पटना में हो रहे शिक्षा सम्मेलन की सफलता के लिए एआईडीएसओ ने छात्र सम्पर्क अभियान चलाया

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जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
आगामी 8 अक्टूबर को महान साहित्यकार, कथा सम्राट व कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की 87वीं स्मृति दिवस के अवसर पर छात्र संगठन ए.आई.डी.एस.ओ के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के खिलाफ पूर्वी भारत का क्षेत्रीय शिक्षा सम्मेलन की तैयारी में एआईडीएसओ के कार्यकर्ताओं ने आज दिनांक 6 अक्टूबर को टी डी काॅलेज जौनपुर के मुख्य द्वार पर पर्चे बांटकर छात्र सम्पर्क अभियान चलाया। कार्यकर्ताओं ने बताया कि यह शिक्षा सम्मेलन 8 अक्टूबर, 2023 विद्यापति भवन, पटना में होना है। सम्पर्क अभियान में जिला संयोजक संतोष कुमार, अंजली, पूनम, खुशबू, अभिषेक, दीपचंद, युवराज, अंकित, सत्यम, प्रह्लाद व अन्य मौजूद रहे।
मौके पर मौजूद रहे एआईडीएसओ के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव दिलीप कुमार ने कहा- शिक्षा का काम केवल तथ्यों को याद करना, डिग्रीयां लेना या किसी उपकरण को चलाने की दक्षता हासिल करना नहीं है – यह मानव निर्माण, चरित्र निर्माण व छात्रों में तार्किक सोच निर्मित करने की एक समग्र प्रक्रिया है। हमारे नवजागरण काल व सामाजिक- सांस्कृतिक आंदोलन के महान मनीषियों जैसे ईश्वरचंद्र विद्यासागर, शरतचंद्र, ज्योतिबा राव फूले, सावित्री बाई आदि ने हमेशा वैज्ञानिक, धर्मनिरपेक्ष, जनवादी और सार्वभौमिक शिक्षा का सपना देखा था। लेकिन आजादी के बाद से ही इस मांग को लेकर ना तो केंद्र और ना ही किसी राज्य सरकार ने ध्यान दिया बल्कि इसके विपरित शिक्षा के निजीकरण, व्यापरीकरण, सांप्रदायिकरण और केंद्रीयकरण की नीति को बढ़ाने का ही काम किया। आज शिक्षा की मर्मवस्तु चरित्र निर्माण को ही पूरी तरह से नष्ट किया जा रहा है। देशभर में सरकारी शिक्षा व्यवस्था आज गहरे संकट में है खासकर बिहार, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। वर्तमान में तो भाजपा नीत केंद्र सरकार ने गैर-जनवादी प्रक्रिया अपनाते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू कर पहले से बदहाल शिक्षा व्यवस्था के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है। इसलिए नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ जोरदार संगठित छात्र आंदोलन वक्त की जरूरत है। अतः हम आप सभी न्यायपसंद छात्रों, शिक्षको व बुद्धिजीवियों से अपील करते हैं कि वे सार्वजनिक शिक्षा को बचाने के लिए आगे आयें।
प्रमुख मांगें:-

  1. जन विरोधी, छात्र विरोधी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ को निरस्त करें।
  2. सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के लिए केन्द्रीय बजट का 10% एवं राज्य बजट का 30% आवंटित करें।
  3. शिक्षकों के 11 लाख रिक्त पदों को युद्ध स्तर पर भरे जाए। अंशकालिक शिक्षकों की नौकरी स्थायी करें।
  4. ‘स्कूल कॉम्प्लेक्स’ के नाम पर सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना वापस ले एवं पर्याप्त अनुदान देकर सरकारी स्कूलों की आधारभूत संरचना को मजबूत करें।
  5. कक्षा 1 से 8 तक पास- फेल प्रथा लागू करें।
  6. स्कूलों में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने पर रोक लगाई जाए, कॉलेजों से सीबीसीएस व सेमेस्टर सिस्टम वापस ली जाय तथा चार वर्षीय डिग्री कोर्स शुरू करना बंद करें।
  7. सरकारी संस्थाओं की फीस आम छात्रों की सीमा के अन्दर रखें।
  8. छात्र विरोधी एवं अलोकतांत्रिक कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) पर रोक लगाई जाए एवं निजी कोचिंग संस्थानों को बढ़ावा देना बंद करें।
  9. NMC ACT 2019 पर रोक लगाए एवं चिकित्सा शिक्षा में अवैज्ञानिक पाठ्यक्रम ‘योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा’ (CBME) के क्रियान्वयन को रोक लगाए।
  10. पुनर्जागरण के मनीषियों, क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन संघर्षों को मिटाकर इतिहास को विकृत करना बन्द करें।
  11. विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता में कटौती बंद करें। अनुसंधान के लिए पर्याप्त धन आवंटित करें।
  12. राजनीतिक हस्तक्षेप से शिक्षा को मुक्त करें।
  13. ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को कक्षा शिक्षण (Classroom Teaching) के विकल्प के रूप में पेश करना बन्द करें।

प्रेषक
संतोष कुमार
जिला संयोजक
एआईडीएसओ
जौनपुर

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