जन्मजात विकृति के बारे में दी गई जानकारी
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जन्मजात विकृति के बारे में दी गई जानकारी
आरबीएसएके की टीम ने मनाया जन्मजात विकृति जागरूकता दिवस
जन्म के समय दोष शरीर के हर हिस्से को कर सकते हैं प्रभावित : सीएमओ
जौनपुर,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम ने जन्मजात विकृति जागरूकता दिवस मनाया। टीम ने लोगों को जन्मजात विकृति के बारे में जानकारी दी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि बच्चों में जन्म के समय दोष संरचनात्मक परिवर्तन हृदय, मस्तिष्क, पैर सहित शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। यह शरीर के दिखने, काम करने के तरीके या दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसी ही क्लब फुट एक जन्मजात विकृति है। हर 800 नवजात में से एक इससे प्रभावित मिलता है। देश में हर साल 33,000 बच्चे इस विकृती के साथ पैदा होते हैं।
आरबीएसएके के नोडल अधिकारी डॉ राजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्लब फुट जैसी 42 जन्मजात बीमारियों एवं दोषों की स्क्रीनिंग की जाती है ताकि जल्द से जल्द उचित एवं निःशुल्क उपचार की सुविधा दिलाई जा सके। स्वयं सेवी संस्था अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग क्लब फुट पिछले पांच साल से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ काम कर रही है। क्लब फुट जन्म के नौ दोषों में से एक है जिसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने प्राथमिकता दी है।
क्लब फुट का यदि समय से इलाज नहीं कराया जाता है तो बच्चा जीवन भर के लिए विकलांग हो सकता है। इलाज न किये जाने पर प्रभावित बच्चों में भेदभाव, उपेक्षा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, अशिक्षा, शारीरिक और यौन शोषण का खतरा बढ़़ जाता है। क्लब फुट क्यों होता है इसका कोई विशेष कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। इस समस्या में मां अथवा पिता का कोई हाथ नहीं होता है। यह विकृति न ग्रहण की वजह से होती है और ना ही मां से बच्चे में जाती है।
आज हम विश्व जन्म दोष दिवस मना रहे हैं। इस अवसर पर अनुष्का फाउंडेशन ने अपने सभी दानदाताओं और समर्थकों का आभारी जताया जो कि उसके उद्देश्य को पूरा करने में उसका समर्थन करते हैं। साथ ही सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि क्लब फुट के साथ पैदा होने की वजह से कोई भी बच्चा बड़ा होकर विकलांग नहीं होने पाए। कार्यक्रम में डीईआईसी मैनेजर अमित गौड़, प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव अंकिता श्रीवास्तव ने भी प्रतिभाग किया।