February 7, 2025

छात्र संगठन- ए.आई.डी.एस.ओ ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू की शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया

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छात्र संगठन- ए.आई.डी.एस.ओ ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू की शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया

जौनपुर,
आजादी आंदोलन के गैर समझौतावादी धारा के महान क्रान्तिकारी शहीद-ए-आजम भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू की 93वें शहादत दिवस पर छात्र संगठन ए.आई.डी.एस.ओ ने 23 मार्च 2024 को सुबह 8 बजे से जौनपुर शहर में सब्जी मण्डी स्थित भगतसिंह पार्क में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की शुरूआत भगतसिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया गया। कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों को भगतसिंह की फोटो युक्त बैज धारण कराया गया। विभिन्न काॅलेजों से आये ए.आई.डी.एस.ओ से जुड़े छात्र – छात्राओं ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दिये और क्रांतिकारी व देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता ए.आई.डी.एस.ओ के राज्य सचिव दिलीप कुमार ने कहा कि – जब हमारा देश अंग्रेजों के अधीन था और ब्रिटिश साम्राज्यवाद का आतंक पूरे देश भर में फैला हुआ था। तब अंग्रेजी हुकूमत भारतीयों को गुलाम बनाकर क्रूर से क्रूरतम अत्याचार व शोषण-जुल्म से उनको कुचलने में कोई गुरेज नहीं करती थी। ब्रिटिश अत्याचार के विरोध में खड़े होने पर देश के छात्र-युवाओं को जेल में डालकर कठोर यातनाएं दी जाती थीं। क्रांतिकारियों पर कोड़े बरसाने, गोली मारने और उन्हें फांसी पर चढ़ाने जैसी क्रूरतम घटनाएं प्रतिदिन बढ़ रही थी। इस तरह गैर समझौतावादी धारा के अनेकों क्रांतिकारी साथियों को खो चुके भगत सिंह भी 23 मार्च 1931 को अपने दो और क्रांतिकारी साथियों- सुखदेव व राजगुरु के साथ हंसते हुए फांसी के फंदे चूमकर अमर हो गए।
अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ शहीद-ए-आजम भगत सिंह कष्टसाध्य क्रांतिकारी जीवन जीते हुए अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने का संघर्ष चलाया। भगत सिंह और उनके साथियों ने न केवल देश को आजाद करना चाहा था, बल्कि एक ऐसी समाज व्यवस्था की कल्पना की थी जिसमें इंसान को बुनियादी चीजों के लिए तरसना न पड़े। रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा व सम्मान सभी के लिए मुहैया कराने वाली समाजवादी समाज की स्थापना करना उन्होंने अपना लक्ष्य घोषित किया था। भगतसिंह ने कहा था – “आजादी के मायने यह नहीं होते कि सत्ता गोरे हाथों से काले हाथों में आ जाए, यह तो सत्ता का हस्तांतरण हुआ। असली आजादी तो तब आएगी, जब वह आदमी जो खेतों में अन्न उपजाता है, भूखा नहीं सोये। वह आदमी जो कपड़े बुनता है, नंगा नहीं रहे। वह आदमी जो मकान बनाता है, स्वयं बेघर नहीं रहे।” अमर शहीद सुखदेव ने कहा था – “वह दिन दूर नहीं जब क्रांतिकारियों के नेतृत्व में और उनके झण्डे के नीचे जन समुदाय समाजवादी प्रजातंत्र के उच्च ध्येय की ओर बढ़ता दिखाई देगा।” इसी तरह महान क्रांतिकारी राजगुरू ने भी कहा था – “अपनी जिंदगी देकर देश के करोड़ों नर नारियों को इस स्वर्ग (समाजवादी व्यवस्था) के द्वार खोलकर उसकी खूबसूरती की एक झलक हम दिखा सके तो बाकी काम वे खुद पूरा कर लेंगे।” अफसोस की बात है कि आजादी के 77 वर्षों में भी आजादी आंदोलन के इन महान क्रांतिकारियों का सपना आज भी अधूरा है। इसलिए क्रांतिकारियों व महापुरुषों के सपनों के समाजवादी भारत निर्माण में देश के छात्रों, नौजवानों व हर न्यायपसंद नागरिकों को आगे आना होगा और गैर समझौतावादी क्रांतिकारी राजनीति की मशाल प्रज्वलित करनी होगी। तभी सच्चे मायने में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू को श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर एआईडीएसओ के जिला संयोजक संतोष कुमार प्रजापति सहित अंजली सरोज, विकास मौर्य, चंदा, पूनम, खुशबू, अनीता, अभिषेक, दीपचंद, विवेक कुमार, विशाल, अमन व अन्य छात्र छात्राओं के अलावां प्रवीण शुक्ल आदि मौजूद रह

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