September 19, 2024

रतिज रोगों के इलाज और बचाव की जिला महिला अस्पताल में मिल रही सुविधा

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कामयाबी
-एसटीआई-आरटीआई काउंसलिंग सेंटर गोपनीयता के साथ सुविधा दिलाने में मददगार
-बड़ी संख्या में क्लैमाइडिया, गोनोरिया, ट्राइकोमोनिया, हर्पीज, हेपेटाइटिस, सिफलिस के मरीजों ने उठाया लाभ

जौनपुर,
केस-1 हुसैनाबाद की 22 वर्षीय शीला (बदला हुआ नाम) को एक महीने से पेट में दर्द था। 10 दिन पहले अपना उपचार कराने के लिए जिला महिला अस्पताल गई। जाच में पता चला कि वह रतिज रोग से पीड़ित हैं। अस्पताल से मिली दवाओं के सेवन व चिकित्सक की सलाह पर अमल करने का नतीजा है कि अब उन्हें पूरी तरह से आराम है। वह अस्पताल से मिलने वाली सुविधाओं से पूरी तरह से संतुष्ट हैं।

केस – 2 रश्मि 31 वर्ष ( बदला हुआ नाम) को ल्यूकोरिया की वजह से ज्यादा स्राव की समस्या हो रही थी। साथ ही कमर और पैर में दर्द रहता था। जिला महिला अस्पताल में उन्होंने उपचार कराया। तीन महीने दवा चली। अब वह ठीक हो चुकी हैं ।
महिलाओं से संबंधित विभिन्न रोगों के लिए जिला महिला अस्पताल में पूरी गोपनीयता के साथ जांच, इलाज और दवा की सुविधा मिल रही है। जिला महिला अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ शोभना दूबे कहती हैं कि महिला मरीजों की ऐसी बीमारियों में इलाज व सहूलियत के लिए दिसम्बर 2022 से ही जिला महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग के कमरा नंबर 11 में काउंसलिंग सेंटर बनाया गया है, जिसमें पूरी गोपनीयता के साथ सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन और रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन के मरीजों को इलाज की सुविधा दी जा रही है। इस दौरान क्लैमाइडिया, गोनोरिया, ट्राइकोमोनिया, हर्पीज, सर्वाइकल कैंसर, फंगल इन्फेक्शन, हेपेटाइटिस, सिफलिस सहित कई अन्य बीमारियों के करीब चार हजार मरीजों को उपचार कर स्वस्थ किया गया है। वह कहती हैं कि पार्टनर के साथ असुरक्षित संबंधों की वजह से एसटीआई एवं मासिक धर्म के दौरान अनहाइजेनिक तरीके अपनाने से आरटीआई की समस्याएं आती हैं। यह रोग वायरस, फंगस या परजीवियों की वजह से होते हैं। सर्वाइकल कैंसर से बालिकाओं को बचाव के लिए शीघ्र ही सरकारी अस्पतालों में टीके की व्यवस्था उपलब्ध होने जा रही है। एसटीआई/आरटीआई इन्फेक्शन के लक्षण के अनुसार किट में एक से सात दवाएं तक दी जाती हैं।
कैसे मिलती है इलाज की सुविधा- जिला महिला अस्पताल के काउंसलिंग सेंटर में काउंसलर सीमा सिंह और ज्योति सिंह ने बताया कि जिला महिला अस्पताल में पर्ची कटवाने के बाद लाभार्थी महिला ओपीडी में बैठे डॉक्टर को दिखातीं हैं। उसके बाद बाद उनकी बीमारी के अनुसार दवा देने, एहतियात बरतने व निर्देश का पालन करने का परामर्श देने को कमरा नंबर 11 में स्थित काउंसलिंग सेंटर में भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि यहां पर कई तरह की जांच की सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर डॉक्टर की सलाह पर हेपेटाइटिस की जांच होती है। यूरिन में इंफेक्शन की जांच के लिए यूटीआई टेस्ट किया जाता है। वीडीआरएल और एचआईवी की भी जांच होती है, जिससे सिफलिस के साथ ही दो तीन अन्य बीमारियों का भी पता चल जाता है।
बीमारियों से बचाव के लिए क्या करें:
काउंसलर सीमा सिंह और ज्योति सिंह बतातीं हैं कि इन बीमारियों की स्थिति में जननांगों में खुजली होने, चकत्ते आने, दाने निकलने ,स्राव होने, स्राव से बदबू आने, संबंध बनाते समय दर्द होने, पेशाब करते समय दर्द होने, माहवारी की प्रक्रिया में बदलाव (कम या ज्यादा होना) होने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह रोग वायरस, फंगस या परजीवियों की वजह से होते हैं। इसलिए माहवारी के दौरान तीन से चार घंटे में पैड बदल लेना चाहिए। इन लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह लें।

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