जिले में 61 पुरुषों ने करायी नसबंदी

जागरूकता अभियान के बेहतर परिणाम
आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका से राह हुई आसान
जौनपुर, 10 अप्रैल 2023
जनपद में परिवार नियोजन की दिशा में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में वर्ष 2022-23 में जिले के 61 पुरुषों ने नसबंदी अपनाकर स्वस्थ परिवार की अवधारणा के प्रति मिसाल पेश की है।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने बताया कि जनपद में परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों में काफी जागरूकता आयी है। वर्ष 2022-23 में जनपद में 61 पुरुष नसबंदी हुई । यह उपलब्धि हासिल करने में ब्लाकों में चला जागरुकता अभियान बेहद कारगर रहा । जागरूकता का ही नतीजा है कि बरसठी ब्लाक में 19 पुरुष नसबंदी हुई । इसी तरह सिकरारा ब्लाक में 10 पुरुष नसबंदी हुई है। जलालपुर ब्लाक में तीन पुरुषों ने नसबंदी कराया । ऐसे ही महराजगंज, मुफ्तीगंज, सिरकोनी में दो-दो पुरुष नसबंदी हुई । ऐसे ही ज्यादातर ब्लाकों में पुरुष नसबंदी के बेहतर परिणाम आये हैं ।
पुरुष नसबंदी के मामले में पूरे जनपद में सर्वाधिक उपलब्धि हासिल करने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बरसठी के प्रभारी चिकित्साधिकारी एमओआईसी डॉ अजय सिंह कहते हैं कि इस उपलब्धि में गायत्री, अनीता यादव और शांति देवी जैसी आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत का बड़ा योगदान है। वहीं दूसरा या तीसरे प्रसव कराने आने वाली महिलाओं के परिवार को समझाकर नसबंदी कराने के लिए प्रेरित किया जाता है। बरसठी के भोपतपुर गांव की आशा कार्यकर्ता गायत्री देवी कहती हैं कि जागरूकता की ही देन है की वर्ष 2021-22 में उनके क्षेत्र के 40 पुरुषों ने नसबंदी करवाया था। इस बात की काफी सराहना हुई थी और इसकी वजह से लोग उन्हें जानने लगे हैं और स्वयं ही फोन कर नसबंदी करवाने की खुद ही पहल करते हैं। वहीं तुलसीपुर की आशा कार्यकर्ता अनीता यादव कहती हैं कि नसबंदी के दौरान महिलाओं को टांका लगता है जबकि पुरुष नसबंदी में ऐसी कोई दिक्कत नहीं आती है।
इसलिए नसबंदी कराई:
रसठी के मिठाई लाल पटेल (38) ने एक बेटा और एक बेटी होने के बाद नसबंदी अपना ली। वह कहते हैं कि नसबंदी कराने के बारे अखबारों में पढ़कर तथा आशा गायत्री देवी के समझाने से वह बहुत प्रभावित हुए। दो बच्चे होने के बाद उनकी पत्नी सुजीता पटेल (35) नसबंदी अपनाना चाह रही थी लेकिन महिलाओं को होने वाली दिक्कतों को देखते हुए उन्होंने स्वयं नसबंदी अपना ली। वह कहते हैं कि पुरुष नसबंदी आसान और सुरक्षित है। इसलिए पुरुष नसबंदी को प्राथमिकता देना चाहिए। वहीं एक बेटा और एक बेटी होने के बाद बरसठी के प्रदीप कुमार 47 वर्ष ने जनवरी में नसबंदी अपना ली। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी गीता देवी 40 बहुत कमजोर हैं और नसबंदी न होने पर गर्भ ठहरने का खतरा बना रहता है। दो बच्चे होने के बाद हम लोग और बच्चे नहीं चाहते थे। मंहगाई होने के कारण उन बच्चों की शिक्षा -दीक्षा और स्वास्थ्य पर बहुत खर्च होता। नसबंदी अपना चुके दो-तीन पुरुषों ने भी पुरुष नसबंदी को ज्यादा सुरक्षित बताया। इसलिए अपनी नसबंदी अपनाने का फैसला किया।
