October 18, 2024

अटाला मंदिर केस में मुनादी व विज्ञापन का आदेश

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अटाला मंदिर केस में मुनादी व विज्ञापन का आदेश

कोर्ट ने वादी को एक हफ्ते में पैरवी करने का दीया आदेश

जौनपुर-सिविल जज सीनियर डिवीजन अनुज कुमार जौहर की अदालत ने अटाला माता मंदिर केस में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह की दरखास्त पर आदेश दिया कि वादी विज्ञापन द्वारा हितबद्ध व्यक्तियों पर तामिला के लिए एक सप्ताह के भीतर पैरवी करे तथा संबंधित क्षेत्र में मुनादी कराना भी सुनिश्चित करे। कोर्ट ने अग्रिम आदेश के लिए 16 नवंबर तिथि नियत किया है। पिछले तिथि पर मामला पोषणीय है या नहीं तथा कोर्ट को सुनवाई का क्षेत्राधिकार है या नहीं, इस बिंदु पर फैसला आना था लेकिन फैसला टल गया। गुरुवार को कोर्ट ने प्रकाशन व मुनादी का आदेश दिया। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि मोहल्ला रिजवी खां तथा उसके आसपास के गांव से संबंधित व्यक्ति इस मामले में हितबद्ध हैं।विज्ञापन के माध्यम से उन व्यक्तियों पर तामिला हो सकता है।

बता दें कि पूर्व में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने दौरान बहस कहा था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट में अटाला मस्जिद को अटाला देवी मंदिर बताया है जिसका निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद राठौर ने करवाया था। अंग्रेज़ अधिकारी जे पी हेविट और ई बी हावेल ने अटाला मस्जिद की शिल्प कला को हिन्दू शिल्पकला बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में अटाला देवी मंदिर के अनेक फोटोग्राफ दिए गए है जिनमें शंख, त्रिशूल, षटदल कमल, गुड़हल के फूल, बंधन बार आदि दिए गए है जोकि हिन्दू शिल्पकला है। वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया की अटाला मस्जिद की जमीन राजस्व अभिलेखों में जामा मस्जिद के नाम से दर्ज है जिसकी वर्तमान मालिक केंद्र सरकार है। अटाला मस्जिद का वक़्फ़ एक्ट 1995 की धारा 4 के अनुसार आज तक सर्वे नहीं हुआ है जिस कारण उनके केस पर वक़्फ़ कानून लागू नहीं होता है। अटाला मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन संरक्षित स्मारक है जिस कारण केस पर पूजा स्थल अधिनियम 1991लागू नहीं होता है।

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