दस्त के साथ बच्चा है सुस्त, आंखें हो धंसी तो है डायरिया का खतरा

निर्जलीकरण की अवस्था में जाने से पहले बच्चे पर दें ध्यान
जौनपुर, 18 जुलाई 2023।
सोंधी ब्लाक के मानीकला गांव के मुकेश की तीन वर्षीय बेटी महक को एक दिन पहले से दिन भर में चार से पांच बार पतली दस्त हो रही थे। आशा कार्यकर्ता शशिकला के नियमित भ्रमण के दौरान पहुंचने पर परिवारवालों ने उसकी स्थिति से उन्हें अवगत कराया। शशिकला ने महक के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। परिवार वालों ने बताया कि वह थोड़ी सुस्त है लेकिन अभी ज्यादा प्रभाव नहीं है।
शशिकला ने समझाया–कि बच्चा यदि सुस्त हो, आंखें धंसी हों, खा-पी नहीं पा रहा हो, चिड़चिड़ा हो, बहुत ज्यादा प्यास लगे, त्वचा सिकुड़ जाए तो स्थिति को गंभीरता से लें । फ़िलहाल महक को अभी ऐसा कुछ नहीं है लिहाजा समझो वह खतरे से बाहर है। शशिकला ने पीने के पानी, शौचालय और स्वच्छता के बारे में भी जानकारी ली। घर में स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने स्वच्छ पानी पीने की सलाह दी। दस्त के बचाव के लिए साबुन से हाथ धोकर एक लीटर पानी उबालकर फिर ठंडा कर उसे छान लेने तथा उसमें एक पैकेट ओआरएस का घोल डालकर चम्मच से हिलाकर उसे देने को कहा। उन्होंने इस घोल को एक से दो घंटे के अंतराल पर बच्चे को देते रहने की सलाह दी। जिंक की गोली भी दी जिसे 14 दिन तक खिलाते रहने को कहा और उसका खान-पान जारी रखने की सलाह दी। शशिकला ने तीन बार महक के घर का भ्रमण किया। साथ ही 14 दिन तक निगाह रखी। ओआरएस घोल तथा जिंक की गोली के सेवन से उसी दिन महक का दस्त बंद हो गया। इससे खुश होकर बच्चे की दादी शीला देवी और मां उर्मिला ने आशा कार्यकर्त्ता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आपकी वजह से हमारी बच्ची ठीक हुई। वह खेलकूद रही है। ओआरएस घोल तथा जिंक की गोली के सेवन से उसका दस्त बंद हो गया।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि दस्त की पहचान कर महक को निर्जलीकरण की अवस्था में जाने से पहले उसका प्रबंधन कर दिया गया जिससे बच्ची ठीक हो गई। ऐसे मामले लापरवाही बरतने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। वह कहती हैं कि बच्चा यदि सुस्त हो जाता है, आंखें धंस जातीं हैं, खा-पी नहीं पाता है, चिड़चिड़ा हो जाता है, बहुत ज्यादा प्यास लगती है, त्वचा सिकुड़ जाती है तो ऐसे मामले में सतर्क होकर तत्काल चिकित्सक संपर्क करना चाहिए । उन्होंने कहा कि यह रोग दूषित पानी और दूषित भोजन का सेवन करने की वजह से होता है। दस्त से बचाव के लिए खाने-पीने की वस्तुओं की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों में दस्त नियंत्रण के लिए प्रत्येक आशा कार्यकर्ता शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को ओआरएस का घोल तथा जिंक टैबलेट बांट रहीं हैं।
एसीएमओ डॉ राजीव कुमार ने बताया कि सात जून से 22 जून तक चले दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान सोंधी ब्लाक में 187 बच्चे तथा जनपद में कुल 882 बच्चे दस्त से पीड़ित थे जिसमें से 38 का रेफरल हुआ। बाकी सभी का इलाज़ घर पर ही हुआ। जनपद में 3,24,350 ओआरएस का पैकेट और 5,14,800 जिंक टैबलेट बांटा गया। जनपद में किसी भी बच्चे की मौत दस्त से नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाल मृत्यु ज्यादातर डायरिया और निमोनिया के कारण होती है। उसमें भी डायरिया से ज्यादा होती है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान (एसआरएनए) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बालमृत्यु दर 1000 जीवित जन्मे बच्चों पर 43 है। बाल्यावस्था में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से पांच से सात प्रतिशत बच्चों की मृत्यु दस्त से होती है। प्रदेश में हर साल 16,000 के करीब बच्चे दस्त से जान गंवा देते हैं। बच्चों में दस्त रोग मृत्यु का प्रमुख कारण है जिसका उपचार ओआरएस के घोल और जिंक की गोली से किया जा सकता है। इसके माध्यम से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। यह रोग मुख्य रूप से दूषित पेयजल, स्वच्छता एवं शौचालय की कमी से होता है।