September 20, 2024

अंग्रेजों ने साजिश के तहत देश को दो टुकड़ों में बांट दिया था: अशोक पाण्डेय

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भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं हैं : अशोक पाण्डेय

देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा: बृजेश सिंह प्रिंशु

जौनपुर :भारतीय जनता पार्टी ने नगरपालिका टाउन हाल में पूर्व जिलाध्यक्ष हरिश्चंद सिंह के अध्यक्षता में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया जिसके मुख्य अतिथि प्रदेश प्रवक्ता अशोक कुमार पाण्डेय जी रहे एवं  विशिष्ट अतिथि विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह प्रिंशु रहे। कार्यक्रम के उपरांत टाउन हॉल के मैदान से कलेक्ट्रेट स्थित शहीद स्तंभ तक एक विशाल पदयात्रा निकाली गई।

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये प्रदेश प्रवक्ता अशोक पाण्डेय ने कहा कि भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी यह अंग्रेजों की साजिश थी कि देश को दो टुकड़ों में बांट दिया जाए, इसके लिए कुछ भारतीय नेता भी जिम्मेदार थे। 14 अगस्त 1947 की तारीख भारत भला कैसे भूल सकता है एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी तो वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे लाखों लोग इधर से उधर हो गए घर-बार छूटा, परिवार छूटा,  लाखों की जानें गईं। विभाजन का दर्द भारत के लिए यह विभीषिका से कम नहीं थी। इसी दर्द को याद करते हुए पिछले साल आजादी की सालगिरह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया कि 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जायेगा ताकि आज के पीढ़ी को पता तो चले की देश का विभाजन कैसे हमारे लिए विभीषिका बनी। भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए ही 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैं।

विशिष्ट अतिथि बृजेश सिंह प्रिंशु ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान गंवानी पड़ी। विभाजन के कारण हुई हिंसा और नफरत से लाखों लोग विस्थापित हो गए और कई ने जान गंवा दी और यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा साथ ही इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं। 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो-निशान नहीं था।

पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि विभाजन की घटना को याद किया जाए तो 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है। वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है यह वो तारीख है, जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। देश का बंटवारा हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है। दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए।

पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर ने कहा कि बंटवारा के बाद इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई। यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है।

पूर्व अध्यक्ष हरिश्चंद सिंह ने अध्यक्षीय भाषण देते हुये कहा कि आज जो कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की ध्वजवाहक बनने का ढोंग करती है उसी कांग्रेस ने कई साम्प्रदायिक कानूनों को पारित करवाने में अंग्रेजों की सहायता की थी। अंग्रेजों ने सदैव फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई थी जिसका अनुसरण कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उनके मानसपुत्र आज भी कर रहे हैं। हमें विभाजन को एक सबक के रूप में लेना चाहिए ताकि भारत अतीत की गलतियों को न दोहराए और देश तुष्टीकरण का रास्ता न अपनाए, खासकर जब हमारे पड़ोस में अस्थिरता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हो।

कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री सुनील तिवारी ने की। उक्त अवसर पर जिला महामंत्री अमित श्रीवास्तव जिला मंत्री राजू दादा प्रमोद यादव नगरपालिका अध्यक्ष मनोरमा मौर्या सुषमा पटेल ब्लाक प्रमुख गण सुनील यादव विनय सिंह धीरू सिंह बृजेश यादव अमित श्रीवास्तव रामसूरत मौर्या सिद्दार्थ राय अजीत सिंह आदि उपास्थित रहे।

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