Jaunpur news मुक्ति पर्वः स्वतंत्रता संग आत्मिक जागरण का उत्सव

मुक्ति पर्वः स्वतंत्रता संग आत्मिक जागरण का उत्सव
जौनपुर, 16 अगस्त 2025। स्वतंत्रता के 79 गौरवशाली वर्ष के साथ संत निरंकारी मिशन ने ‘मुक्ति पर्व’ को आत्मिक स्वतंत्रता के रूप में श्रद्धा और समर्पण से मनाया। यह पर्व केवल स्मरण का अवसर नहीं, बल्कि आत्मिक चेतना जागरण और मानव जीवन के परम उद्देश्य की ओर प्रेरित करने वाला आध्यात्मिक उत्सव है।
जनपद के मड़ियाहूं पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन सहित जिले की 16 शाखाओं में इस अवसर पर विशेष सत्संग समागम आयोजित हुए। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को पढ़ते हुए संयोजक श्री श्याम लाल साहू ने बताया कि विश्वभर में मिशन की शाखाओं पर भी इसी भाव से मुक्ति पर्व मनाया गया। श्रद्धालुओं ने शहनशाह बाबा अवतार सिंह जी, जगत माता बुद्धवंती जी, राजमाता कुलवंत कौर जी, माता सविंदर हरदेव जी, भाई साहब प्रधान लाभ सिंह जी तथा अन्य समर्पित संतों के जीवन को स्मरण कर प्रेरणा ली।
उन्होंने कहा कि जैसे 15 अगस्त को देशभक्ति गीत और तिरंगा राष्ट्रीय स्वतंत्रता के प्रतीक हैं, वैसे ही एक सच्चे भक्त का जीवन सेवा, समर्पण और भक्ति की महक से स्वतंत्रता का संदेश देता है। सद्गुरु द्वारा दिया गया ब्रह्मज्ञान ही वास्तविक आज़ादी है, जो मनुष्य को अहंकार और बंधनों से मुक्त करता है।
मुक्ति पर्व की शुरुआत वर्ष 1964 में जगत माता बुद्धवंती जी की स्मृति में ‘जगत माता दिवस’ के रूप में हुई थी। 1970 से इसे ‘जगत माता-शहनशाह दिवस’ कहा जाने लगा। वर्ष 1979 में प्रथम प्रधान भाई साहब लाभ सिंह जी के ब्रह्मलीन होने पर बाबा गुरबचन सिंह जी ने इसे ‘मुक्ति पर्व’ नाम दिया। वर्ष 2018 से माता सविंदर हरदेव जी को भी इस दिन विशेष श्रद्धा-सुमन अर्पित किए जाते हैं।
समागम में बताया गया कि इन संतों का तप, त्याग और सेवा आज भी असंख्य आत्माओं के जीवन को आलोकित कर रहा है। उनका जीवन केवल स्मरण के लिए नहीं, बल्कि आचरण और प्रेरणा के लिए है। भक्ति का मूल्य वर्षों की गिनती में नहीं, बल्कि समर्पण की गहराई में है।
मुक्ति पर्व की मूल भावना यही है कि जैसे भौतिक स्वतंत्रता राष्ट्र की प्रगति का मार्ग खोलती है, वैसे ही आत्मिक स्वतंत्रता यानी जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति ही मानव जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि है। यह मुक्ति केवल ब्रह्मज्ञान की दिव्य ज्योति से ही संभव है, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़कर जीवन के वास्तविक उद्देश्य का बोध कराती है।
