जौनपुर:टीबी रोग से ग्रसित मरीज की मौत से मचा हड़कंप
जौनपुर:टीबी रोग से ग्रसित मरीज की मौत से मचा हड़कंप
अब तक हो चुकी है एक ही परिवार के सात लोगों की मौत
आशा से लेकर जिला क्षय रोग अधिकारी तक ने साधा मौन
जौनपुर
नगर के मोहल्ला अहमद खा मंडी का रहने वाला भाकुर अहमद जो पिछले 1 साल से टीबी रोग से ग्रसित था उसकी मौत हो जाने के बाद क्षेत्र में हड़कम्मप मच गया है, स्थानीय लोगों ने बताया कि इससे पहले उसके माता-पिता व चार भाई बहन टीबी के रोग से ही मर चुके हैं, इसके बावजूद भी स्थानीय एएनएम, आशा व जिला टीवी अस्पताल के कर्मचारी व अधिकारी ने उक्त परिवार की कोई सुध नहीं ली।
उक्त मरीज के दो भाई और एक बहन है ।मां बाप के मर जाने के बाद उक्त मोहल्ले के सैय्यद राजू,आले खान,आदि ने परिवार की जिम्मेदारी लेकर उनके इलाज कराने का भरसक प्रयास किया है।लेकिन सरकारी महकमे के लोगो की लापरवाही से लगातार मौते हो रही है।
रीना यादव एएनएम, दिलीप कुमार क्षेत्रीय जिम्मेदार और स्थानीय आशा सरिता इस मौत की खास जिम्मेदार है।इन लोगो ने अपने क्षेत्र के उस रोगी की कोई थाह नही ली जिसके घर में लगातार टीबी रोग से मौतें हो रही है।
यही नहीं पिछले दो साल पहले जिला टीबी हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद उक्त मरीज का भाई भी काल के गाल में समा गया तो सारे उसके रिकॉर्ड टीबी हॉस्पिटल में मौजूद रहे होंगे उसके बावजूद भी उक्त चिकत्सालय के चिकित्सा कर्मी और जिम्मेदार हरकत में नही आए ,सारी गलती मरीज और उसके परिजन पर डाल कर अपना पलड़ा झाड़ना और मरीज को डिफाल्टर घोषित कर देने मात्र से ही यह अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नही हो सकते ।
जब सरकार प्रदेश में टीबी मुक्त करने के लिए 2025 तक लक्ष्य साधी है। तो ऐसे में जिला छह रोग अधिकारी के अंतर्गत कार्य करने वाले कर्मचारियों की ढुल मूल रवैया के बावजूद प्रदेश से क्षय रोग कैसे मुक्त हो सकता है।
इस पर जिम्मेदार मौन है ।उक्त मौत की जानकारी के बारे में जब जिला छह रोग अधिकारी के मोबाइल पर फोन किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।
ट्यूबर क्लोसिस (टीबी) रोग जिसको क्षय रोग से भी जाना जाता है इससे वर्ष 2020 में पूरी दुनिया ने कुल 1.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई और अनुमानित 10 मिलियन लोग दुनिया भर में तपेदिक (टीबी) से बीमार हुए।
भारत में दुनिया का सबसे अधिक तपेदिक का बोझ है, अनुमानित 26 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 4 लाख लोग प्रत्येक वर्ष इस बीमारी से मरते हैं।
भारत के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDGs) में निर्धारित वर्ष 2030 की अवधि से पाँच वर्ष पूर्व देश से वर्ष 2025 तक टीबी महामारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
क्षय रोग उन्मूलन (वर्ष 2017-2025), निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र (राष्ट्रीय टीबी सूचना प्रणाली), निक्षय पोषण योजना- वित्तीय सहायता, टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के लिये राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) आदि।
वर्तमान में टीबी के लिये दो टीके वैक्सीन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट (Vaccine Projekt Management- VPM) 1002 और माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रणी (Mycobacterium indicus pranii) विकसित और पहचाने गए हैं जो नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण से गुजर रहे हैं।
