पिता पुत्र व पाँच भाइयों सहित सात को आजीवन कारावास
पिता पुत्र व पाँच भाइयों सहित सात को आजीवन कारावास
●11 वर्ष पूर्व मुकदमे की रंजिश को लेकर गोली मारकर हुई थी हत्या
जौनपुर। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ रुपाली सक्सेना की अदालत ने खुटहन थाना क्षेत्र में 11 वर्ष पूर्व हुई हत्या में पिता पुत्र व पाँच सगे भाइयों सहित सात आरोपियों को हत्या के मामले में दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास व 30-30 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया।
अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा सुरेंद्र उपाध्याय निवासी ग्राम हैदरपुर थाना खुटहन ने 22 मई 2013 को अभियोग पंजीकृत करवाया कि उनकी नारायण दास से दुश्मनी चल रही थी। 19 मई 2013 को नारायण दास के परिवार ने मारपीट करके झुमका छीन लिया था जिसका मुकदमा थाने में दर्ज करवाया गया था। इसकी वजह से यह लोग नाराज थे और दिनांक 20 मई 2013 को शाम 4.30 बजे नारायण दास, राजदेव पुत्रगण प्रहलाद व कमला, अर्जुन, भीम, विनोद, महंथ पुत्रगण नारायण दास तथा राजेंद्र पुत्र कमला, राजेंद्र के साले मनोज उपाध्याय तथा अंजना, वंदना, गीता, आशा, सुंदरी व रिंकी गोल बनाकर ईंट,पत्थर, लाठी, डंडा व असलहा से लैस होकर उनके घर पर चढ़ आए और बोले मुकदमा लिख दिए हो तो अब कोई बचेगा नहीं। मां बहन की भद्दी-भद्दी गालियाँ देते हुए घर पर चढ़ आए। वादी का परिवार घर में घुस गया तब आरोपीगण नागेंद्र व अरविंद उपाध्याय को घर में से खींच कर बाहर ले गए तथा मनोज उपाध्याय के ललकारने पर अर्जुन की लाइसेंसी राइफल से राजेंद्र ने नागेंद्र उपाध्याय को गोली मार दिया। तब अर्जुन ने राजेंद्र से राइफल छीन कर अरविंद उपाध्याय को गोली मार दिया। शोर पर गांव के बहुत सारे लोग घटनास्थल पर पहुंच गए। लोगों के आ जाने पर महिलाएं ईंट पत्थर चलाकर आरोपियों को बचा ले गईं। नागेंद्र की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि अरविंद की हालत नाजुक है और वह सदर अस्पताल में भर्ती है।
पुलिस ने विवेचना करके आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह के द्वारा परीक्षित कराए गए गवाहों के बयान एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के परिशीलन के पश्चात अदालत ने हत्यारोपी राजदेव व पांच सगे भाई कमला, अर्जुन ,भीम, विनोद, महंथ तथा कमला के पुत्र राजेंद्र उपाध्याय को अदालत ने हत्या के मामले में दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास व 30-30 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। नारायण दास की मृत्यु हो जाने से उनकी पत्रावली उपशमित कर दी गई तथा अंजना, वंदना, गीता, आशा, सुंदरी व रिंकी को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने दोष मुक्त कर दिया।