December 28, 2024

ऐतिहासिक अलम नौचंदी और जुलूस—ए—अमारी में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

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ऐतिहासिक अलम नौचंदी और जुलूस—ए—अमारी में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
जौनपुर में प्लेग जैसी महामारी को खत्म करने के लिए 84 साल पहले उठा था नौचंदी में उठने वाला अलम
खराब मौसम के बावजूद, शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों और दूसरे जिलों से जायरीन ने हिस्सा लेकर पेश किस पुरसा
जौनपुर. पूर्वांचल का प्रसिद्ध अलम नौंचदी जुलूस—ए—अमारी का जुलूस लगातार 84वें साल में एक बार फिर से शहर के बाजार भुआ स्थित इमामबारगाह स्व. मीर बहादुर अली दालान से उठा. कमेटी के अध्यक्ष सैयद अलमदार हुसैन की अध्यक्षता में उठे इस जुलूस में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. इस जुलूस में उठने वाला अलम 84 साल पहले जौनपुर में फैली प्लेग बीमारी को खत्म करने के लिए उठाया गया था. जिसके बाद से लोगों को निजात मिली और फिर ये अलम लगातार उठाया जाने लगा. गुरुवार को जब ये जुलूस उठा तो खराब मौसम के बावजूद न सिर्फ शहर से बल्कि, ग्रामीण इलाकों और पूर्वांचल के अलग—अलग जिलों से जायरीन ने इसमें शिरकत की.

मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास की याद में उठने वाले इस जुलूस की मजलिस को शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने पढ़ी. उन्होंने सबसे पहले तो ये कहा कि हजरत अब्बास जैसा सेनापति पूरी दुनिया में कोई दूसरा नहीं है. वो इमाम हुसैन के 72 लोगों के छोटे से लश्कर के सेनापति थे. वो बेहद ही बहादुर थे लेकिन उन्हें जंग की इजाजत नहीं मिली थी, नहीं तो कर्बला की जंग का नक्शा बदल जाता. जब वो तीन दिन के भूखे प्यासे बच्चों के लिए बिना तलवार पानी लेने के लिए नदी किनारे गए तो उन्हें लाखों की यजीदी फौज ने शहीद कर दिया. मौलाना ने जब हजरत अब्बास के इन वाकियों को सुनाया तो वहां मौजूदा हजारों की तादाद में पुरुष, महिलाएं और बच्चे रोने—बिलखने लगे. हर तरफ चीख—पुकार गूंज उठी. हर किसी की आंखों में आंसू थे. मजिलस के बाद अलम और दुलदुल बरामद हुआ. इससे पहले गौहर अली जैदी ने सोजखानी की. फिर मगरबैन की नमाज मौलाना सफ़दर हुसैन जैदी ने पढ़ाई. इसके बाद शिया कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल मोहम्मद हसन ने तक़रीर की तो अमारियां जुलूस में शामिल हुईं. अंजुमन अजादारिया बारादुअरिया के नेतृत्व में शहर की सभी अंजुमनों ने नौहा मातम किया. जुलूस जब पानदरीबा रोड स्थि​त मीरघर पहुंचा तो एक तकरीर डॉ. क़मर अब्बास ने की और हजरत अब्बास के अलम का उनकी भतीजी और इमाम हुसैन की 4 साल की बेटी हजरत सकीना के ताबूत का मिलन हुआ. इस मंजर को देखकर फिर से लोग रो पड़े. जुलूस पांचो शिवाला, छतरीघाट होता हुआ बेगमगंज सदर इमामबारगाह पहुंचा और वहां पर आखिरी तकरीर बेलाल हसनैन ने की और इसी के साथ जुलूस खत्म हुआ. जुलूस कमेटी के सचिव भाजपा नेता और एडवोकेट शहंशाह हुसैन रिजवी ने सभी का आभार व्यक्त किया. वहीं जुलूस में मुख्या रूप से दिलदार हुसैन, सरदार हुसैन और उनकी टीम ने जायरीन की खिदमत की. जुलूस के दौरान दूर—दराज से आए लोगों के​ लिए घर—घर खाने—पीने का इंतेजाम था. रोड पर सबील लगी थी, जहां पानी शरबत, कोल्डड्रिंक आदि सामान थे. जुलूस में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रही.

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