जरूरत के अनुरूप नसबंदी, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, अंतरा आदि अपना रहे लोग जौनपुर, मल्हनी की हीरा (30) एक बच्चा होने के बाद परिवार नियोजन के लिए एक वर्ष तक टैबलेट लेती रहीं लेकिन कभी-कभी भूल भी जातीं थीं। सात-आठ महीने पहले वह जिला महिला अस्पताल आईं और स्टाफ नर्स अनीता से बात की। अनीता ने उन्हें आईयूसीडी लगवाने की सलाह दी। इसे अपनाए उन्हें लगभग आठ महीने हो चुके है लेकिन कोई दिक्कत नहीं हुई। वह कहती हैं कि आईयूसीडी लगवाने से सबसे बड़ी सहूलियत यह है कि जब तक बच्चा नहीं चाहिए तब लगवाए रखें। नहीं तो निकाल दें। हीरा तो एकमात्र उदाहरण हैं जिन्होंने अपनी जरूरत के अनुरूप परिवार नियोजन के कई विकल्पों में से एक आईयूसीडी को अपनाया। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ राजीव कुमार कहते हैं कि प्रचार-प्रसार के चलते लोगों में परिवार नियोजन के प्रति रुझान बढ़ा है। परिवार नियोजन का कौन सा विकल्प किसके लिए बेहतर होगा, स्वास्थ्य इकाइयों पर सलाह देते लोग मिल जाएंगे। इसका नतीजा है कि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच जनपद में 62 पुरुषों और 9,172 महिलाओं ने नसबंदी कराई।12,251 महिलाओं ने इंट्रा यूट्राइन कांट्रासेप्टिक डिवाइस (आईयूसीडी) अपनाया। प्रसव के 48 घंटे के अंदर अपनाए जाने वाले पोस्ट पार्टम इंट्रा यूट्राइन कांट्रासेप्टिक डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) को जनपद में 14,020 महिलाओं ने वरीयता दी। 22,480 महिलाओं ने त्रयमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा पर अपना विश्वास जताया। गर्भ निरोधक गोली माला-एन के प्रति भी काफी आकर्षण है। 88,382 माला-एन की गोलियों को परिवार नियोजन के विकल्प के रूप में चुना गया है। 7,39,350 कंडोम तथा 42,789 गर्भ निरोधक गोली छाया को भी लोगों ने विकल्प के रूप में अपनाया है। जिला महिला अस्पताल में 176 महिलाओं ने स्टाफ नर्स अनीता की वजह से पीपीआईयूसीडी अपनाया। अनीता कहती हैं कि कभी-कभी महिलाएं शिकायत करती हैं कि पीपीआईयूसीडी लगवाने से पांच या 10 वर्ष तक बच्चा नहीं हो सकता है। मैंने उन्हें समझाया कि जब तक बच्चा नहीं चाहिए तब तक ही उसे लगाना है। जब बच्चे की जरूरत हो उसे निकलवा दो। कुछ ने रक्तस्राव की शिकायत की तो उन्हें हार्मोनल टैबलेट दे दिया जिससे रक्तस्राव बंद हो गया। जिला महिला अस्पताल में सबसे ज्यादा 480 महिलाओं को त्रयमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा की सुविधा दिलाने वाली स्टाफ नर्स रीता देवी की सहयोगी काउंसलर रेनू बतातीं हैं कि परिवार नियोजन के संसाधनों के बारे में जानने आने वाली महिला के सामने ‘हम बास्केट आफ च्वाइस’ रखते हैं। यदि महिला का परिवार पूरा हो गया है तो उसे स्थाई साधन अपनाने की सलाह देते हैं। यदि परिवार बढ़ाने की जरूरत है तो अन्य अस्थाई विधियों के साथ ही अंतरा के बारे में भी बताते हैं। अंतरा बहुत आसान है। इसमें रोज याद करने की जरूरत नहीं है। तीसरे महीने में हाथ या कमर में इंजेक्शन लगाया जाता है। प्रसव के डेढ़ महीने बाद लगाना शुरू करते हैं। सुविधाओं से संतुष्ट हैं लाभार्थी: शहरी क्षेत्र के मैलीपुर की आशा (30) मंगलवार (27 जून) को जिला महिला चिकित्सालय में अंतरा इंजेक्शन लगवाने आईं थीं। इसके पहले भी वह कई बार इंजेक्शन लगवा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इसके कारण उन्हें कभी भी कोई असुविधा नहीं हुई। बरसठी क्षेत्र के गोठांव निवासी सुजीत सिंह (32) की पत्नी अपनी नसबंदी कराना चाह रहीं थीं लेकिन उन्होंने उन्हें नसबंदी कराने से रोक दिया और नवम्बर 2021 में अपनी नसबंदी कराई। नसबंदी से वह संतुष्ट हैं। वह कहते हैं कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। पहले जिस तरह से काम करते थे, वैसे ही अब भी काम करते हैं। कभी ताकत में कमी महसूस नहीं होती है।