स्वास्थ्य अभियानों में अहम भूमिका निभा रहीं सीएचओ स्वेतनिशा
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सहयोगी
तीन सप्ताह में 96 मरीजों का बलगम सीएचसी भेजा
फाइलेरिया प्रभावितों लोगों को दिलाया परामर्श
जौनपुर,
जनपद में 2025 तक क्षय उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने व आमजन तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सुजानगंज के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर मुस्तफाबाद की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) स्वेतनिशा का कोई जोड़ नहीं। उन्होंने मात्र तीन सप्ताह में 96 मरीजों का बलगम संग्रह सीएचसी के डायग्नोस्टिक सेंटर को भेजा। नियमित टीकाकरण कराने, फाइलेरिया मरीजों का भी सहयोग करने से लोग उन्हें अपने परिवार का सदस्य जैसा समझते हैं।
जिला क्षयरोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राकेश सिंह ने बताया कि 2025 तक क्षय उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए क्षयरोगियों की पहचान कर उनकी दवा जल्द शुरू करा देना आवश्यक होता है। इसके लिए 15 मई से सात जून तक चले 21 दिवसीय सक्रिय क्षयरोगी खोज अभियान (एसीएफ) में जनपद के 334 हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों ने कुल 7,31,387 लोगों में टीबी की स्क्रीनिंग की। इस दौरान कुल 4,278 लोग टीबी संभावित लक्षण वाले मिले। इनमें से 4,244 लोगों की टीबी की जांच कराई। इनमें से 94 नए टीबी रोगी मिले। सभी का उपचार शुरू हो गया है। तीसरे सप्ताह तक अभियान की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा बलगम संग्रह एवं संदर्भन का कार्य टीबी यूनिट सुजानगंज ने किया। उन्होंने बताया कि हेल्थ वेलनेस केंद्र मुस्तफाबाद की सीएचओ स्वेतनिशा ने तीसरे सप्ताह तक कुल 96 मरीजों का बलगम केंद्र के डायग्नोस्टिक सेंटर को संदर्भित किया।
ऐसे बढ़ाई बलगम की जांच:
स्वेतनिशा बतातीं हैं कि संचारी रोग उन्मूलन अभियान के दौरान उन्होंने महसूस किया था कि सर्दी-खांसी के मरीज बलगम की जांच कराने से डरते हैं। उन्हें डर लगता है कि यदि टीबी निकल गया तो क्या होगा? इसलिए उन लोगों के पास गई। उन्हें बताया कि यदि आपको टीबी निकला तो उसका इलाज हो जाएगा। कोई दिक्कत नहीं होने पाएगी। मैं टीबी की दवा आपके घर लाकर पहुंचा दूंगी। इसलिए सीएचसी से टीबी की अतिरिक्त दवा लाकर रखती हूं। जरूरत पड़ने पर घर जाकर पहुंचा देती हूं। इससे एक घंटे का भी गैप नहीं हो पाता है। इन वजहों से बलगम की जांच कराने वालों की संख्या बढ़ी है।
दवा शुरू कराई: डीपीसी सलिल यादव ने बताया कि बारा पदूमपुर का एक परिवार गरीब और अशिक्षित है। उनका एक बेटा मानसिक रोगी था जिसकी मौत हो चुकी है। उनकी बेटी स्वाति (काल्पनिक नाम) गर्भवती हैं। स्वेतनिशा ने उनके घर जाकर परिवार के लोगों की बलगम की जांच कराई और उन्हें बताया कि स्वाति को टीबी है। इससे परिवार के अन्य लोगों को भी टीबी हो सकता है। पैदा होने वाले बच्चे को टीबी रोगी हो सकता है और अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। उन्हें बताया कि अभी इलाज करा लेंगे तो खुद स्वस्थ रहेंगे तथा आसपास के लोगों को भी कोई दिक्कत नहीं होगी। वह दवा शुरू कराने को तैयार नहीं थे। काफी कोशिश करने के बाद वह सीएचसी भेजने को तैयार हुए। सीएचसी पर उसे दवा मिली। उनके खाते को निक्षय पोर्टल से जुड़वाकर हर महीने 500 रुपए का डायरेक्ट बेनिफिसियरी ट्रांसफर (डीबीटी) शुरू करवाया।
टेकनहिया मोहल्ले के लोग अपने बच्चों को टीका नहीं लगवा रहे थे। उन्होंने एक-एक परिवार से मिलकर उन्हें समझाया कि बच्चों को पांच वर्ष की उम्र तक लगने वाले 12 टीके पूरी उम्र उनका 13 जानलेवा बीमारियों से बचाव करते हैं। उनके समझाने का प्रभाव हुआ कि इनकार करने वाले अपने बच्चों को टीका लगवाने लगे।
जरूरी दवाएं पास रखतीं हैं: मुस्तफाबाद में कार्यभार संभाले उन्हें दो वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका है। वह बताती हैं कि इस दौरान उन्होंने काफी लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं हैं। इनमें से ज्यादातर फाइलेरिया, टीबी, सर्दी, खांसी, बुखार के मरीज हैं। क्षेत्र भ्रमण के दौरान भी वह ज्यादातर जरूरी दवाएं पास रखती हैं।
सुनीता देवी (60) को लगभग 25 वर्ष से फाइलेरिया है। सुनीता देवी ने बताया कि फरवरी में लगे शिविर में स्वेतनिशा ने उन्हें ब्लाक क्षेत्र के नोडल अधिकारी डॉ अनुपम से मिलवाया। हर दो माह में यहां कैम्प लगता है। इसमें फाइलेरिया मरीजों को व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। उन्हें एमडीए अभियान के दौरान दी जाने वाली दवा दिलवाई और उन्हें नियमित रूप से व्यायाम करने की सलाह दी। उसके बाद से वह नियमित रूप से व्यायाम करती हैं। व्यायाम करने से उनके पैरों की सूजन कम हुई और दर्द कम महसूस होता है। इसके कारण वह स्वेत निशा से बहुत खुश रहतीं हैं।