September 18, 2024

परिस्थितियांचाहे जैसी भी, कभी भी न  हो निराश – डॉ. विनोद

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परिस्थितियांचाहे जैसी भी, कभी भी न  हो निराश – डॉ. विनोद’आत्महत्या: कौन जिम्मेदार’ लघु नाटक का हुआ मंचनविश्वआत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में हुआ आयोजनजौनपुर : विश्वआत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यालय एवं व्यावहारिकमनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों के लिए आत्महत्या रोकथाम पर जन जागरूकताकार्यक्रम एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया.विद्यार्थियों  द्वारा ‘आत्महत्या: कौनजिम्मेदार’ पर एक लघु नाटक का मंचन किया गया. नाटक के माध्यम से आत्महत्या न करने कासंदेश दिया गया.कार्यक्रम के  मुख्य अतिथि परीक्षानियंत्रक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा  कि संघर्षऔर आत्मविश्वास का जीवन में बहुत महत्व है. परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो कभी भी निराशनहीं होना चाहिए.  संकायाध्यक्ष प्रो. मनोजमिश्र ने कहा कि हर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ है और इसउद्देश्य से आगे बढ़ते रहना चाहिए।मुख्य वक्ता के रूपमें उमानाथ सिंह सिंह  मेडिकल कॉलेज केमनोचिकित्सा विभाग के  डॉ. विनोद वर्मा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसवर्ष  ‘चेंजिंग दनॉरेटिव्स ऑन सुसाइड और स्टार्ट कन्वर्सेशन’ विषय दिया गया है. विश्व में प्रतिवर्ष 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते है, वहीं भारत मेंएक लाख सत्तर हजार लोग प्रतिवर्ष आत्महत्या करते हैं. आत्महत्या करने वालेज्यादातर लोग 30 साल से कम उम्र के होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से पदार्थ के दुरुपयोग, तनाव,असमय किसी की मृत्यु हो जाना, ब्रेकअप आदिप्रमुख कारण है. उन्होंने बताया कि  आत्महत्याको रोकने के संबंध में विभिन्न उपायों जैसे जीवन शैली में परिवर्तन, स्वस्थ आहार, दिन प्रतिदिन के जीवन में योग एवंध्यान को सम्मिलित करना लाभकारी हो सकता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान विभागके अध्यक्ष प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने कहा कि आत्महत्या करने के पीछे हमारेआसपास का वातावरण जिम्मेदार होता है और इस वातावरण में अनुकूल परिवर्तन करके हमआत्महत्या जैसे जघन्य कृत्य  को रोक सकतेहै ।अधिष्ठाता छात्रकल्याण प्रो. अजय द्विवेदी ने कहा कि आज हम एक परिवार में रहते हुए भी सोशल मीडियाके कारण दूर रहते है, एक दूसरे से बात नहीं करते औरन ही एक दूसरे को समय दे पा रहे है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो, वह दिन दूर नही कि हर परिवार आत्महत्या जैसे कृत्य से ग्रसित होगा। संचालनरवनीत कौर,  धन्यवाद् ज्ञापन डॉ. मनोज कुमारपाण्डेय ने किया.  इस अवसर पर प्रो. विक्रमदेव शर्मा, प्रो प्रमोद यादव, डॉ. अनु त्यागी, डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ. सुशील कुमार, डॉ चन्दन सिंह, डॉ अलोक गुप्ता, डॉ सुधीर उपाध्यायएवं विद्यार्थी  उपस्थित रहे.

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