October 18, 2024

सरहद की रक्षा करने वाले फौजी की जमीन पर दबंगों का कब्जा।

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पिता ने कहाँ नहीं मिला न्याय तो कर लूंगा आत्महत्या

जौनपुर। देश की सीमा की रक्षा के लिए देश की एक-एक इंच जमीन की रखवाली में सीना तानकर गोली खाने को तैयार सरहद की रक्षा करने वाला जवान अपने घर की जमीन सुरक्षित नहीं कर सका। 70 वर्षीय बीमार पिता न्यायालय का स्थगन आदेश लेकर यहां के सिस्टम के जाल में उलझे रहे और दबंगों ने उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया। कलेजे पर पत्थर रखकर इकलौते बेटे को फौज में भेजने वाले पिता न्याय के लिए दौड़ते-दौड़ते अन्दर से टूट चुके हैं। अब वह आत्महत्या करने की बात कह रहें है।

क्या है पूरा मामला।पूरा मामला जौनपुर जिले के जलालपुर थाना क्षेत्र के दुबेपुर (छितौना) गांव का है। फौजी के पिता राममणि ने बताया कि वह दो भाई हैं। पिता की मृत्यु के बाद सड़क के किनारे मौजूद 18 विस्वा जमीन में दोनों भाइयों का आधा-आधा हिस्सा बनता है। उक्त आराजी नंबर 18 पर फाट बँटवारा को लेकर हम दोनों भाईयों के बीच उपजिलाधिकारी केराकत के न्यायालय में मुकदमा भी चल रहा है। उक्त मुकदमें में दोनों पक्षों को नवनिर्माण न करने का स्थगन आदेश पारित है। बावजूद उसके मेरे भाई ने योजनाबद्ध तरीके से बीते दो जुलाई को 40 -50 लेबर मिस्त्री लगाकर और 8-10 दबंग लोगों को लाठी- डंडा लेकर खड़ा करके मेरी जमीन पर कब्जा कर लिया। थाने पर मैं अपना कागज लेकर गया तो थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने मेरे कागजात को अनदेखा कर हमारे विपक्षी के अधूरे आदेश को सही बता कर जमीन पर कब्जा होने दिया। जबकी मेरा कागज पूरी तरह से सही है। हलांकि इस मामले में एसडीएम केराकत सुनील कुमार भारती से बात करने का प्रयास किया गया परंतु एसडीएम साहब व्यस्त थे और पूरी बात नहीं हो पाई। उन्होंने पीड़ित का मदद करने का आश्वासन दिया है।

फौजी के जमीन कब्जा पर क्या बोले थानाध्यक्ष मनोज सिंह
जौनपुर। सरहद पर तैनात फौजी की घर की जमीन पर दबंगों द्वारा अवैध कब्जा बताकर सोशल मीडिया पर तेजी से वीडियो वायरल होने लगा। फौजी की जमीन पर अवैध कब्जा का मामला जब सामने आया तो इस संबंध में थानाध्यक्ष जलालपुर मनोज सिंह से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि उक्त जमीन पर दीवानी न्यायालय का आदेश है कि प्रतिवादी राममणि उनके कब्जा दखल में हस्तक्षेप न करें। फिर पूछा गया कि क्या न्यायालय से नवनिर्माण का भी आदेश है तो बताया गया कि उक्त आदेश में नवनिर्माण का कोई आदेश नहीं है फिर यह पूछने पर कि पीड़ित राममणि ने दीवानी न्यायालय के आदेश के करीब एक वर्ष पूर्व एसडीएम कोर्ट से फाट बँटवारा में स्थगन आदेश लिया है क्या उसको नहीं माना जायेगा। इस सवाल पर थानाध्यक्ष महोदय ने कहा कि एसडीएम साहब से समझकर बताते है। बताते चलें कि राममणि के विपक्षी को दीवानी न्यायालय से जो आदेश मिला है उसमें साफ-साफ यह भी कहा गया है कि इस आदेश का प्रभाव किसी अन्य सक्षम न्यायालय के आदेश पर नहीं होगा। आपको बता दें कि आबादी क्षेत्र की जमीन को छोड़कर हर जमीन के लिए एसडीएम कोर्ट के फैसले मान्य हैं और यह एक सक्षम कोर्ट है। इस मामले में फौजी के परिवार पर जाने-अन्जाने में अन्याय हो रहा है।

विद्वान अधिवक्ताओं ने क्या कहा?

जौनपुर। जौनपुर दीवानी न्यायालय के विद्वान अधिवक्ता संजय श्रीवास्तव,अशोक सिंह सहित कई अधिवक्ताओं से सी-भारत की टीम ने बात की तो उन्होंने बताया कि यदि कोर्ट से कब्जा दखल में हस्तक्षेप करने के लिए मना किया गया है तो पीड़ित राममणि अपने विपक्षी को खेत की जमीन पर बुवाई-जुताई करने से मना नहीं कर सकते परंतु उक्त जमीन पर हो रहे नवनिर्माण को वह रोक सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया की सहखातेदारों की जमीन पर एसडीएम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा वह भी एक सक्षम न्यायालय है। यदि पीड़ित राममणि ने फाट बँटवारे के मुकदमें में एसडीएम कोर्ट से स्थगन आदेश लिया है तो वह मान्य होगा।

फौजी की जमीन को हड़पने के लिए कैसे किया जा रहा खेला?

जौनपुर। जलालपुर थाना क्षेत्र के छितौना ग्राम निवासी कृष्ण कुमार बीएसएफ में नौकरी करते हैं और इस समय पाकिस्तान के उरी बॉर्डर पर तैनात हैं। पिता ने बताया नौकरी के कारण बेटा घर पर नहीं रह पाता है, जिसका फायदा हमारे बड़े भाई ने उठाया और एक योजना बनाकर उन्होंने मेरे हिस्से की जमीन को हड़पने की पूरी तैयारी कर ली । बड़े भाई शेषमणि दुबे ने योजना के तहत 18 विस्वा खेत जिसका आराजी नंबर 18 है। उसका आधा हिस्सा अपनी बहू वंदना के नाम बैनामा कर दिया और बैनामे की चौहद्दी में अपने हिस्से की जमीन को सड़क की तरफ दिखा दिया तथा मेरे हिस्से की जमीन को पीछे दिखा दिया और गुपचुप तरीके से बैनामा को तरमीम करा लिया।जिसके बाद वह खतौनी लेकर दिवाली न्यायालय पहुंच गए और खतौनी के आधार पर एकपक्षीय कब्जा दखल में हस्तक्षेप न करने का आदेश कराकर धनबल एंव बाहुबल का जोर लगाकर सड़क के किनारे वाले पूरे हिस्से को जबरन कब्जा कर लिया। मेरे साथ न्याय तब होता जब दोनो लोंगों को सड़क की तरफ आधा-आधा हिस्सा मिलता। यही बात मैं समझाने का प्रयास कर रहा हूँ परन्तु मेरा कोई सुनने को तैयार नहीं है। आखिर में फौजी के पिता राममणि ने कहा कि मैं दौड़ते- दौड़ते अंदर से टूट चुका हूं ।अब दिल कह रहा है कि मैं आत्महत्या कर लूं। यदि मैं आत्महत्या करता हूं तो इसके जिम्मेदार प्रशासन होगा।

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