी 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी वाले स्थान से अपराध वाले स्थान से संबंधित कोर्ट में पहुंचा दिया जाता है तो ट्रांजिट रिमांड की आवश्यकता नहीं है। इसमें भी यात्रा का समय घटा दिया जाता है। पहले धारा 167 सीआरपीसी में यह व्यवस्था थी। अब यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 187 में उल्लिखित है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अतुल सुसाइड प्रकरण में पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर बेंगलुरु कोर्ट के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया। कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया।