घर जाकर सीएमओ ने समझाया, टीकाकरण को तैयार हुए अभिभावक

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-आशंका का निवारण कर फायदे समझाने पर मिली कामयाबी

जौनपुर, 12 सितम्बर 2023। टीकाकरण से इंकार करने वाले परिवारों के बारे में जानकारी होने पर मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह एवं जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ नरेन्द्र सिंह स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मंगलवार को सोंधी ब्लाक के मानीकला गांव पहुंचे। उन्होंने इनकार करने का कारण जाना। उनकी आशंका का समाधान कर उन्हें संतुष्ट कर दिया। इससे सभी टीकाकरण को तैयार हो गए। नौ में से सात बच्चों का मौके पर ही टीकाकरण कर दिया गया।
सोंधी ब्लाक के मानीकला गांव में नियमित टीकाकरण के दौरान नौ परिवार के लोगों ने अपने शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को टीका लगवाने से इंकार कर दिया था। इस बात की जानकारी स्वास्थ्यकर्मियों ने सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह को दी। मंगलवार को वह जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ नरेन्द्र सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डॉ अभिजीत जोशे, संयुक्त राष्ट्र बाल आपातकोष (यूनिसेफ) की जिला मोबलाइजेशन समन्वयक (डीएमसी) गुरदीप कौर के साथ मौके पर पहुंच गईं। उन्होंने इनकार करने वाले परिवारों से बात की तो पता चला कि उन्हें आशंका है कि टीका लगाने पर बच्चों को बुखार हो जाएगा और वह परेशान होंगे। सीएमओ ने बताया कि ऐसी कोई दिक्कत नहीं होगी। पेंटा का टीका लगने पर थोड़ा बुखार होता है लेकिन एक-दो दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। बाकी टीकों से कोई दिक्कत नहीं होती।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डीआईओ डॉ नरेन्द्र सिंह ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में कुल 13 जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए 11 प्रकार के टीके शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को लगाए जाते हैं। 13 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए बच्चों को हेपेटाइटिस-बी बर्थ डोज, बैसिलस गुरिन कोलमेट (बीसीजी-पोलियो), पेन्टा, फैक्सनल इन्जेक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (एफआईपीवी), न्यूमोकोकल वैक्सीन (पीसीवी), रोटा, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई), मिजिल्स रुबेला (एमआर), डिप्थीरिया परट्यूसिस टिटनेस (डीपीटी), टिटनेस डिप्थीरिया (टीडी) का टीकाकरण किया जाता है। जनपद में इस कार्यक्रम के तहत पूरे वर्ष में लगभग 50,306 टीकाकरण सत्रों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के कारण जमुआ रोग जनपद में कई वर्षों से शून्य पर पहुंच चुका है। वर्ष 2021 में एक मरीज मिला था। उसके बाद से आज तक कोई मरीज नहीं मिला है और लगभग खात्मे की ओर है। इसके साथ ही पोलियो का भी जनपद से उन्मूलन हो चुका है। 2007 में अंतिम मरीज पाया गया था। गलाघोंटू नामक बीमारी के भी मरीज पिछले कई वर्षों से नहीं मिल रहे हैं। 2021 में मात्र एक मरीज मिला था। 2023 में अभी तक मिजिल्स के 98 मरीज तथा रुबेला के नौ मरीज मिले हैं। मिजिल्स-रुबेला नामक बीमारी का भी दिसम्बर 2023 तक खात्मा करने का लक्ष्य रखा गया है। 2021 में न्यूमोनिया के 934 और 2022 में 1,192 मरीज पाए गए थे। 2023 में जून तक 741 मरीज मिल चुके हैं। दस्त एवं न्यूमोनिया के मरीजों की संख्या में भी बड़ी गिरावट आई है।

स्वास्थ्य टीम उन्हें समझाने में कामयाब रही। नौ परिवारों के सभी लोग संतुष्ट हो गए। इसके चलते मौके पर ही सात बच्चों को टीका लगा दिया गया जबकि एक बच्चा बीमार था। इसलिए उसे नहीं लगाया गया और एक घर पर नहीं था। आने पर घर वालों ने लगवाने का आश्वासन दिया है।

दो अनुपस्थित, वेतन रोका
सीएमओ ने पूर्वांचल डेंटल हास्पिटल का आकस्मिक निरीक्षण किया। मौके पर दो कर्मचारी अनुपस्थित थे। उनका वेतन रोकने का निर्देश दिया।

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